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म्यांमार से भागकर मिजोरम पहुंचे 29 जवान, जानिए भारत के पड़ोसी देश की सेना पर क्यों हो रहे हमले?

म्यांमार में अब लोकतंत्र समर्थक फोर्सेस और सेना के बीच जंग छिड़ गई है. लोकतंत्र समर्थक फोर्सेस ने सेना के खिलाफ 27 अक्टूबर को ऑपरेशन लॉन्च किया है. विद्रोही गुट म्यांमार की सेना को निशाना बना रहे हैं. ऐसे में म्यांमार के सैनिक भागकर मिजोरम आ रहे हैं.

म्यामांर में सेना और लोकतंत्र समर्थक बलों में लड़ाई जारी म्यामांर में सेना और लोकतंत्र समर्थक बलों में लड़ाई जारी
aajtak.in
  • आइजोल,
  • 17 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:21 PM IST

भारत के पड़ोसी मुल्क म्यांमार में बीते तीन हफ्तों से सेना और जुंटा-विरोधी बलों के बीच लड़ाई छिड़ी हुई है. जुंटा-विरोधी बल यानी PDF लगातार सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहे हैं. इसी बीच गुरुवार को जुंटा विरोधी दलों ने एक सैन्य शिविर को निशाना बनाया, इसके बाद 29 और म्यांमार सैनिक मिजोरम आ गए. म्यांमार में छिड़ी जंग के बीच अब तक 74 सैन्यकर्मी भारत आ चुके हैं. हालांकि, इनमें से ज्यादातर को वापस म्यांमार भेजा जा चुका है. 

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पुलिस के मुताबिक, म्यांमार के इन 29 सैनिकों ने तियाउ नदी के पास चंफाई जिले के सैखुमफाई में पुलिस और असम राइफल्स से संपर्क किया. ये सैनिक अंतरराष्ट्रीय सीमा से कुछ किलोमीटर दूर चिन राज्य के तुईबुअल में अपने शिविर से भागकर भारत पहुंचे. असम राइफल्स के मुताबिक, इन सैनिकों को म्यांमार भेजा जाना है. 

अधिकारियों के मुताबिक, कुल 45 सैनिक, जो पड़ोसी देश के चिन राज्य में दो सैन्य ठिकानों पर पीडीएफ के कब्जे के बाद मिजोरम भाग गए थे, उन्हें मंगलवार को म्यांमार की सैन्य सरकार को सौंप दिया गया.  भारत ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास म्यांमार की सेना और जुंटा विरोधी समूहों के बीच लड़ाई को रोकने की अपील की. इस लड़ाई के चलते म्यांमार से बड़ी संख्या में लोग भारत आ रहे हैं. 

म्यांमार भारत का पड़ोसी देश है. नागालैंड और मणिपुर समेत कई पूर्वोत्तर राज्यों के साथ इसकी 1,640 किलोमीटर की सीमा भारत से मिलती है. म्यांमार में 2021 में सेना द्वारा तख्तापलट के बाद से लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. म्यांमार की सेना अपने विरोधियों और सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में शामिल लोगों के खिलाफ हवाई हमले करती रही है. म्यांमार सैन्य शासन द्वारा तख्तापलट करने के बाद फरवरी 2021 से 31,000 से अधिक म्यांमार नागरिकों ने मिजोरम में शरण ली है. 

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म्यांमार सेना के खिलाफ खोला मोर्चा

म्यांमार में अब लोकतंत्र समर्थक फोर्सेस और सेना के बीच जंग छिड़ गई है. लोकतंत्र समर्थक फोर्सेस ने सेना के खिलाफ 27 अक्टूबर को ऑपरेशन लॉन्च किया है. विद्रोही गुट म्यांमार की सेना को निशाना बना रहे हैं. इस ऑपरेशन में म्यांमार के तीन विद्रोही गुट साथ आए. ये गुट अराकन आर्मी (AA), म्यांमार नेशनल डिफेंस अलायंस आर्मी (MNDAA) और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA) हैं. 

म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी इन तीनों में सबसे ताकतवर मानी जाती है. ऑपरेशन को यही लीड कर रही है. इसका गठन 1989 में हुआ था. इसमें लगभग 6 हजार लड़ाके हैं. जबकि अराकन आर्मी का गठन 2009 में हुआ था. ये रखाइन प्रांत में एक्टिव है और यूनाइटेड लीग ऑफ अराकन (ULA) की मिलिट्री विंग है. इसके नेता त्वान म्राट नाइंग हैं. माना जाता है कि इसके पास 35 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं, जो काचिन, रखाइन और शान प्रांत में एक्टिव हैं. वहीं, TNLA पलाउंग स्टेट लिबरेशन फ्रंट (PSLF) की मिलिट्री विंग है. 2005 में सरकार के साथ समझौते के बाद TNLA का विघटन हो गया था. 2011 में इसे फिर से गठित किया गया. माना जाता है कि इसमें आठ हजार के आसपास लड़ाके हैं.

सेना पर क्यों हो रहे हमले?

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म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक फोर्सेस के इस ऑपरेशन का मकसद वहां के सैन्य शासन का मुकाबला करना है. 'ब्रदरहुड अलायंस' के नाम से बना ये विद्रोही गठबंधन उत्तरी शान प्रांत में सेना और उसके सहयोगी सैन्य संगठनों को खदेड़ना है. ये प्रांत म्यांमार-चीन सीमा के पास पड़ता है. 27 अक्टूबर को अलायंस ने बयान जारी कर कहा था कि उनके ऑपरेशन का मकसद नागरिकों की रक्षा करना, आत्मरक्षा करना, अपने इलाकों पर नियंत्रण हासिल करना और म्यांमार सेना के हमलों और हवाई हमलों का जवाब देना है. बयान में ये भी कहा था कि सैन्य शासन का पूरी तरह से सफाया करना है, और म्यांमार की पूरी आबादी भी यही चाहती है.

अब तक क्या क्या हुआ?

ब्रदरहुड अलायंस का दावा है कि उसने म्यांमार सेना की सवा सौ से ज्यादा चौकियों पर कब्जा कर लिया है. साथ ही बड़ी मात्रा में हथियार भी जब्त कर लिए हैं. छह टैंक और कई बख्तरबंद गाड़ियों पर भी अलायंस ने कब्जा कर लिया है. म्यांमार सेना ने कबूल किया है कि चिन श्वे हॉ, पंसाई और हाउंग साई टाउन में उसने अपना नियंत्रण खो दिया है. अलायंस ने नाम्तु नदी के उत्तर में सेनवी पर नियंत्रण कर लिया है, लेकिन नदी के दक्षिणी ओर म्यांमार की सेना डिफेंसिव पोजिशन में है. उत्तरी शान प्रांत में कम्युनिकेशन नेटवर्क बाधित हो गए हैं. सीमा पर 105वें माइल कैम्प, जिनसानजियाओ और चिन श्वे हॉ के जरिए होने वाला कारोबार भी ठप पड़ गया है.

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