
भारतीय महिला रीना छिब्बर वर्मा लंबे इंतजार के बाद पाकिस्तान के रावलपिंडी में अपने घर का दीदार कर चुकी हैं लेकिन यहां बिताए बचपन के पल अभी भी उनके जेहन में हैं. वह 75 साल पहले यहां गुजारे पलों को याद करते हुए गमगीन हो जाती हैं. पाकिस्तान में उन्हें बेशुमार प्यार मिल रहा है, लोग बंटवारे से पहले की उनकी जिंदगी के बारे में जानना चाहते हैं.
पाकिस्तानी मीडिया में भी रीना छिब्बर की कहानी को तरजीह दी जा रही है. पाकिस्तानी टीवी चैनल पीटीवी न्यूज ने रीना छिब्बर को एक इंटरव्यू के लिए भी बुलाया. पीटीवी न्यूज एंकर ने रीना छिब्बर का परिचय कराते हुए कहा, आप बहुत खूबसूरत हैं. दूसरे एंकर ने भी तपाक से कहा कि वह बहुत प्यारी हैं.
इंटरव्यू में रीना ने 75 साल के इस इंतजार को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि इंसान अपना बचपन जहां गुजारता है, उस जगह को नहीं भूल पाता. रावलपिंडी हमेशा मेरे दिल में रहा. मैं पूरी जिंदगी भारत में गुजार दी लेकिन रावलपिंडी का यह घर मेरे दिल में रहा. मैं अभी भी अपना होमटाउन रावलपिंडी ही बताती हूं और हर जगह अपना होमटाउन रावलपिंडी ही लिखती हूं.
रावलपिंडी के अपने घर प्रेम निवास को 75 साल बाद पहली बार देखने पर उनके मन में किस तरह के ख्यालात आए. इसके बारे में वह बताती हैं कि मैं अपने स्वागत से बहुत खुश थी लेकिन घर को पहली बार देखने पर उदास हो गई थी क्योंकि मैं अपने पूरे परिवार को याद कर रही थी. घर में घुसते ही मैं अपने मां, बाप, भाई बहनों को याद कर रही थी. अचानक से उनकी यादें ताजा हो गईं. आज मैं उस घर में अकेली थी लेकिन मेरे परिवार का कोई शख्स नहीं था. इस घर में हम आठ लोग इकट्ठा रहा करते थे.
उन्होंने कहा कि खुशी इस बात की भी है कि यह घर लगभग वैसा ही दिखता है, जैसा 75 साल पहले दिखा करता था. इसमें ज्यादा बदलाव नहीं हुआ.
रीना कहती हैं कि पाकिस्तान से भारत पहुंचने पर हमने एक नई जिंदगी की शुरुआत की. सब कुछ अचानक से हुआ था, तो अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए थे लेकिन 20 साल की उम्र के बाद मैंने सोचना शुरू कर दिया था कि मुझे रावलपिंडी के अपने घर जरूर जाना है.
वह कहती हैं कि 1965 में मुझे पाकिस्तान का वीजा भी मिल गया था लेकिन उस वक्त जिन दोस्तों के साथ पाकिस्तान आना था, उन्हें वीजा नहीं मिल पाया तो मैं नहीं आ पाई.
रीना कहती हैं कि इंडिया, पाकिस्तान हेरिटेज क्लब के प्रयासों से यह मामला पाकिस्तान की विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी की नजर में आया और उन्होंने तुरंत ट्वीट कर मुझे वीजा देने का निर्देश दिया. इसके बाद अगले ही दिन भारत में पाकिस्तान के दूतावास ने मुझसे संपर्क कर मुझे वीजा दे दिया.
रीना को पाकिस्तान का तीन महीने का वीजा दिया गया है और वह अपनी वीजा अवधि के आखिरी पड़ाव पर पाकिस्तान पहुंची हैं. वह कहती हैं कि मुझे बहुत पहले वीजा मिल गया था लेकिन उस वक्त गर्मी बहुत थी और मैं गर्मी में ट्रैवल नहीं कर सकती हूं इसलिए मौसम थोड़ा खुशनुमा होने के बाद ही पाकिस्तान आई हूं.
वह पाकिस्तान के पत्रकार सज्जाद की भी शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने सबसे पहले रावलपिंडी का मेरा घर ढूंढकर उसकी तस्वीरें और वीडियो मुझे भेजे और मेरी उम्मीदों को और बढ़ा दिया.
रीना अगले कुछ दिनों में कंपनी गार्डन, गार्डन कॉलेज सहित उन जगहों पर जाने की योजना बना रही हैं, जिनसे उनके बचपन की यादें जुड़ी हैं. वह कहती हैं कि मेरे सभी भाई बहन गार्डन कॉलेज में पढ़ा करते थे तो सबसे पहले वही देखना चाहती हूं.
रीना पाकिस्तान के अपने इस दौरे से दोनों देशों के बीच अमन का पैगाम भी देती हैं. वह कहती हैं कि लोग कहीं भी खराब नहीं होते, हालात खराब होते हैं. हालात को ठीक करने के लिए मेहनत करनी चाहिए. दोनों मुल्क पहले एक ही थे इसलिए सबसे पहले हुक्मरानों को दोनों देशों के बीच आवाजाही को आसान बनाना चाहिए.
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