
ताइवान के साथ विवाद के बीच अमेरिका ने एक बार फिर चीन की दुखती रग पर हाथ रखा है. दरअसल, अमेरिका का एक और प्रतिनिधिमंडल दो दिन की अघोषित दौरे पर ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचा. यह एक महीने में दूसरा मौका है, जब अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल ताइवान पहुंचा है. अमेरिका के इस कदम के बाद चीन ने एक बार फिर ताइवान के पास युद्धाभ्यास करने का ऐलान किया है.
इससे पहले अमेरिकी सीनेट की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान के दौरे पर गई थीं. चीन इस दौरे का लगातार विरोध कर रहा था. इतना ही नहीं चीन ने अमेरिका को आग से न खेलने की चेतावनी भी थी. इसके बावजूद जब नैंसी ताइवान पहुंचीं, तो उनके देश छोड़ते ही चीन ने ताइवान के चारों ओर 6 जगहों पर युद्धाभ्यास शुरू कर दिया था.
युद्धाभ्यास में युद्धपोत से लेकर लड़ाकू विमानों ने हिस्सा लिया था. ये ताइवान की सीमा से काफी करीब थे. ताइवान का दावा है कि युद्धाभ्यास के दौरान चीन के लड़ाकू विमान उसकी सीमा में भी घुसे थे. इसके बाद ताइवान ने चीन को चेतावनी दी थी और अपने लड़ाकू विमानों को तैनात किया था.
सुरक्षा और व्यापारिक मुद्दों पर होगी चर्चा
मैसाचुसेट्स डेमोक्रेटिक सेन एड मार्के के नेतृत्व में अमेरिकी कांग्रेस का 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ताइवान पहुंचा. मार्के के प्रवक्ता ने कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल ताइवान के लिए अमेरिका के समर्थन की पुष्टि करने के लिए ताइपे पहुंचा है. उन्होंने कहा, ये ताइवान में स्थिरता और शांति को प्रोत्साहित करेगा. उधर, ताइवान के विदेश मंत्रालय ने बताया कि अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति साई इंग वेन और विदेश मंत्री जोसफ वू से मुलाकात करेगा. इस दौरान दोनों देशों के बीच सुरक्षा और व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा होगी.
अमेरिका पर फिर भड़का चीन
अमेरिका में चीन के दूतावास ने कहा कि चीन ताइवान के साथ अमेरिका के किसी भी आधिकारिक समझौते का विरोध करता है. चीन संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए अमेरिका के उकसावे के जवाब में जवाबी कदम उठाएगा.
अमेरिका के ताइवान से कैसे हैं रिश्ते ?
चीन और ताइवान के बीच एक अलग ही रिश्ता है. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई थी. उधर, अमेरिका के ताइवान के साथ आधिकारिक रूप से राजनयिक संबंध नहीं है. वह चीन की वन पॉलिसी का समर्थन करता है. लेकिन अमेरिका ताइवान रिलेशंस एक्ट के तहत उसे हथियार बेचता है. इस कानून में कहा गया है कि अमेरिका ताइवान की आत्मरक्षा के लिए जरूरी मदद देगा.