
कश्मीर पर बुरी नजर रखने वाला पाकिस्तान खुद अपने अंदरूनी कलह में फंसकर रह गया है. एक तरफ जहां वो अफगान बॉर्डर पर तालिबान के साथ लड़ाई लड़ रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान में हो रहे विद्रोह से उसकी नींद उड़ी हुई है. पहले से ही आर्थिक बदहाली झेल रहे पाकिस्तान को इन लड़ाइयों से भारी नुकसान हो रहा है. पाकिस्तान में चीन का प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) भी अंदरूनी लड़ाइयों से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है.
अफगान बॉर्डर पर तालिबान के साथ लड़ रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान के सुरक्षाबलों के लिए साल 2024 एक दशक में सबसे खतरनाक साल साबित हुआ. बीते साल हुए 400 से ज्यादा आतंकी हमलों में पाकिस्तान के 685 सुरक्षाकर्मी मारे गए. इनमें से अधिकांश हमले पाकिस्तान तहरीक-ए तालिबान (TTP) ने किए थे.
पाकिस्तान तालिबान पर टीटीपी को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है. पाकिस्तान का कहना है कि टीटीपी के लड़ाके पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि, तालिबान इस आरोप से इनकार करता रहा है.
टीटीपी को लेकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बीते कई महीनों से तनाव की स्थिति बनी हुई है. हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव में इजाफा देखा गया है जिसने दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ने का डर पैदा कर दिया है. तनाव तब और बढ़ा जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के अंदर टीटीपी के ठिकानों पर एयरस्ट्राइक कर दिया. पाकिस्तान के एयरस्ट्राइक के जवाब में टीटीपी ने भी पाकिस्तानी आर्मी को निशाना बनाया जिसमें एक मेजर रैंक के ऑफिसर समेत कई सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई.
अफगानिस्तान में पाकिस्तान के एयरस्ट्राइक से तालिबान का रक्षा मंत्रालय बेहद नाराज हुआ. मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक का निशाना वजिरिस्तान के शरणार्थी बने. मंत्रालय ने दावा किया कि पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक में कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे. मंत्रालय ने अफगानिस्तान की स्वतंत्रता और संप्रभुता का हवाला देते हुए जवाबी कार्रवाई की धमकी भी दी.
दिसंबर 2024 के आखिरी दिनों में अफगानिस्तान के तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान-अफगानिस्तान का बॉर्डर डूरंड लाइन को पार कर पाकिस्तान में घुस गए और उन्होंने पाकिस्तानी सेना की चौकियों को निशाना बनाया. इसमें कम से कम पाकिस्तानी आर्मी के एक जवान की मौत हो गई और कम से कम नौ सैन्यकर्मी मारे गए.
पाकिस्तानी आर्मी ने कहा कि जवाबी कार्रवाई में तालिबान के तीन लड़ाके भी मारे गए. दोनों देशों के बीच अब भी तनाव की स्थिति बनी हुई है.
बलूचिस्तान में बुझ नहीं रही विद्रोह की आग
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है लेकिन यहां की आबादी बहुत कम है. इस प्रांत में पाकिस्तान के अल्पसंख्यक बलोच रहते हैं. बलोच लोगों का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार उनके साथ भेदभाव करती है और प्रांत के संसाधनों से होने वाला लाभ उनके साथ नहीं बांटा जाता.
बलूचिस्तान में सरकार से नाराज बलोचों के कई विद्रोही समूह बन गए हैं जो प्रांत की आजादी के मकसद से पाकिस्तानी सरकार से लड़ रहे हैं. बलोच चरमपंथी आंदोलन में तेजी तब आई 2002 में बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह का निर्माण शुरू हुआ. उसी दौरान साल 2005 में सुई गैस प्लांट में 31 साल की महिला डॉक्टर के साथ रेप का एक मामला सामने आया. इस घटना के सामने आने के बाद बलूचिस्तान सुलग उठा और पाकिस्तान में गृहयुद्ध का खतरा पैदा हो गया.
बलोच नेता नवाब अकबर बुगती ने इंसाफ की आवाज उठाई और वो विरोध का चेहरा बन गए. साल 2006 में उन्हें एक सैन्य ऑपरेशन में मार दिया गया जिसके बाद बलूचिस्तान में पाकिस्तान विरोधी भावना बढ़ती गई.
चीन के साथ CPEC समझौते ने भड़काया बलोचों का विद्रोह
अप्रैल 2015 में पाकिस्तान ने चीन के साथ CPEC समझौता किया और चीन को ग्वादर बंदरगाह दे दिया. इसके बाद चीन ने ग्वादर में औद्योगिकीकरण शुरू किया जिस कारण वहां काम कर रहे चीनी नागरिक भी बलोच चरमपंथियों के निशाने पर आ गए.
वर्तमान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA), बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) जैसे बलोच चरमपंथी समूह आए दिन पाकिस्तानी सैनिकों को निशाना बनाते रहते है.
इसी साल की शुरुआत में बीएलए के फिदायी यूनिट मजीद ब्रिगेड ने बलूचिस्तान के तुर्बत में पाकिस्तानी सेना के एक काफिले पर हमला कर दिया जिसमें लगभग 47 सैनिक मारे गए और 30 से अधिक घायल हुए हैं. ये हमला बीते शनिवार को हुआ था. बीएलए के प्रवक्ता जियांद बलोच ने एक बयान में कहा है कि पांच बसों और सात सैन्य वाहनों समेत 13 गाड़ियां उनके टार्गेट पर थीं जो कराची से तुर्बत के फ्रिंटयर कॉर्प्स हेडक्वार्टर जा रही थीं.
बीएलए का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना निर्दोष बलोच लोगों का उत्पीड़न कर रही है और जबरन लोगों को गिरफ्तार कर उन्हें गायब कर दे रही है.
बलूचिस्तान में आए दिन पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं जिससे ग्वादर बंदरगाह पर कामकाज प्रभावित होता है. ग्वादर बंदरगाह अरब सागर में पाकिस्तान का अकेला गहरे समुद्र वाला बंदरगाह है और यह 60 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट CPEC का अहम रास्ता है.
बलोचों का कहना है कि सरकार ने उनके समुदाय को अनदेखा किया है और राज्य के खनिज संसाधनों का दोहन किया है.
गिलगित-बाल्टिस्तान में थम नहीं रहा लोगों का प्रदर्शन
गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) का सबसे उत्तरी इलाका है जो लद्दाख की सीमा से लगा हुआ है. सामरिक दृष्टि से पाकिस्तान के लिए यह इलाका बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत, पाकिस्तान, चीन और तजाकिस्तान, चार देशों की सीमाएं इस क्षेत्र से लगी हुई है.
गिलगित-बाल्टिस्तान CPEC का प्रवेशद्वार भी है. गिलगित बालतिस्तान के लोगों की भी शिकायत रही है कि पाकिस्तान की सरकार उनके मुद्दों पर ध्यान नहीं देती. क्षेत्र में खाद्यान्नों, बिजली आदि की कमी को लेकर पाकिस्तानी सरकार के विरोध में प्रदर्शन होते रहे हैं.
पिछले हफ्ते भी बिजली की कमी को लेकर क्षेत्र में प्रदर्शन शुरू हुआ जो अब तक जारी है. स्थानीय लोगों ने अपने क्षेत्र का मुख्य हाईवे बंद कर दिया है जिससे हजारों की संख्या में सामान से लदे ट्रक CPEC के ड्राई पोर्ट (जमीन पर बना टर्मिनल जो सड़क के रास्ते समुद्री बंदरगाह से जुड़ा होता है) पर फंसे हुए हैं.
व्यापार संघों की कहना है कि विरोध प्रदर्शन क्षेत्र में बिजली की कमी को लेकर शुरू हुआ था जिससे पाकिस्तान और चीन का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच कई दफा बातचीत हो चुकी है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है.
गिलगित-बाल्टिस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष इमरान अली ने बताया कि प्रदर्शन के कारण CPEC के ड्राई पोर्ट पर खरीदे और बेचे गए समानों से लदे 700 ट्रंक फंसे हुए हैं.
गिलगित-बाल्टिस्तान के हुंजा में पांच दिनों से चल रहे प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी रहे और CPEC का रास्ता हजारों प्रदर्शनकारियों ने बंद ही रखा है.
सर्दियों की वजह से हुंजा में दिन का तापमान माइनस 4 डिग्री सेल्सियस नीचे आ गया है और वहां की रातें माइनस 10 डिग्री सेल्सियस ठंडी हो रही हैं. ऐसे में बिजली न होने से लोगों को भारी परेशानी हो रही है.
गिलगित-बाल्टिस्तान में बिजली उत्पादन के लिए हाइड्रोपावर का इस्तेमाल होता है लेकिन सर्दियों में झील और नदियों के जम जाने से हाइड्रोपावर से बिजली उत्पादन लगभग रुक जाता है. पाकिस्तान की सरकार ने क्षेत्र को लोगों को अन्य स्रोतों से बिजली सप्लाई का वादा किया है लेकिन प्रदर्शनकारी सरकार पर भरोसा करने को तैयार नहीं है और विरोध-प्रदर्शन लगातार जारी है.