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पाकिस्तान से क्यों निकाले जा रहे अफगान शर्णार्थी? खैबर में रहने वाले अफगानियों का शहबाज सरकार ने मांगा डेटा

पाकिस्तान में वर्तमान में सरकार का कड़ा रुख बलूच नेताओं की गिरफ्तारी और अफगान छात्रों की जानकारी इकट्ठा करने पर केंद्रित है. अफगान नागरिकों की वापसी के लिए मार्च 31 की समय सीमा तय की गई है. इस प्रक्रिया में मानवीय सहायता प्रदान की जाएगी, लेकिन समय सीमा के बाद रुकने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.

पाकिस्तान से डिपोर्ट किए जा रहे अफगान शर्णार्थी (Reuters) पाकिस्तान से डिपोर्ट किए जा रहे अफगान शर्णार्थी (Reuters)
सुबोध कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

पाकिस्तान में हाल के दिनों में राजनीतिक और सामाजिक हालात ने एक नया मोड़ ले लिया है. एक तरफ सुरक्षा बल और पुलिस बलूच आंदोलनकारियों पर शिकंजा कस रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ देश के आंतरिक मंत्रालय ने खैबर पख्तूनख्वा में अफगान छात्रों की संख्या का रिकार्ड मांगा है. इंडिया टुडे को मिली आधिकारिक चिट्ठी से पता चलता है कि मंत्रालय ने प्रांतीय गृह सचिव को 27 मार्च तक अफगान छात्रों की पूरी जानकारी सौंपने के निर्देश दिए हैं.

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पाकिस्तान में इस समय बिना दस्तावेज वाले विदेशी नागरिकों, खासकर अफगान नागरिक कार्ड (एसीसी) धारकों के खिलाफ कार्रवाई तेज की जा रही है. सरकार ने सभी अवैध अफगान नागरिकों को देश छोड़ने के लिए 31 मार्च की समय सीमा तय की है.

दरअसल, पाकिस्तान में आए दिनों धमाके और हिंसक घटनाएं देखी जाती है, और पाकिस्तान सरकार इस तरह की घटनाओं लिए अफगानियों को जिम्मेदार मानते हैं. खासतौर पर, जब से अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता संभाली है. हालिया डिपोर्टेशन को लेकर कहा जा रहा है कि उन लोगों को डिपोर्ट किया जा रहा है, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं.

यह भी पढ़ें: 'PoK वापस आने पर सुलझेगी कश्मीर समस्या', विदेश मंत्री जयशंकर का पाकिस्तानी पत्रकार को करारा जवाब

अधिकारियों के मुताबिक, वापसी अभियान के शुरू होने के बाद से अब तक 876,000 से ज्यादा अफगान पाकिस्तान छोड़ चुके हैं. समय सीमा करीब आते ही और अधिक लोग जाने की संभावना है.

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मानवीय तरीके से की जाएगी डिपोर्टेशन की प्रक्रिया

हालांकि, खैबर की प्रांतीय सरकार ने इस बात का आश्वासन दिया है कि डिपोर्टेशन प्रक्रिया मानवीय तरीके से की जाएगी. इससे निपटने के लिए उन लोगों के लिए खाना-पानी और मेडिकल की भी व्यवस्था की गई है, जो अफगानिस्तान लौट रहे हैं. इसके साथ ही अफगान शर्नार्थियों को चेतावनी दी गई है कि अगर वे डेडलाइन के बाद देखे जाते हैं तो उनपर कड़ा एक्शन लिया जाएगा.

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खैबर छोड़कर जाने वालों को दी जाएगी जरूरी सुविधाएं!

खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने कहा है कि वह अफगान शरणार्थियों की वापसी पर संघीय सरकार के निर्णय का पालन करेगी. हालांकि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि शरणार्थियों को जबरदस्ती प्रांत से नहीं निकाला जाएगा. इसके बजाय, उन्हें स्वेच्छा से वापसी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और उनकी वापसी के लिए जरूरी सुविधाएं भी दी जाएंगी.

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