
जब 15 अगस्त को काबुल पर नियंत्रण करने के बाद अपनी पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, तालिबान ने अफगानिस्तान में इस्लामी कानून की 'सीमा के भीतर' महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने की कसम खाई थी, तब से ही वहां रहने वाली वर्किंग महिलाएं आशंकाग्रस्त हो गई थीं. देश में युवा महिला पेशेवरों के लिए, यह बयान अनिश्चितता से भरा हुआ था. इन 'सीमाओं' का क्या मतलब है, यह एक ऐसा सवाल है, जिसका कोई सटीक उत्तर नहीं है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अफगानिस्तान के एक युवा मुक्केबाज, गायक और पत्रकार का साक्षात्कार लिया. ये तीनों महिलाएं जो सार्वजनिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम करती हैं. उनसे सवाल किया गया कि उनके देश पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है, उनकी अब उम्मीदें क्या हैं और किस तरह का डर उन्हें सता रहा है?
'मेरा लक्ष्य अफगानिस्तान के लिए ओलंपिक पदक जीतना है: महिला बॉक्सर
सीमा रेजई, एक 18 वर्षीय बॉक्सर हैं. उन्होंने अपनी कलाई पर 'बॉक्सर' टैटू बनवाया है. अफगानिस्तान की राष्ट्रीय मुक्केबाजी टीम की वे सदस्य हैं. उन्होंने करीब दो साल पहले बॉक्सिंग शुरू की थी.
न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, 'मैंने बॉक्सिंग शुरू की क्योंकि मैंने अमेरिकी रेसरल रोंडा राउजी को लड़ते देखा था. जब मैंने पहली बार अपने क्लब में बॉक्सिंग शुरू की, लड़के साथ थे. यह मेरे लिए पहली बार इतना कठिन था.'
सीमा रेजई ने कहा, 'हर बार जब मैं प्रैक्टिस करती हूं, तो मैं सोचती हूं कि मैं आगे बढ़ने और मजबूत बनने के लिए क्या कर सकती हूं. मेरा लक्ष्य अफगानिस्तान के लिए ओलंपिक पदक जीतना है.'
जब ट्रेनर ने कहा- मत आओ जिम
सीमा रेजई ने कहा, 'मैं अभी क्लब में आया थी. मेरे ट्रेनर ने मुझे बताया कि तालिबान ने काबुल में एंट्री ले ली है. मुझे कोई मुश्किल न हो इसलिए मेरे ट्रेनर ने मुझे घर जाने के लिए कहा. बाद में, जिम और बॉक्सिंग क्लब दोनों ने कहा कि उन्हें इस्लामिक अमीरात के उस फैसले का इंतजार है, जब वे महिलाओं को ट्रेनिंग की इजाजत दें.'
'20 साल पहले के अफगानिस्तान में नहीं लौटना है'
सीमा रेजई ने कहा, 'जितना कम आप प्रशिक्षण लेते हैं, आप उतने ही कमजोर होते जाते हैं. तालिबान को लड़कियों का प्रशिक्षण पसंद नहीं है. अगर वे कहते हैं कि वे 20 साल पहले के तालिबान की तरह नहीं हैं, तो उन्हें हमें अभ्यास करने की अनुमति देनी चाहिए. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो मैं अफगानिस्तान छोड़ दूंगी. अगर मैं बॉक्सिंग के जरिए अपने देश का गौरव नहीं बढ़ा सकती तो मेरा यहां रहना बेमानी होगा. मैं 20 साल पहले नहीं जाना चाहती हूं.'
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मुझे नहीं लगता कि मैं अफगानिस्तान में फिर से गा सकती हूं: महिला सिंगर
24 साल की सिंगर सादिका मददगर तीन साल पहले 'अफगान स्टार' शो की कंटेस्टेंट थीं. वे एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं और YouTube पर कंटेंट क्रिएट कर पैसे कमाती हैं. सादिका मददकर ने कहा, 'मैं एक धार्मिक परिवार से हूं. मेरे परिवार ने मुझे सिर्फ पढ़ाई के लिए काबुल आने दिया. लेकिन सिंगिंग टैलेंट मेरे अंदर था. मेरे दोस्त हमेशा मुझे मेरे टैलेंट का इस्तेमाल करने के लिए कहते थे. जब वे मेरे लिए ताली बजाते या मुस्कुराते हैं, तो मेरा खुद पर विश्वास बढ़ जाता है.'
सादिका ने कहा, 'अफगानिस्तान में, हम अपने संगीत से पैसा नहीं कमाते हैं. मैं YouTube पर वीडियो ब्लॉग रिकॉर्ड करती हूं. मैं इसी तरह से आत्मनिर्भर हुई. उस वक्त काबुल सुरक्षित था. मैं सतर्क थी लेकिन लड़कियों के लिए आजादी थी.' अब, उनके सभी परफॉर्मेंस रद्द कर दिए गए हैं.
'मैं हार नहीं मानूंगी'
सादिका मददगर ने कहा, 'मेरे पास उम्मीदों और योजनाओं से भरी दुनिया थी, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं इस देश में फिर से गा सकती हूं. वे कह रहे हैं कि हमारा देश इस्लामिक है और इसलिए संगीत हराम है. लेकिन मैं हार नहीं मानूंगी. अगर मैं छिप जाती हूं या चुप रहती हूं, तो यह उन लोगों के लिए एक तरह का इनाम होगा जो मुझे स्वीकार नहीं करते हैं.'
मैं दुनिया को अफगानिस्तान के बारे में बताती रहूंगी: महिला पत्रकार
टीवी जर्नलिस्ट के तौर पर काम करने वाली एक महिला ने अपनी पहचान छिपाते हुए कहा कि 6 साल तक मैंने मीडिया में काम किया है. अब मेरे ही देश में, मेरा सिर काटा जा सकता है. उन्होंने कहा कि मीडिया उद्योग में काम करने वाले सभी अफगानों की जान अब खतरे में है.
उन्होंने कहा, 'कई बार मेरे पिता मुझे घर से काम करने के लिए कहते थे. अफगानिस्तान एक पारंपरिक जगह है, आप मुश्किल में पड़ जाएंगी. और मैं कहती थी कि नहीं. अफगानिस्तान अब पीछे नहीं जाएगा.'
तालिबानी लगातार देते रहे मौत की धमकी
महिला पत्रकार ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता कायम होने से पहले ही उन्हें इंस्टाग्राम और फेसबुक पर तालिबान की तरह दिखने वाले लोगों से धमकियां मिली थीं. उन्होंने कहा, 'वे मुझसे कहते थे कि मेरे पास बहुत कम वक्त बचा है. जब हम आएंगे तो पहले मुझसे शुरुआत करेंगे.'
उन्होंने कहा कि बीते कुछ महीनों सबकुछ बुरा हो गया था. न्यूज में काम करने वाली महिलाओं के लिए दुनिया ही बदल गई थी. जब हम घर से निकलने लगे और कार में बैठेगे, तो जांच किया जा रहा था कि कहीं कार में बम तो नहीं है.
'अब बस कर रही हूं जिंदा रहने की कोशिश'
उन्होंने कहा, 'अब मैं बस जिंदा रहने की कोशिश कर रही हूं. जब मैं इसके बारे में सोचती हूं तो मुझे एहसास होता है कि मुझे इससे और ज्यादा सांस लेना चाहिए था. उस वक्त हमारे पास जो था, उसकी हम सराहना नहीं कर रहे थे.'
भविष्य की अपनी योजनाओं पर, उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, 'मुझे नहीं पता कि क्या होगा. मुझे नहीं पता कि मैं कहां जाऊंगी और क्या करूंगी? लेकिन भले ही मेरी जान को खतरा हो, मैं दुनिया को अफगानिस्तान के बारे में बताने की कोशिश करती रहूंगी.'
31 अगस्त वह आखिरी तारीख थी, जब अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान से वापसी कर ली. अमेरिकी सैनिकों के वापसी के बाद ही तालिबान ने जीत और आजादी की घोषणा कर दी. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दावा भी कर दिया कि आाने वाले कुछ दिनों में अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार बन जाएगी. इसी के साथ ही महिला स्वतंत्रता का अफगानिस्तान में पटाक्षेप होना भी शुरू हो जाएगा.