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'यह मेरी आवाज है, मैं पंजशीर से बोल रहा हूं,' सालेह ने अफगानिस्तान छोड़ने से किया इनकार

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा, 'कुछ मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि मैं अपने देश से भाग गया हूं. यह बिल्कुल निराधार है. यह मेरी आवाज है, मैं आपको पंजशीर घाटी से, अपने बेस से बोल रहा हूं.'

कमांडर जान अहमद के साथ अमरुल्ला सालेह. कमांडर जान अहमद के साथ अमरुल्ला सालेह.
aajtak.in
  • पंजशीर ,
  • 04 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST
  • पंजशीर पर कब्जे के लिए तालिबान विद्रोही गुटों से संघर्ष कर रहा
  • 'हमने मैदान पर कब्जा कर लिया है, और हमने क्षेत्र नहीं खोया'
  • अपने देश से भाग गया हूं, यह बिल्कुल निराधारः अमरुल्ला सालेह

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान सरकार बनाने की कवायद में जुटा है तो पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने देश छोड़ने की अफवाह के बीच साफ किया है कि वह अभी भी पंजशीर घाटी में मौजूद हैं. अफगानिस्तान में पंजशीर घाटी ही वह इलाका है जहां पर तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है और इसके लिए वहां पर संघर्ष जारी है.

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अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा, 'कुछ मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि मैं अपने देश से भाग गया हूं. यह बिल्कुल निराधार है. यह मेरी आवाज है, मैं आपको पंजशीर घाटी से, अपने बेस से बोल रहा हूं.'

स्थानीय मीडिया TOLO news से उन्होंने आगे कहा, 'मैं अपने कमांडरों और अपने राजनीतिक नेताओं के साथ हूं और स्थिति को संभाल रहा हूं. बेशक, यह एक कठिन स्थिति है, हम तालिबान, पाकिस्तानियों और अलकायदा तथा अन्य आतंकवादी समूहों के आक्रमण से घिरे हुए हैं. हमने मैदान पर कब्जा कर लिया है, और हमने क्षेत्र नहीं खोया है. पिछले चार-पांच दिनों में जब तालिबान ने अपना आक्रामक अभियान शुरू किया है, तब से उन्हें कोई खास फायदा नहीं हुआ है. वे हताहत हुए हैं, हम भी हताहत हुए हैं.'

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पंजशीर से स्थानीय मीडिया TOLO news से बात करते हुए अमरुल्ला सालेह का कहना है कि वह अभी भी वहीं हैं और वहां लड़ाई तेज होने की खबरें हैं.

इससे पहले पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने शुक्रवार शाम को ट्वीट के जरिए कहा है कि तालिबान ने पंजशीर तक मानवीय पहुंच को अवरुद्ध कर दिया है और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और विश्व नेताओं से इस पर नोटिस लेने का आह्वान किया.

ट्विटर हैंडल पर खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति बताने वाले अमरुल्ला सालेह ने कहा कि तालिबान के लोगों ने पंजशीर तक मानवीय पहुंच को अवरुद्ध कर रखा  है. पंजशीर के सैन्य उम्र के पुरुषों को खदान के खेतों में चलने के लिए खदान निकासी उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं. फोन और बिजली बंद कर दिया गया है, यहां तक की दवाई की भी अनुमति नहीं दे रहे हैं. लोग कम मात्रा में ही नकदी ले जा सकते हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले 23 सालों में आपातकालीन अस्पताल की शुरुआत के बाद से हमने कभी भी तालिब की पहुंच को अवरुद्ध नहीं किया. तालिब युद्ध अपराध कर रहे हैं और IHL के लिए उनका कोई सम्मान नहीं है. हम संयुक्त राष्ट्र और विश्व के नेताओं से तालिबों के इस स्पष्ट आपराधिक और आतंकवादी व्यवहार पर ध्यान देने का आह्वान करते हैं.

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इस बीच अहमद मसूद ने भी ट्वीट कर कहा कि पंजशीर पर जीत की खबरें पाकिस्तानी मीडिया में चल रही है. यह झूठ है. पंजशीर पर कब्जा मतलब पंजशीर में मेरा आखिरी दिन होगा, इंशाअल्लाह.

 

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