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अफगान संकटः तालिबान नई सरकार बनाने के बेहद करीब, G-7 बैठक में 5 सूत्रीय प्लान

काबुल में तालिबान के टॉप लीडर मुल्ला बरादर से अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के डायरेक्टर की मुलाकात हुई. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बाइडन प्रशासन और तालिबान के बीच ये पहली टॉप लेवल की मीटिंग है.

सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 7:43 AM IST
  • अपनी नई सरकार के ऐलान करने के फाइनल दौर में तालिबान
  • तालिबान की 31 अगस्त तक विदेशी सेनाओं को जाने की हिदायत
  • तालिबान के टॉप लीडर बरादर से CIA के डायरेक्टर की मुलाकात

काबुल में तालिबान अपनी नई सरकार का ऐलान करने के फाइनल राउंड में है तो वहीं दूसरी तरफ अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे को लेकर मंगलवार को अहम जी-7 की मीटिंग हुई. जी-7 की मीटिंग में 5 सूत्रीय प्लान भी तैयार किया गया. दूसरी ओर, तालिबान ने 31 अगस्त तक विदेशी सेनाओं को अफगानिस्तान छोड़ने की हिदायत दी है.

जी-7 की मीटिंग में पांच सूत्रीय प्लान का पहला सूत्र है अफगानिस्तान में फंसे लोगों को बाहर निकालना. दूसरा सूत्र है आतंक के शिकार लोगों को मदद करना. तीसरा सूत्र है मानवता के आधार पर अफगान लोगों की मदद करना. चौथा सूत्र है अफगानिस्तान के लोगों को कानूनी रूट से सुरक्षित जगह पहुंचना. पांचवां सूत्र है अफानिस्तान में नई सरकार के साथ डील करने की स्पष्ट नीति बनाना.

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तालिबान ने 31 अगस्त तक विदेशी सेनाओं को अफगानिस्तान छोड़ने की नसीहत दी है. इस बयान को तालिबान की वार्निंग के तौर पर देखा जा रहा है. 

अहम रहा मंगलवार का दिन

फिलहाल मंगलवार का दिन तीन अफगानिस्तान के लिए अहम रहा. मंगलवार को तालिबान का गनतंत्र, तालिबानी राष्ट्रपति की रेस और G-7 में मंथन यानी पहला, अफगानिस्तान पर तालिबान का कसता शिकंजा, दूसरा  अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के मुखिया को लेकर चल रही आखिरी दौर की बैठक और तीसरा अफगानिस्तान में तालिबानी राज को लेकर जी-7 की इमरजेंसी बैठक.

हालांकि तालिबान की वार्निंग पर दुनिया का जो रिएक्शन आया और काबुल से जो तस्वीरें आईं, उससे साफ है कि 31 अगस्त के बाद भी अफगानिस्तान में नाटो सेनाएं मौजूद रहेगी.

इस बीच काबुल में तालिबान के टॉप लीडर मुल्ला बरादर से अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के डायरेक्टर की मुलाकात हुई. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बाइडन प्रशासन और तालिबान के बीच ये पहली टॉप लेवल की मीटिंग है. रणनीति के तहत CIA डायरेक्टर विलियम बर्न्स से मुल्ला बरादर की मुलाकात को गुप्त रखा गया.

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तालिबान से विलियम बर्न्स ने की चर्चा

31 अगस्त तक अफगानिस्तान छोड़ने को लेकर तालिबान से विलियम बर्न्स ने चर्चा की. याद रखने वाली बात ये है किं सीआईए ने ही 2010 में जासूसी कर पाकिस्तान में मुल्ला बरादर को गिरफ्तार करवाया था. आज उसी सीआईए के चीफ बरादर से मीटिंग कर रहे हैं.

ये सीक्रेट मीटिंग तालिबान और अमेरिकी खुफिया एजेंसी के चीफ के बीच हुई. वहीं दूसरी इमरजेंसी मीटिंग तालिबान पर बड़ा फैसला लेने के लिए हुई, यानी तालिबान को मान्यता मिलेगी या फिर बैन लगेगा. दुनिया के सात बड़ी शक्तियों ने मंथन किय जिसे ग्रुप ऑफ सेवन’ यानी जी-7 कहते हैं. 

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G-7 एक अंतराष्ट्रीय संगठन है जिसका गठन 1975 में किया गया था. जी-7 के सदस्य है यूके, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका. जी-7 में अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है. इस बार अफगानिस्तान के हालात पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपातकाल बैठक बुलाई. मीटिंग से पहले बोरिस जॉनसन ने ट्विटर पर कहा था.

बोरिस जॉनसन ने कहा, 'आज मैं अफगानिस्तान में संकट पर एक आपातकालीन जी-7 बैठक आयोजित करूंगा. मैं अपने मित्रों और सहयोगियों से अफगान लोगों के साथ खड़े होने और शरणार्थियों और मानवीय सहायता के लिए समर्थन बढ़ाने के लिए कहूंगा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय लोगों को सुरक्षित निकालने, मानवीय संकट को रोकने और पिछले 20 वर्षों की मेहनत को सुरक्षित करने के लिए अफगान लोगों का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करने की जरूत है. तालिबान को उनके कामों से आंका जाएगा ना कि उनके शब्दों से.' ब्रिटेन इस साल जी-7 देशों की अध्यक्षता कर रहा है.

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मीटिंग में 4 मुद्दे अहम रहे

1. तालिबान को आधिकारिक मान्यता देना या नहीं देना 
2. तालिबान पर कुछ प्रतिबंधों को लागू करना
3. महिलाओं के अधिकार की गारंटी सुनिश्चित करना
4. तालिबान को अंतरराष्ट्रीय नियमों के पालन के लिए बाध्य करना.

बड़ी बात ये है कि तालिबान के खिलाफ कनाडा की लाइन एकदम क्लियर है. कनाडा ने साफ कर दिया है कि तालिबान एक आतंकी संगठन है और उसे मान्यता नहीं मिलनी चाहिए, वहीं फ्रांस ने 31 अगस्त के बाद भी अफगानिस्तान में अपनी सेनाओं की मौजूदगी की बात कहीं है. ब्रिटेन वेट एंड वॉच की स्थिति में है, जबकि अमेरिका तालिबान से बातचीत के पक्ष में है. वहीं जर्मनी और इटली का स्टैंड न्यूट्रल है.

 

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