
अफगानिस्तान (Afghanistan) पर 20 साल बाद फिर से तालिबान (Taliban) का शासन शुरू हो गया है. तालिबान के आते ही पिछले कुछ हफ्तों से डिफेंस एक्सपर्ट (Defence Expert) जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) को लेकर भी चिंता जता रहे हैं. इस चिंता की वजह भी वाजिब है और वो ये तालिबान के पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी ISI और वहां के आतंकी संगठनों से मजबूत रिश्ते हैं.
इसी बीच अमेरिकी कांग्रेस के नेता माइकल वॉल्ट्ज (Michael Waltz) ने आजतक से बातचीत में कहा है कि तालिबान के आने का मतलब है जम्मू-कश्मीर में आतंक का फिर से बढ़ना. रिपब्लिक नेता माइकल वॉल्ट्स ने कहा, 'अफगानिस्तान में तालिबान के आने के साथ ही अब अल-कायदा 3.0 (Al-Qaeda 3.0) बनेगा. तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा के रिश्ते कश्मीर में गंभीर आतंक को बढ़ाएंगे.' वॉल्ट्ज अफगानिस्तान में भी काम कर चुके हैं और उन्होंने दावा किया है कि पाकिस्तान तालिबान का समर्थन कर रहा था.
उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान हक्कानी, लश्कर-ए-तैयबा और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन करता है. इसके लिए तालिबान को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.' उन्होंने ये भी कहा कि 20 साल तक अमेरिकी सेना की मौजूदगी के बावजूद कुछ ही हफ्तों में तालिबान का कब्जा करना निराशाजनक है.
पंजशीर (Panjshir) को लेकर जब उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वो तालिबान के खिलाफ रेजिस्टेंस फोर्स का समर्थन करते हैं. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के देश छोड़ने के बाद उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) को राष्ट्रपति के रूप में मान्यता देनी चाहिए थी. माना जा रहा है कि अमरुल्ला सालेह अभी पंजशीर में ही हैं.
ये भी पढ़ें-- अफगानिस्तानः PAK की जेहादी यूनिवर्सिटी से पढ़कर निकले हैं तालिबान सरकार के 5 मंत्री
माइकल वॉल्ट्ज ने कहा, 'मैंने इस बारे में रिपोर्ट मांगी है कि क्या पाकिस्तानी सेना अफगानिस्तान और पंजशीर में तालिबान के हमले का समर्थन कर रही है. अगर ये सच है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाना चाहिए.'
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी 'शर्मनाक' कार्रवाई और 31 अगस्त की डेडलाइन से पहले अमेरिकी सेना की वापसी ने कई अमेरिकियों और अफगानियों को तालिबान के भरोसे छोड़ दिया है. उन्होंने ये भी खुलासा किया कि जब तालिबान काबुल (Kabul) के नजदीक था, तो अशरफ गनी ने अमेरिकी सेना से मदद मांगी थी.
वॉल्ट्ज ने कहा, 'गनी की काबुल छोड़ने की कोई योजना नहीं थी. वो समर्थन मांग रहे थे. अफगानी सेना सरेंडर नहीं करती अगर उन्हें समर्थन (खासतौर से हवाई समर्थन) मिलता, जैसा अमेरिका ने उनसे वादा किया था.' उन्होंने ये भी कहा बरगाम एयरबेस को खाली करते ही अमेरिका ने चीन और रूस की तुलना में एक बड़ी रणनीतिक जगह को गंवा दिया है.