
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार ने मंगलवार को भारतीय समकक्ष एस जयंशकर से बात की. इस दौरान उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान की हिंसा और मानवाधिकारों के हनन को रोकने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का एक आपातकालीन सत्र बुलाने की संभावनाओं का पता किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगान विदेश मंत्रालय ने कहा, अतमार ने अफगानिस्तान में तालिबान और विदशी आतंकियों समूह द्वारा हिंसा में तेजी को लेकर बात की और भारत से यूएनएससी में बैठक बुलाकर स्थिति पर चर्चा की मांग की.
भारत की भूमिका की सराहना की
अफगान विदेश मंत्री ने ट्वीट कर कहा, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अफगानिस्तान की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपात सत्र बलाने के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा, संयुक्त राष्ट्र और अंतराराष्ट्रीय समुदाय को तालिबान की हिंसा और अत्याचार से बन रही स्थिति को रोकने के लिए अहम भूमिका निभाना चाहिए. उन्होंने कहा, सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका की सराहना करता हूं. भारत अगस्त के लिए UNSC का अध्यक्ष है.
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, अतमार ने विदेशी लड़ाकों और आतंकवादी समूहों के साथ मिलकर किए जा रहे हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया और क्षेत्र की स्थिरता एवं सुरक्षा पर उनके नतीजों के बारे में भी बात की.
मानवाधिकार उल्लंघनों पर की बात
बयान में कहा गया है कि अतमार ने जयशंकर से तालिबान और विदेशी आतंकवादी समूहों की ओर से बढ़ती हिंसा एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन पर बात की. साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान में हिंसा पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक आयोजित करने का सुझाव दिया.
भारत ने जताई चिंता
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, जयशंकर ने अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन पर भारत की गहन चिंता को व्यक्त किया. देश में शांति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की अपील की.
अफगानिस्तान में बढ़ी हिंसा
अमेरिका द्वारा अपनी सेना वापस लेने के बाद से अफगानिस्तान में तालिबानियों ने हमले तेज कर दिए हैं. तालिबान अफगानिस्तान के कई हिस्सों पर कब्जा कर चुका है. अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए वह हमले तेज कर रहा है. जबकि भारत अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए कई कदम उठा चुका है. भारत ने अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण के लिए 3 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है.