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अफगानिस्तान: काबुल में स्कूल के पास बम धमाका, 50 की मौत, बच्चे भी शामिल

जानकारी मिली है कि ये ब्लास्ट सैय्यद-उल-शुहादा हाई स्कूल के पास किया गया है. इस स्कूल में दोनों लड़के और लड़कियां पढ़ने आते हैं लेकिन सभी की टाइमिंग अलग है. ये स्कूल तीन शिफ्ट में काम करता है और दूसरी शिफ्ट में छात्राओं को पढ़ाया जाता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2021,
  • अपडेटेड 11:41 AM IST
  • धमाके में मरने वालों में कई छात्राएं भी शामिल
  • शवों से भर गए अस्पताल, दर्दनाक तस्वीरें
  • किसी संगठन ने नहीं ली हमले की जिम्मेदारी

अफगानिस्तान में हिंसा का दौर जारी है और मासूमों की मौत का सिलसिला भी थमता नहीं दिख रहा है. अब शनिवार को अफगानिस्तान के काबुल में एक बड़ा बम ब्लास्ट हुआ है. ये ब्लास्ट एक स्कूल के पास किया गया है और इस घटना में अब तक 50 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. 100 से ज्यादा घायल बताए जा रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि इस कायराना हरकत के जरिए छोटे बच्चों को निशाना बनाया गया है. अभी तक किसी भी आंतकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.

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काबुल में बम धमाका, 50 की मौत

जानकारी मिली है कि ये ब्लास्ट सैय्यद-उल-शुहादा हाई स्कूल के पास किया गया. इस स्कूल में दोनों लड़के और लड़कियां पढ़ने आते हैं लेकिन सभी की टाइमिंग अलग है. ये स्कूल तीन शिफ्ट में काम करता है और दूसरी शिफ्ट में छात्राओं को पढ़ाया जाता है. बताया गया है कि इस हमले को भी उसी वक्त अंजाम दिया गया है, ऐसे में मरने वालों में कई छात्राएं शामिल हैं.

कुछ स्थानीय लोगों ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने एक नहीं बल्कि तीन ब्लास्ट की आवाज सुनी थीं. अभी के लिए प्रशासन ने इस बात पर मुहर नहीं लगाई, लेकिन बताया जा रहा है कि कई लोग घायल हो गए हैं. सभी का इलाज मोहम्मद अली जिनाह अस्पताल में जारी है.

हमले के बाद से ही अफरा-तफरी का माहौल बन गया है और स्थानीय लोगों का एंबुलेंस वालों से लेकर प्रशासन तक, सभी पर गुस्सा फूट रहा है. अब आक्रोश होने का कारण ये भी है कि काबुल के इसी पश्चिमी इलाले में पिछले साल भी ऐसे बम धमाके हुए थे. तब एक अस्पताल को निशाना बनाया गया था जहां पर गर्भवती महिलाओं समेत कई नवजात बच्चों की जान गई थी. अब उस घटना से लोग उबर पाते, तब तक स्कूल के पास एक और धमाका कर दिया गया.

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स्कूल में पढ़ने वालीं 15 साल के जहरा बताती हैं. "मैं अपनी क्लासमेट के साथ स्कूल से बाहर निकली, तभी एक जोरदार धमाका हुआ. मेरी क्लासमेट का हाथ उसके शरीर से अलग हो गया था." जहरा ने आगे बताया, "10 मिनट के बाद एक और जोरदार धमाका हुआ. कुछ ही मिनटों में फिर से धमाका बुआ. चारों तरफ से लोगों के रोने-चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. हर तरफ खून ही खून था. धुएं की वजह से मुझे कुछ साफ-साफ दिखाई भी नहीं दे रहा था."

शवों से भर गए अस्पताल, दर्दनाक तस्वीरें

अस्पताल के बाहर कई लोग दिखाई पड़ रहे हैं जो इस समय पीड़ितों की मदद करना चाहते हैं. कोई अपना खून डोनेट करने को तैयार खड़ा है तो कोई कुछ और मदद करना चाहता है. आपातकाल जैसी इस स्थिति में हर कोई एकजुट दिखाई पड़ रहा है. लेकिन घटनास्थल से जैसी तस्वीरें सामने आ रही हैं वो सभी को खौफजदा कर गई हैं. खून से सने बैग, किताबें जमीन पर पड़ी हुई हैं, वहीं एक बिल्डिंग से धुएं का गुबार निकलता दिख रहा है. AP के एक पत्रकार ने बताया कि उसने अस्पताल में एक साथ 20 शवों को पड़ा देखा है, वहीं कई सारे घायलों का इलाज भी उन्हीं के बीच होता दिख रहा है. स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अब अफगान सरकार को भी लोगों से अपील करनी पड़ रही कि वे प्रशासन संग सहयोग करें.

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अभी तक इस कायराना हमले की किसी ने जिम्मेदारी तो नहीं ली है, लेकिन अटकलों का दौर शुरू हो चुका है. एक तरफ तालिबान ने दावा कर दिया है कि अफगानिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी की आतंकी संगठन IS संग मिलीभगत चल रही है, तो वहीं सरकार की तरफ से इस पर कभी कोई जवाब नहीं दिया गया है. तालिबान प्रवक्ता ने इस हमले की निंदा तो की है,लेकिन साथ ही साथ IS और अफगान की इंटेलिजेंस एजेंसी पर आरोप लगा दिए हैं. 

किसी ने नहीं ली हमले की जिम्मेदारी

जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कुछ समय से IS का एक संगठन अफगानिस्तान में काफी सक्रिय हो गया है और लगातार शिया मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. कई ऐसे हमले देखे गए हैं जिनकी जिम्मेदारी खुद IS ने ली है, ऐसे में इस बार भी शक की सुई उस तरफ जा रही है. लेकिन IS ने घटना के बाद कोई वीडियो या संदेश जारी नहीं किया है. ऐसे अभी भी सिर्फ एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं और कई मासूम लोगों की जिंदगी जाती दिख ही है. बताया जा रहा है कि इस हादसे में अब तक जरूर 50 लोगों की मौत हुई है, लेकिन ये संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है.

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वैसे इसी हमले का एक दूसरा एंगल ये भी निकाला जा रहा है कि इसी साल सितंबर तक अमेरिका, अफगानिस्तान से अपनी सेना को हटाने जा रहा है. अमेरिकन मिलेट्री के एक अधिकारी के तरफ से कहा गया है कि आने वाले समय में जब सेना हटाई जाएंगी तो तालिबान की तरफ से सरकार के खिलाफ कुछ एक्शन हो सकते हैं. ऐसे में तालिबान जरूर खुद को इस हमले से दूर रख रहा है, लेकिन सवाल उस पर भी उठ रहे हैं.

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