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अफगानिस्तान में चोरी के आरोप में तालिबान ने काटे 4 लोगों के हाथ, सरेआम बरसाए कोड़े

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने एक बार फिर से लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया है. जानकारी के मुताबिक अहमद शाही स्टेडियम में चोरी और छेड़छाड़ के आरोपियों को कोड़े मारे. कहा ये भी जा रहा है कि चोरी के आरोपियों के हाथ काट लिए गए.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • कंधार,
  • 18 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:39 AM IST

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने कंधार में अहमद शाही स्टेडियम में लूटपाट और छेड़छाड़ के मामले में 9 लोगों को सरेआम कोड़े मारे. सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में कहा कि कंधार के अहमद शाही स्टेडियम में लूटपाट और महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोप में नौ लोगों को सजा दी गई. मारपीट के दौरान स्थानीय अधिकारी और कंधार के लोग भी मौजूद रहे. 

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एजेंसी के मुताबिक प्रांतीय गवर्नर के प्रवक्ता हाजी जैद ने कहा कि दोषियों को 35-39 कोड़े मारे गए. इस बीच अफगान पुनर्वास मंत्री के पूर्व नीति सलाहकार और ब्रिटेन में शरणार्थियों की मंत्री शबनम नसीमी ने कहा कि तालिबान ने कंधार के एक फुटबॉल स्टेडियम में चोरी के आरोप में 4 लोगों के हाथ काट दिए हैं. 

उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में निष्पक्ष जांच और उचित प्रक्रिया के बिना लोगों को पीटा जा रहा है, उनके हाथ हाटे जा रहे हैं. उन्हें मारा जा रहा है. यह पूरी तरह से मानवाधिकारों का उल्लंघन है.

अफगान पुनर्वास मंत्री के पूर्व नीति सलाहकार और ब्रिटेन में शरणार्थियों की मंत्री शबनम नसीमी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय निंदा के बावजूद तालिबान ने कट्टरपंथियों के सर्वोच्च नेता के एक आदेश के बाद आरोपियों को कोड़े मारना और सार्वजनिक रूप से फांसी देना फिर से शुरू कर दिया है.

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वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने भी इस तरह के गंभीर, क्रूर और अपमानजनक दंडों को तुरंत रोकने का आह्वान किया है. उन्होंने एक बयान में कहा कि 18 नवंबर 2022 के बाद अधिकारियों ने ताखर, लोगर, लगमन, परवान और काबुल सहित कई प्रांतों में करीब 100 महिलाओं और पुरुषों के साथ क्रूर व्यवहार किया है.

ब्रिटेन में शरणार्थियों की मंत्री शबनम नसीमी ने कहा कि अफगानिस्तान में चोरी, 'नाजायज' संबंध या सामाजिक व्यवहार संहिता का उल्लंघन करने को लेकर 20 से 100 कोड़े की सजा दी जा रही है. सार्वजनिक रूप से कोड़े मारना और फांसी देना यातना और अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार या दंड को प्रतिबंधित करने वाले सार्वभौमिक सिद्धांतों का उल्लंघन का प्रतीक है.

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