अमेरिका ने 31 अगस्त तक अपने सभी सैनिकों को निकालने की बात कही है, हालांकि वह इसके बाद भी कुछ वक्त तक रुक सकता है. वहीं, तालिबान अपनी सरकार बनाने की ओर कदम बढ़ा चुका है और उसकी ओर से अब कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां की जा रही हैं. अफगानिस्तान से जुड़ी ताजा अपडेट के लिए ब्लॉग के साथ बने रहें...
तालिबान के साथ नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट की वार्ता टीम के सदस्य और अफगान सीनेट के पूर्व डिप्टी हाफिज मंसूर ने कहा कि नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट के प्रतिनिधिमंडल ने परवान प्रांत की राजधानी चरिकर में तालिबान प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की है. दोनों पक्षों को एक-दूसरे की स्थिति पर हमला करने से बचना चाहिए और अपने शांतिपूर्ण प्रयास जारी रखने चाहिए.
तालिबान के कब्जे के बाद काबुल से भागने के बाद 124 अफगान मीडियाकर्मियों और उनके परिवार मैक्सिको पहुंच गए हैं. देश ने उनका स्वागत किया है. बुधवार तड़के कतर एमिरी वायुसेना की उड़ान में सवार होकर यह ग्रुप मैक्सिको सिटी पहुंचा.
राष्ट्रीय सुलह उच्च परिषद (एचसीएनआर) के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला (Abdullah Abdullah) ने कई ट्वीट कर बताया कि शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में हमने वर्तमान स्थिति और देश में शिक्षा के भविष्य पर भी चर्चा की.
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में कहा कि देश के विभिन्न प्रांतों के बुजुर्गों और प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में हमने वर्तमान स्थिति, एक समावेशी सरकार की स्थापना और देश में शांति और स्थिरता का समर्थन करने के तरीकों पर चर्चा की.
ताजिकिस्तान का कहना है कि वह तालिबान को अफगान सरकार के रूप में मान्यता नहीं देगा. ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन (Emmomali Rahmon) ने आज बुधवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से कहा कि देश तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं देगा.
बैठक के बाद जारी बयान में, ताजिकिस्तान की राष्ट्रीय सूचना एजेंसी खोवर ने कहा, "ताजिकिस्तान ऐसी किसी भी अन्य सरकार को मान्यता नहीं देगा जो इस (अफगानिस्तान) देश में उत्पीड़न के माध्यम से बनी है, पूरे अफगान लोगों की स्थिति को ध्यान में रखे बिना और विशेष रूप से सभी अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखे बिना बनी हो. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अफगानिस्तान की भावी सरकार में ताजिकों का एक योग्य स्थान है.
सीडीएस बिपिन रावत ने कहा है कि जो कुछ हुआ है वह कुछ ऐसा है जिसका अनुमान लगाया गया था. केवल समय की रेखाओं में परिवर्तन हुआ है. उन्होंने कहा कि यह वही तालिबान है जो 20 साल पहले वहां था. रिपोर्ट हमें बता रही हैं कि वहां क्या हो रहा है. पार्टनर अब बदल गए हैं. अलग-अलग साझेदारों के साथ वही तालिबान है.
पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने आजतक से बातचीत में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे पर सहमति जताया और कहा कि भारत क्यों इतना परेशान है अफगानिस्तान में तालिबान के आने से, ये समझ नहीं आ रहा.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन समर्थक अजय जैन भुटोरिया ने आजतक से कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में हमेशा के लिए कैसे रह सकता है?
रूस ने भी अफगानिस्तान से 500 से अधिक लोगों को निकाल लिया है, साथ ही साथ पड़ोसी देश ताजिकिस्तान में अपने टैंक बलों के लिए सैन्य अभ्यास भी किया है. साथ ही सेटेलाइट तस्वीरों से साफ पता चल रहा है कि काबुल एयरपोर्ट पर स्थिति सामान्य से बहुत दूर है जबकि निकासी की समय सीमा निकट है.
पाकिस्तान के पीटीआई पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल समद याकूब ने कहा कि हम गरीबी से मर जाएंगे, भूख से मर जाएंगे. आप से मदद नहीं लेंगे. आपको पाक में सिर्फ गरीबी और दहशतगर्दी नजर आती है.
व्हाइट हाउस ने आज बुधवार को एक बयान में कहा कि 14 अगस्त से अब तक अमेरिकी सेना और नाटो की उड़ानों से अफगानिस्तान से करीब 82,300 लोगों को निकाला गया है. 24 अगस्त से 25 अगस्त के बीच 42 अमेरिकी सेना और 48 संयुक्त उड़ानों के जरिए 19,000 लोगों को काबुल से निकाला गया है.
लेफ्टिनेट जनरल (रिटायर) और रक्षा विशेषज्ञ संजय कुलकर्णी ने आजतक से बातचीत में कहा कि तालिबान जो हैं वो पठान हैं लेकिन जो सारे पठान हैं वो तालिबान नहीं हैं. ये बहुत बड़ी बात है. तालिबान पाकिस्तान का पर्यायवाची है, ऐसे में तालिबान जो कुछ भी करेगा वो पाकिस्तान के इशारों पर करेगा. पाकिस्तान उसे ऐसा करने के लिए ढकेलेगा. लेकिन अफगानिस्तान में आप देखेंगे कि बरादर को पाकिस्तान ने 8 साल के लिए जेल में रखा. उसे बस इसलिए जेल में रखा गया क्योंकि इस सवाल के जवाब में उसने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का मसला है और उस में कोई दखलंदाजी नहीं करूंगा. इस बयान के लिए बरादर को 8 साल पाक जेल में रहना पड़ा. उसे तब रिहा किया गया जब अमेरिका ने दबाव बनाया. उन्होंने कहा कि अफगानी लोग हमारे पुराने दोस्त हैं. हमारे पुराने रिश्ते हैं. अगर अफगानिस्तान में तालिबान को अपनी सरकार चलानी है तो उसे पश्तुन वाली सोच लानी पड़ेगी. उस पश्तुन वाली सोच में जब तक औरतों के साथ नरमी से पेश नहीं आएगा तब तक पश्चिम उसे मदद नहीं करेंगे. अफगानिस्तान में तालिबान की स्थिति बेहद कमजोर है उसकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर होगी.
पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने अफगानिस्तान की समस्या को लेकर आजतक के साथ बातचीत की. तालिबान के साथ कुछ शर्तों के साथ भारत की बातचीत करने को लेकर पूछे गए सवाल पर पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश को अपने हित के लिए कुछ शर्तें तो लगानी पड़ती है. लेकिन एक देश शर्त तब लगा पाता है जब उसके पास बातचीत के लिए कुछ वेटेज होता है. वो आज हमारे पास है या नहीं. लेकिन कल के लिए हमारे पास था, हमने वहां काफी कुछ किया. स्कूल बनाए, सड़कें बनाई, पावर लाइंस आदि बहुत कुछ किया. कई लोगों को हमने स्कॉलरशिप देकर यहां बुलाया. लेकिन अब वहां जो सरकार बनने जा रही है उसको लेकर यहां अंदरुनी चर्चा करनी पड़ेगी. उस वेटेज को रखते हुए ही कुछ निकलेगा. इस समय मामला पूरा संवेदनशील है और बहुत आसानी से अपने हित में मोड़ना बड़ी समस्या है. एक राय होकर भारत अगर अफगानिस्तान के साथ रखता है तो उम्मीद है कि कोई न कोई रास्ता निकलेगा.
नॉर्दर्न एलायंस और तालिबान के बीच पावर शेयरिंग डील को लेकर बातचीत चल रही है. तालिबान ने जहां पूरे अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू करने की बात की है, तो वहीं नॉर्दर्न एलायंस इसे कुछ हदतक काबू में रखकर लोकतंत्र को स्थापित करने की कोशिश में जुटा है.
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अफगानिस्तान से निकल रहे शरणार्थियों का अलग-अलग देशों में पहुंचना जारी है. मंगलवार देर शाम को मैक्सिको में अफगानिस्तान में अफगान नागरिकों का पहला ग्रुप पहुंचा. इस ग्रुप में पांच महिलाएं और एक पुरुष शामिल रहे.
अफगानिस्तान से भारत शरण लेने आ रहे अफगान नागरिकों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एडवाइज़री जारी की है. गृह मंत्रालय का कहना है कि सभी अफगान नागरिकों के पास ई-वीज़ा होना जरूरी है.
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अफगानिस्तान पर कब्जा कर चुके तालिबान की नज़रें अब इसी इलाके पर हैं, लेकिन इस ज़मीन को जीतना इतना आसान नहीं हैं. जिस पंजशीर (Panjshir) पर दुनिया की नज़रें टिकी हैं, वहां के ताज़ा हालात क्या हैं.
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तालिबान द्वारा बड़ी संख्या में हथियारों को अपने कब्जे में लिया गया है. अब इसपर रूस ने चिंता व्यक्त की है. रूस का कहना है कि तालिबान के हाथ में इतनी बड़ी संख्या में हथियारों का आना चिंता का विषय है. तालिबान के पास एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम होने की भी संभावना है.
तालिबान ने सबसे पहले अब हर देश से अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने को कहा है, 31 अगस्त को ही अंतिम डेडलाइन कहा गया है. हालांकि, इस चेतावनी से इतर तालिबान ने सभी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने की बात कही है.
मंगलवार को तालिबानी प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद (Zabihullah Mujahid) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने तालिबान की आगे के रणनीति के बारे में बात की. साथ ही तालिबान की विदेश नीति कैसी होगी, इसको लेकर बयान दिया. प्रवक्ता के मुताबिक, तालिबान दुनिया के सभी देशों से अच्छे संबंध चाहता है.
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दरअसल, कहा ये जा रहा है कि तालिबान के डर से लोग अफगानिस्तान छोड़कर भाग रहे हैं. ऐसे में छवि सुधारने की कोशिश कर रहे तालिबान ने अफगान नागरिकों के बाहर जाने पर ही प्रतिबंध लगा दिया है. तालिबान ने हाल ही में ये भी कहा था लोग डर से नहीं भाग रहे हैं, बल्कि वो पश्चिमी देशों में अच्छी जिंदगी जीने के मकसद से जा रहे हैं, क्योंकि अफगानिस्तान में गरीबी है. बता दें कि तालिबान अब सरकार बनाने की तैयारी में है, उसने कैबिनेट भी बना ली है, लिहाजा उसकी मंशा ये भी है कि जल्द से जल्द सबकुछ उसके नियंत्रण में आ जाए.
अफगानिस्तान (Afghanistan) से रेस्क्यू कर लोगों को भारत (India) वापस लाने का मिशन लगातार जारी है. मंगलवार को अफगानिस्तान से दिल्ली वापस लौटे कुल 78 यात्रियों में से 16 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक, काबुल (Kabul) से गुरुग्रंथ साहिब लेकर लौटे तीन ग्रंथी भी कोरोना वायरस की चपेट में आए हैं. हालांकि, राहत की बात ये है कि सभी में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं हैं.
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बीते दिन जी-7 की बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें उन्होंने अमेरिका (America) के इस प्लान को सामना रखा. जो बाइडेन ने कहा है कि हम जितनी जल्दी अपने मिशन को पूरा करेंगे, उतना हमारे सैनिकों के लिए अच्छा होगा.
जो बाइडेन ने साफ कहा कि उन्होंने विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वे 31 अगस्त के बाद भी काबुल में रुकने का प्लान तैयार रखें, अगर इसकी ज़रूरत पड़ती है तो इसे लागू किया जाएगा.
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तालिबान की ओर से चेतावनी दी गई है कि अब वह किसी अफगानी को देश छोड़ने की इजाजत नहीं देगा. तालिबान का कहना है कि दूसरे देश बड़ी संख्या में अफगानियों को भी अपने साथ ले जा रहे हैं, जिससे वह खुश नहीं है. ऐसे में सभी देशों को अपनी डेडलाइन में वापस लौटना होगा और वह किसी अफगानी को नहीं ले जाने देंगे.