
अफगानिस्तान (Afghanistan) पर अब पूरी तरह से तालिबान (Taliban) का कब्ज़ा हो गया है. तालिबानियों द्वारा बीते दिन काबुल (Kabul) में राष्ट्रपति पैलेस पर कब्जा कर लिया गया, राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं. आम लोग भी अपनी जान बचाने में जुटे हैं, जो बाहर जा सकते हैं वो देश छोड़ रहे हैं. इस बीच तालिबान के हाथ में सत्ता आ जाने से एक बार फिर कानून की धज्जियां उड़ रही हैं.
सबसे बड़ा खतरा नाबालिग लड़कियों, युवाओं और अन्य लोगों पर है. बीते दिनों से ही जब से तालिबानी लड़ाकों ने काबुल की ओर बढ़ना शुरू किया था, तब ये लगातार खबरें आ रही थीं कि तालिबानी लड़ाकों द्वारा नाबालिग लड़कियों की जबरन शादी करवाई जा रही है, कुछ जगहों पर लूटपाट और रेप की घटनाओं की भी बात कही गई.
Taliban History: तालिबान कौन है, काबुल पर उनके कब्जे से इतनी खौफ में क्यों है दुनिया?
हालांकि, जबरन शादियों की खबरों की बात पर तालिबान की ओर से खंडन किया गया है. तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन की ओर से कहा गया कि ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है, हमने अपने लोगों से लूटपाट रोकने और लोगों में शांति बनाए रखने को कहा है.
ऐसा पहली बार नहीं है जब अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा इस तरह की हरकत की जा रही हो. लेकिन अब जब पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का ही कब्ज़ा है, तब सबसे बड़ी मुश्किल पैदा हुई है.
बता दें कि तालिबान ने आते ही ऐलान कर दिया है कि अब अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू होगा. हालांकि, लड़कियों को पढ़ाई करने की छूट दी जाएगी, लेकिन उन्हें बुर्का पहनना होगा और अन्य कानूनों का पालन करना होगा. ऐसे में तालिबान द्वारा लड़कियों पर अभी से ही सख्त रुख अपनाया जा रहा है.
मलाला युसुफजई ने भी जताई चिंता
सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने रविवार को अफगानिस्तान के तालिबान के अधिग्रहण पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह देश की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. मलाला ने ट्विटर पर लिखा कि हम पूरे सदमे में हैं, क्योंकि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. मैं महिलाओं, अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों के पैरोकारों के बारे में बहुत चिंतित हूं.
मलाला ने जोर देकर कहा कि वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय शक्तियों को तत्काल युद्धविराम का आह्वान करना चाहिए और युद्धग्रस्त देश में तत्काल मानवीय सहायता और शरणार्थियों और नागरिकों की रक्षा करनी चाहिए.
आपको बता दें कि तालिबानी हुकूमत के आने से एक बड़ा संकट युवाओं के भविष्य और रोज़गार पर भी पैदा हुआ है. तालिबानियों की आहट के साथ ही अधिकतर लोगों ने देश छोड़ने का फैसला लिया, विदेशी कंपनियां या विदेशी दूतावास से जुड़े लोग भी अफगानिस्तान छोड़ चुके हैं. फिर चाहे वो अमेरिका हो, फ्रांस या यूरोप का कोई और देश.
ऐसे में अब जब अफगानिस्तान के वर्तमान और भविष्य दोनों पर ही संकट के बादल हैं, जब युवाओं के लिए मुश्किल यही है कि वह अपने करियर, भविष्यों को कैसे तालिबानी हुकूमत के बीच आगे बढ़ाएंगे.