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15 अगस्त को अफगानिस्तान में क्या-क्या हुआ? 24 घंटे में तालिबान के कब्जे की कहानी

भारत 15 अगस्त को जब देश की आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा था तो अफगानिस्तान में पिछले 20 सालों में आई तब्दीली को रौंदते हुए तालिबान आगे बढ़ रहा था. 15 अगस्त की सुबह जब खबर आई कि तालिबान ने जलालाबाद को अपने कब्जे में ले लिया, तभी लगने लगा था कि काबुल उसके लिए अब दूर नहीं है.

तालिबान ने काबुल पर किया कब्जा तालिबान ने काबुल पर किया कब्जा
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST
  • 15 अगस्त पर अफगानिस्तान में हुई उथल-पुथल
  • तालिबान ने 24 घंटे में कर लिया काबुल पर कब्जा
  • राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी छोड़ा देश

भारत 15 अगस्त को जब देश की आजादी का जश्न मना रहा था तो दूसरी तरफ अफगानिस्तान में पिछले 20 सालों में आई तब्दीली को रौंदते हुए तालिबान आगे बढ़ रहा था. 15 अगस्त की सुबह जब खबर आई कि तालिबान ने जलालाबाद को अपने कब्जे में ले लिया है, तभी लगने लगा था कि उसके लिए अब काबुल अब दूर नहीं रह गया है. दोपहर होते होते तालिबान के लड़ाकों ने काबुल को चारों ओर से घेर लिया और दुनिया में ये खबर सनसनी की तरह फैल गई. लोग अमेरिका से सवाल करने लगे कि क्या उसने पिछले 20 सालों में इसी तरह अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार और मजबूत सेना को तैयार किया था. इन सवालों के बीच शाम होते होते पता चला कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी मुल्क छोड़ दिया है. रात में उन्होंने फेसबुक पर एक भावुक पोस्ट लिखी और अहम मोड़ पर देश छोड़ने को लेकर सफाई पेश की. तालिबान की ये जीत दुनिया की महाशक्ति अमेरिका के मुंह पर तमाचा था जो दावा करता रहा है कि उसने अफगानिस्तान की सेना को तालिबान की चुनौती से निपटने के लिए तैयार कर दिया है. 

पिछले 24 घंटों में तालिबान ने काबुल को अपने कब्जे में लेकर पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया. अमेरिका भी दंग है कि इतनी आसानी से कैसे अफगानिस्तान की सरकार और सेना ने तालिबान के आगे हार मान ली. आइए जानते हैं पिछले 24 घंटे की कहानी-

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तालिबान ने जलालाबाद पर किया कब्जा

15 अगस्त की सुबह होने से पहले ही तालिबान ने नांगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद पर कब्जा कर लिया. जलालाबाद के गवर्नर जिया-उल-हक ने तालिबान से समझौता कर खुद ही जलालाबाद को तालिबान को सौंप दिया. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा के नजरिए से उन्होंने ये कदम उठाया.

रात भर में जलालाबाद को अपने कब्जे में लेने के बाद तालिबान ने राजधानी काबुल के पूर्व में स्थित सरोबी जिले पर भी अपना नियंत्रण कर लिया. ये काबुल का पहला शहर था जिस पर तालिबान ने कब्जा किया.

इसके बाद तालिबान ने काबुल को पश्चिम से भी घेर लिया. काबुल से 90 किमी दूर मैदान वारदाक प्रांत की राजधानी मैदान शहर भी तालिबान के हाथ में आ गई.

तालिबान ने एक और प्रांत खोस्त की राजधानी पर भी कब्जा किया. इसके बाद, अफगानिस्तान की सरकार का 34 प्रांतों में से सिर्फ काबुल और अन्य पांच प्रांतीय राजधानियों पर ही नियंत्रण रह गया. 

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काबुल के गेट पर तालिबान

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय ने बताया कि तालिबान ने हर तरफ से राजधानी काबुल की तरफ कूच करना शुरू कर दिया है. तालिबान की बढ़त के बीच अफगानिस्तान की सरकार ने लोगों से शांति कायम रखने की अपील की और कहा कि काबुल में हालात नियंत्रण में हैं और परेशान होने की जरूरत नहीं है.

तालिबान ने भी इसी बीच एक बयान जारी कर कहा कि उन्होंने अपने लड़ाकों से काबुल के गेट पर ही इंतजार करने के लिए कहा है और वे शहर पर बलपूर्वक कब्जा नहीं करेंगे. तालिबान ने कहा कि वे सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया में जान-माल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं चाहते हैं.

तालिबान की बढ़त पर बोले अमेरिका और रूस

तालिबान के काबुल को घेरने को लेकर दुनिया भर के देशों से प्रतिक्रिया आने लगीं. रूस के विदेश मंत्री जमीर काबुलोव ने कहा कि रूस अफगानिस्तान के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने को लेकर अन्य देशों के साथ बातचीत कर रहा है. रूस ने कहा कि वह अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं देगा. वहीं, अमेरिका ने तालिबान को चेतावनी दी कि उसके सैनिकों और लोगों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. अमेरिकी सेना ने काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा संभाले रखी.

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अशरफ गनी ने छोड़ा मुल्क

तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि काबुल में लूट-पाट रोकने के लिए उनके लड़ाके शहर में प्रवेश कर रहे हैं. इसी बीच, शाम को खबर आई कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी मुल्क छोड़कर चले गए हैं. अशरफ गनी के मुल्क छोड़कर जाने से उनके समर्थकों को भारी निराशा हुई. अशरफ गनी एक दिन पहले तक कह रहे थे कि वह अफगानिस्तान में ही रहेंगे लेकिन वे अपने वादे को निभा नहीं पाए. अशरफ गनी ने रात में सोशल मीडिया के जरिए देश छोड़ने को लेकर सफाई पेश की. 

उन्होंने लिखा, आज मेरे सामने कठिन विकल्प है. मुझे कठिन फैसला लेना पड़ा. मुझे तालिबान के सामने खड़ा रहना चाहिए. मैंने बीते 20 साल से अपनी जीवन यहां के लोगों को बचाने में बिताया है. मैंने अगर देश नहीं छोड़ा होता तो यहां की जनता के लिए अंजाम बुरे होते. तालिबानियों ने मुझे हटाया है. वो काबुल में यहां के लोगों पर हमले के लिए यहां आए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान ने हिंसा से लड़ाई जीत ली है. अब उनकी जिम्मेदारी है कि वो अफगानिस्तान के लोगों की रक्षा करे. गनी ने लिखा कि खूनखराबे से बचने के लिए मुझे अफगानिस्तान से जाना ही सही लगा.

तालिबान के काबुल पहुंचते ही पूरी तरह से अफरा-तफरी मच गई. तालिबान के खौफ से कई लोग अफगानिस्तान छोड़कर दूसरे देशों की शरण लेने के लिए मजबूर हो गए. काबुल एयरपोर्ट पर भी भारी भीड़ दिखाई दी.

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राष्ट्रपति पैलेस पर भी तालिबान का कब्जा

गनी के देश छोड़ने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति पैलेस को भी अपने कब्जे में ले लिया. अफगानिस्तान के स्थानीय मीडिया के मुताबिक, तालिबान के डिप्टी लीडर मुल्ला बरदार ने कहा कि उन्हें कभी ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वे इस तरह से वापसी करेंगे. तालिबानी नेता ने कहा कि अब उन लोगों का परीक्षण इस बात पर होगा कि वो कैसे अफगानिस्तान के लोगों के हितों की सुरक्षा करते हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक

UNSC  नार्वे और एसटोनिया की अपील के बाद आज सुबह दस बजे अफगानिस्तान के हालात को लेकर आपात बैठक करेगा. काउंसिल के डिप्लोमैट्स ने बताया कि यूएन सेक्रेटरी जनरल परिषद के सदस्यों को अफगानिस्तान के ताजा हालात के बारे में जानकारी देंगे. शुक्रवार को यूएन चीफ ने तालिबान से अपने आक्रामक रवैये को छोड़ने की अपील की थी और बातचीत करने के लिए कहा था ताकि लंबे गृह युद्ध को टाला जा सके.

 

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