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तालिबान ने खत्म किया 'महिला मंत्रालय', औरतों को कैसे मिलेगा हक?

अब एक कदम आगे बढ़कर तालिबान ने अफगानिस्तान में महिला मंत्रालय खत्म कर दिया है. इस मंत्रालय की जगह मिनिस्ट्री ऑफ प्रमोशन वर्च्यू एंड प्रिवेंशन ऑफ वाइस को सक्रिय कर दिया गया है. अब इस मंत्रालय के जरिए तालिबानी सरकार मोरल पुलिसिंग का काम करेगा.

तालिबान ने खत्म किया 'महिला मंत्रालय' तालिबान ने खत्म किया 'महिला मंत्रालय'
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST
  • तालिबान ने खत्म किया 'महिला मंत्रालय'
  • दूसरे मंत्रालय के जरिए मोरल पुलिसिंग का काम
  • महिलाओं का प्रदर्शन, बेरोजगारी का संकट

अफगानिस्तान में जब से तालिबान की सरकार बनी है, महिलाओं को लेकर जो फैसले हुए हैं उसने समाज के इस वर्ग में दहशत है. अभी अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए काम पर जाना मुश्किल है, स्कूली पढ़ाई करना चुनौती है और सरकार में शामिल करने से तो तालिबान पहले ही मना कर चुका है.

महिला मंत्रालय खत्म, अब आगे क्या?

अब एक कदम आगे बढ़कर तालिबान ने अफगानिस्तान में महिला मंत्रालय खत्म कर दिया है. इस मंत्रालय की जगह 'मिनिस्ट्री ऑफ प्रमोशन वर्च्यू एंड प्रिवेंशन ऑफ वाइस' को सक्रिय कर दिया गया है. अब इस मंत्रालय के जरिए तालिबानी सरकार मोरल पुलिसिंग का काम करेगा. जब 1996 में भी सरकार बनाई थी, तब इसी मंत्रालय के जरिए महिलाओं को तमाम तरह की बंदिशों में बांधा जाता था,शरिया कानून को उन पर थोपा जाता था. अब इतने सालों बाद फिर इस मंत्रालय की वापसी हो गई है.

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इससे पूर्व महिला मंत्रालय में काम करने वालीं महिलाए अब बता रही हैं कि वे बेरोजगार हो गई हैं. पहले तो उन्हें सिर्फ ऑफिस में एंट्री नहीं मिल रही थी, लेकिन अब वहां पर एक ताला लटका दिया गया है. उनकी एंट्री को ही बैन कर दिया गया है. इस वजह से कई महिलाएं अब परेशान हैं. परेशान इसलिए क्योंकि वे अपने घर में अकेले कमाई करने वाली हैं. ऐसे में अब जब ये मंत्रालय ही नहीं रहेगा तो तमाम तरह के काम भी खत्म हो जाएंगे.

नए मंत्रालय के जरिए क्या काम?

वहीं इसकी जगह जिस दूसरे मंत्रालय को सक्रिय किया जा रहा है, उसका काम लोगों को अनुशासन सिखाना है. उस मंत्रालय के जरिए समय-समय पर तालिबानी फरमान आते रहेंगे. बहाना जरूर शरिया कानून का दिया जाएगा, लेकिन एजेंडा पूरी तरह कट्टरपंथी तालिबान का रहेगा. इससे पहले तालिबान ने ही छठी से बारहवीं तक के स्कूल खोलने का फरमान सुनाया था, लेकिन वहां भी अपनी विचारधारा की झलक दिखा दी. तालिबान ने सिर्फ लड़कों के लिए स्कूल खोलने का फैसला लिया, लड़कियों की शिक्षा पर कोई फैसला नहीं लिया गया.

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