
अफगानिस्तान में तालिबान का महिलाओं पर जुल्म किसी से छिपा नहीं है. 20 साल पहले भी तालिबान महिलाओं के खिलाफ वहीं बर्बरता दिखाता था और आज भी उसकी सोच और हरकतें उस ओर इशारा करती हैं. अब आजतक ने अफगानिस्तान की दो ऐसी महिलाओं से बात की है जिन्होंने आगे बढ़कर काम करने की कोशिश तो की, लेकिन वे तालिबान की क्रूरता का शिकार हो लीं.
अफगान महिला की जुबानी तालिबान जुल्म की कहानी
पहले बात करते हैं खातिरा हाशमी की जो अफगानिस्तान में पुलिस फोर्स संग काम करती थीं. वे एक पुलिस इंस्पेक्टर थी. उन्हें अपने परिवार का पूरा साथ मिलता था. लेकिन फिर 2020 में तालिबान ने उन्हें धमकियां देना शुरू कर दिया. तालिबान को ये बात रास नहीं आ रही थी कि एक महिला पुलिस में कैसे काम कर सकती है. खातिरा के मुताबिक उनके पति को लगातार धमकियां दी जाती थीं. कहा जाता था कि अपनी पत्नी को बाहर काम करने से रोको.
लेकिन जब उन धमकियों के बावजूद भी खातिरा काम करती रहीं, तो तालिबान ने अपना असली चेहरा दिखा दिया. उसकी तरफ से उस महिला को सात गोलियां मार दी गईं. इस बेरहम आतंकी संगठन ने इसके बाद खातिरा की आंखें भी बाहर निकाल लीं. खातिरा को मरा हुआ समझकर वो तालिबान बीच सड़क पर छोड़कर चले गए. फिर पुलिस द्वारा ही खातिरा को एक अस्पताल ले जाया गया जहां पर उनका लंबे समय तक इलाज चला. अब उनकी जान तो बच गई लेकिन उन्होंने अपनी दोनों आंखें गंवा दीं.
चेहरा बिगाड़ा, हाथ काट दिए
अब दूसरी कहानी है अफगान पत्रकार शाहीन मोहम्मदी की जो इस समय भारत में शरण लेकर बैठी हैं. उनके साथ भी तालिबान ने भयंकर क्रूरता की है. वे बताती हैं कि उन्होंने लंबे समय तक अमरिका के लिए काम किया है. वे पेशे से पत्रकार हैं और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के संपर्क में रहती थीं. लेकिन जब तालिबान को इस बात की जानकारी मिली, उसने अपनी फिर जिहालत दिखाई और शाहीन मोहम्मदी का पूरा चेहरा बिगाड़ दिया. ऐसी हिंसा को अंजाम दिया गया कि आज शाहीन के आधे सिर पर कोई बाल नहीं बचे हैं, वहीं उन्होंने अपना चेहरा भी प्लास्टिक सर्जरी कर ठीक करवाया है.
शाहीन ने आजतक को बताया है कि तालिबान अल्लाह के नाम पर महिलाओं संग हर तरह का जुल्म करता है. उनके मुताबिक जिसने भी अमेरिका या फिर पुरानी सरकार संग काम किया है, तालिबान उन्हें नहीं बख्शता है. कई मौकों पर उनके हाथों को भी काट दिया जाता है. फिर उन कटे हुए हाथ को खौलते हुए तेल में फेंक दिया जाता है. ये तालिबान की वो क्रूरता है जो वो महिला और पुरुष दोनों के साथ कर रहा है.