
जो नोकांग जब 13 साल की हुई तब गांव के पुरुष उन्हें अपना शिकार बनाने के लिए उनके आसपास मंडराने लगे. वो कहती हैं, 'वो लोग मेरे पास आने लगे. डर से मैं घर पर ही रहती और कभी भी बाहर नहीं निकलती. मैं उन लड़कियों की तरह नहीं बनना चाहती थी जिनका पहले बलात्कार किया गया और फिर जबरन उनसे शादी भी कर ली गई.' अफ्रीकी देश युगांडा के करामोजा में लड़कियों के लिए स्कूल जाने के लिए भी घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है. वहां के पुरुष कम उम्र की लड़कियों का अपहरण कर उनका रेप करते हैं और फिर उनसे जबरदस्ती उन्हें अपने पास रखते हैं.
अफ्रीका के सबसे गरीब देशों में शामिल युगांडा के करामोजा में इसे विवाह कहा जाता है. यहां स्कूल जाती लड़कियां पुरुषों के निशाने पर रहती हैं.
करामोजा में युगांडा महिला वकील एसोसिएशन की क्रिस्टीन अकेलो द गार्डियन से कहती हैं, 'अपनी बच्चियों को बचाने के लिए माएं हमेशा उनके साथ ही रहती हैं लेकिन जब वो हर वक्त उनके साथ नहीं रह पाती तो बच्चियां स्कूल छोड़ देती है. कुछ माएं डर की वजह से अपनी बेटियों को स्कूल भेजना बंद कर देती हैं.'
यही कारण है कि जब ग्लोरिया नाकोंग सात साल की थी तब उन्होंने स्कूल जाने के बजाए दूसरे के घर में रहकर काम करना शुरू कर दिया. नोकांग जब बेहद छोटी थी तब उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद नोकांग की बहन उनकी देखभाल कर रही हैं.
नोकांग की बहन ने ही उन्हें घरेलू सहायिका की नौकरी पर लगवा दिया ताकि वो पुरुषों से बच सकें. सात साल की नोकांग स्कूल जाने के बजाए दूसरे बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने, उनकी देखभाल करने, खाना बनाने, साफ-सफाई में मदद का काम करने लगीं. वो अपने वजन से तीन गुना भारी पानी का कंटेनर भी उठाने लगीं. इसके बाद उनके परिवार ने धीरे-धीरे पैसे जुटाए और उसे कांगोले गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया.
पुरुष रात को लड़कियों के घर में घुसकर करते हैं दुर्व्यवहार
करामोजा की एक महिला मोनिका अलानी कहती हैं कि अगर नोकांग के परिवार ने पैसे जुटाकर उसे बोर्डिंग स्कूल नहीं भेजा होता तो 12 साल की नोकांग को अपने गले में मोतियों की माला और रंगीन स्कर्ट पहननी पड़ती. उसे एक पत्नी के सभी तौर-तरीके सीखने पड़ते और जब वो 15 साल को होती तब उसे अपने माता-पिता का घर छोड़कर लड़कियों के लिए बने सामुदायिक झोपड़ी में जाकर रहना पड़ता.
अलानी कहती हैं, 'हम करामोजा लोग हैं, हम अपनी संस्कृति को पसंद करते हैं, चाहे वो अच्छी हो या बुरी. लड़कियां जिन सामुदायिक झोपड़ियों में रह रही होती हैं, वहां पुरुष छापा मारते हैं और रात में लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करते हैं. अगर उस वक्त पुरुष अपने मंसूबे में नाकामयाब रहते हैं तब वो लड़कियों को स्कूल या बाजार जाते वक्त अपना निशाना बनाते हैं.
विक्टिम के साथ ही परिवार करता है मारपीट
करामोजा समुदाय के लोग पहले तो अपनी बच्चियों को घर से दूर रहने के लिए भेजते हैं और जब कोई पुरुष उनका रेप करता है तो वो विक्टिम को ही दोष देते हैं. अलानी कहती हैं, 'हमारा समुदाय लड़कियों को बलात्कार से नहीं बचाता लेकिन जब घर के लड़कों और पुरुषों को पता चलता है कि उनकी बहन या बेटी का रेप हुआ है तो वो लड़कियों को ही पीटने लगते हैं. वो कहते हैं कि लड़की ने अनुमति दी तभी उसका रेप हुआ.'
क्रिस्टीन अकेलो कहती हैं कि उनके समुदाय में लड़की से शादी के मकसद से रेप करना बेहद सामान्य है. वो कहती हैं, 'हमारे यहां कई महिलाओं की शादी ही शादी से पहले रेप के बाद हुई है. वो मानती हैं कि उनका रेप करना पुरुषों का अधिकार है और वो उनमें रुचि रखते हैं, इसलिए उनका रेप करते हैं. कुछ मामलों में तो परिवार ही अपने घर की लड़कियों के रेप में मदद करता है.'
परिवार ने ही लड़की के अपहरण में किया था मदद
ऐलिस नाकिरू 20 साल की थी जब परिवार का एक दोस्त उसके घर में घुस गया. वो उन्हें खींचकर अपने घर ले गया और बार-बार उनका रेप किया. नाकिरू को उसने कई दिनों तक अपने पास रखा. वो चिल्लाती रही, गिड़गिड़ाती रही लेकिन उन्हें बचाने कोई नहीं आया, उसका परिवार भी नहीं.
अब 32 साल की हो चुकी नाकिरू कहती हैं, 'इस तरह मैं उनकी पत्नी बन गई. मैं पहले अपने घर में अपनी दादी और चाचाओं की देखभाल करती थी और अब अपने पति और बच्चों की देखभाल करने लगी हूं.'
नाकिरू ने बताया कि जब उसके मां की मौत हुई तब उसने स्कूल छोड़ दिया था. वो तब से अपने छोटे चाचा के घर की देखभाल करने लगी लेकिन जब उसके चाचा की भी शादी हो गई और उसे नाकिरू की जरूरत खत्म हो गई तब उसने उसके अपहरण की व्यवस्था कराई और एक पारिवारिक दोस्त ने उसका अपहरण कर उसका रेप किया. अब वही उसका पति है.
वो कहती हैं, 'यहां हर कोई इसी तरह शादी करता है. अगर आप इसकी शिकायत के लिए पुलिस में जाएंगी तो पता चलेगा कि उसने भी किसी महिला का रेप कर जबरदस्ती उससे शादी की है.'
नाकोंग का कहना है कि अभी जो हो रहा है, भविष्य में लड़कियों के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए. रेप के अन्याय से बचने के लिए सभी लड़कियों को स्कूल जाकर शिक्षा लेना चाहिए ताकि वो अपने खिलाफ हो रहे दुर्व्यवहार का विरोध कर सकें. वह कहती हैं, 'स्कूल ही एकमात्र ऐसी जगह है जहां एक लड़की के रूप में आप सुरक्षित महसूस कर सकते हैं.'
बोर्डिंग स्कूल में लड़कियां सुरक्षित
कैथोलिक ननों की तरफ से चलाया जा रहा मोरोटो में कांगोले गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल पिछले 60 सालों से लड़कियों के लिए सुरक्षित पनाहगार रहा है.
स्कूल की प्रिंसिपल एम्मा वाचिरा कहती हैं, 'हमने अपना स्कूल समुदाय की लड़कियों के लिए खोला है और हम उन लड़कियों को अपने स्कूल तक लाने की कोशिश करते हैं जो स्कूल नहीं आ पाती हैं. हम उनके माता-पिता से बात करते हैं और उन्हें लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए मनाते हैं. यहां वो सुरक्षित हैं और उन्हें खाने-पीने के लिए भोजन भी मिलता है.'
युगांडा में बाल विवाह पर प्रतिबंध है लेकिन यहां की एक तिहाई से अधिक लड़कियों की शादी 18 साल से पहले कर दी जाती है. पूर्वी युगांडा में यह दर 50% से अधिक है.