Advertisement

40 दिन की समुद्री यात्रा और 26 की मौत, इंडोनेशिया जा रहे रोहिंग्या मुसलमानों की भयावह आपबीती

बांग्लादेश से भाग कर इंडोनेशिया जा रहे 200 रोहिंग्या मुसलमान भटकते हुए 40 दिनों के बाद इंडोनेशिया पहुंचे हैं. इस यात्रा के दौरान समूह में से 26 लोगों की मौत हो गई. बचे हुए यात्री भी भूख-प्यास के मारे इतने कमजोर हो चुके हैं कि चल-फिर नहीं पा रहे हैं.

सांकेतिक तस्वीर (फोटो -रॉयटर्स) सांकेतिक तस्वीर (फोटो -रॉयटर्स)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:46 PM IST

म्यांमार में लंबे समय से दमन का सामना कर रहे रोहिंग्या मुसलमानों से जुड़ी एक रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर सामने आई है. बिना पर्याप्त भोजन, बिना दवा और खराब इंजन के साथ एक महीने तक अंडमान सागर में भटकने के बाद लगभग 200 रोहिंग्या मुसलमान सोमवार को इंडोनेशिया पहुंचे हैं. 

इस यात्रा के दौरान कमजोरी और डिहाइड्रेशन की वजह से 26 लोगों की मौत हो गई. इस यात्रा में जो यात्री बच कर इंडोनेशिया पहुंचे हैं, वो इतने कमजोर हो चुके हैं कि वे मुश्किल से चल पा रहे हैं. 

Advertisement

इंडोनेशिया पहुंचने के बाद रोहिंग्या शरणार्थी एक स्थानीय मस्जिद में रात गुजार रहे हैं. बचे हुए एक यात्री रसित ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि इस यात्रा के दौरान लगभग 26 लोगों की मौत हो गई. जिसे समुद्र में ही फेंक दिया गया. 

मॉनसून खत्म होने के साथ ही हर साल हजारों रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार और बांग्लादेश स्थित अवैध शरणार्थी शिविरों से भागने लगते हैं. मानव तस्करों के माध्यम से ये लोग मलेशिया और इंडोनेशिया जाना पसंद करते हैं. लेकिन अक्सर ये लोग संयुक्त राष्ट्र घोषित ह्यूमन पिंग-पोंग में फंस जाते हैं. जहां से उन्हें वापस भेज दिया जाता है.

इंडोनेशिया के आचे (Aceh) तट पर पहुंचे शरणार्थियों के समूह ने बताया कि मलेशिया की ओर से जहाज को तट पर आने की अनुमति नहीं मिलने के बाद उन्होंने कई सप्ताह तट के किनारे ही गुजारे. स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, इस नाव में लगभग 174 लोग सवार थे. 

Advertisement

बांग्लादेश से आने में लगे 40 दिन 

बिना अपने परिवार के यात्रा कर रहे 14 वर्षीय उमर फारूक ने बताया कि बांग्लादेश से निकलने के 10 दिन बाद ही हमारा राशन खत्म हो गया. वहीं, नाव का इंजन सात दिनों के बाद खराब हो गया. जब हम मलेशिया पहुंचे तो उन्होंने हमें प्रवेश नहीं करने दिया.

फारूख ने कहा कि जब वे बांग्लादेश से चले थे, उस वक्त उनके पास केवल सात दिनों के लिए पीने का पानी और 10 दिनों के लिए ही भोजन था. लेकिन हमें यहां पहुंचने में कुल 40 दिन लग गए.

शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के अनुसार, पिछले दो महीनों में इंडोनेशिया पहुंचने वाली यह चौथी नाव है. वहीं, यूएनएचसीआर ने आशंका जताई है कि हिंद महासागर में एक नाव डूब जाने से लगभग 180 शरणार्थियों की मौत हो गई है.

2017 के बाद से रोहिंग्या की स्थिति दयनीय

म्यांमार में 2017 में हुई क्रूर सैन्य कार्रवाई के बाद से ही रोहिंग्या पर अत्याचार जारी है. लगभग दस लाख रोहिंग्या म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा के पास शिविरों में रहते हैं.

शिविरों में नौकरियों के अभाव और शिक्षा के कम अवसर होने के कारण हजारों लोग जान जोखिम में डालकर समुद्री रास्तों से इंडोनेशिया के लिए निकल जाते हैं. शिविरों से भागने का एक कारण म्यांमार सरकार की ओर से संचालित शिविरों में नहीं लौट पाना भी है.

Advertisement

इंडोनेशिया पहुंचे एक रोहिंग्या ने कहा कि बांग्लादेश में हमारा जीवन कठिन था. हमारे घर से बाहर जाने पर भी पाबंदी थी. बच्चों को भी स्कूल नहीं जाने दिया जाता था.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement