
कतर की एक कोर्ट ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई है. कतर से खबर आने के बाद इनके परिवार परेशान देखे जा रहे हैं और सरकार से रिहाई के प्रयास किए जाने की मांग कर रहे हैं. परिजन का कहना है कि बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं. उनका कोई दोष नहीं है. भारत सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और हमारे परिवार उनका इंतजार कर रहे हैं.
बता दें कि भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त, 2022 को कतर में गिरफ्तार किया गया था और वहां की कोर्ट ने गुरुवार को कथित जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई है. इस मामले में भारत सरकार का भी बयान आया है. सरकार ने कहा, हम कतर में फंसे भारतीय नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी कानूनी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा, हम नौसेना के इन 8 अफसरों को हरसंभव मदद मुहैया कराने के लिए तैयार हैं.
'आजीविका कमाने के लिए दोहा गए थे'
नौसेना के आठ पूर्व अफसरों में एक नाम सुगुनाकर पकाला का भी है. गुरुवार को सुगुनाकर के बहनोई सी कल्याण चक्रवर्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से रिहाई के लिए अपील की है. विजाग प्रेस क्लब में चक्रवर्ती ने कहा, ये सभी लोग 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं और वे अपनी आजीविका कमाने के लिए दोहा (कतर) गए थे. वे जासूसी क्यों करेंगे और उससे उन्हें क्या फायदा होगा? इसलिए मैं भारत सरकार से मेरे जीजाजी (पाकाला) और अन्य लोगों को भारत लाने का अनुरोध करता हूं.
'14 महीने से कतर की जेल में बंद हैं'
उन्होंने कहा, नौसेना के पूर्व अधिकारियों को पिछले 14 महीने से कतर की जेल में कैद करके रखा गया है. उन्होंने यह जानने की मांग की कि उन्हें वापस लाने में कितना समय लगेगा? चक्रवर्ती के अनुसार, कतर के अधिकारियों ने आठों लोगों को आधी रात में बेबुनियाद आरोप में गिरफ्तार कर लिया था. कतर ने इन पूर्व अफसरों की आपस में दोस्ताना बातचीत, फोन कॉल और भारत के सैन्य अधिकारियों से लिंक होने का संदेह जताया था. उन्होंने आरोप लगाया कि इसके पीछे भारत और कतर के दुश्मन देशों की चाल है.
'इजरायल के लिए जासूसी की खबरें निराधार'
चक्रवर्ती ने कहा, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कहते रहे कि ना तो मंत्रालय को इन लोगों के खिलाफ किसी आरोप की जानकारी दी गई और ना ही कतर ने उनकी कथित जासूसी का कोई सबूत पेश किया. उन्होंने कहा, इजराइल के लिए जासूसी की खबरें भी पूरी तरह से झूठी और निराधार हैं.
'रिहाई नहीं हुई तो विश्वास कैसे पैदा कर पाएगी सरकार'
उन्होंने सवाल किया कि इन लोगों के परिवारों को अंधेरे में क्यों रखा जा रहा है और अब मामले में आगे क्या होने वाला है. उन्होंने भारत से त्वरित और कठोर कदम उठाने की मांग की. चक्रवर्ती ने याद दिलाया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 8 दिसंबर, 2022 को संसद में कहा था कि इन आठ लोगों को वापस लाया जाएगा. उन्होंने पूछा, अगर सरकार इन लोगों को वापस लाने में विफल रहती है तो वह सेना के सदस्यों और पूर्व सैनिकों में विश्वास कैसे पैदा कर पाएगी.