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भारत और ईरान के बीच दोस्ती का नया 'बंदरगाह', जानिए चाबहार पोर्ट समझौते से जुड़ी 10 बातें

तेहरान में सोमवार भारत और ईरान के बीच दोस्ती का नया अध्याय लिखा गया. पीएम नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच चाबहार पोर्ट पर समझौते पर दस्तखत किए गए.

भारत-ईरान के बीच 12 समझौते हुए भारत-ईरान के बीच 12 समझौते हुए
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2016,
  • अपडेटेड 8:53 PM IST

तेहरान में सोमवार भारत और ईरान के बीच दोस्ती का नया अध्याय लिखा गया. पीएम नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच चाबहार पोर्ट पर समझौते पर दस्तखत किए गए. आखि‍र, यह समझौता पीएम मोदी के ईरान दौरे पर प्राथमिकता में क्यों रहा, यह भारत के लिए कितनी अहमियत रखता है?

ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत, अफगानिस्तान और ईरान के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते में चाबहार पोर्ट समझौता बेहद अहम है. पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के बरक्स चाबहार पोर्ट भारत के लिए अहम है. भारत ने सामरिक नजरिये से पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब दिया है.

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आइए जानते हैं इस बंदरगाह और समझौते से जुड़ी 10 बड़ी बातें -

1. चाबहार दक्षि‍ण पूर्व ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थि‍त एक बंदरगाह है, इसके जरिए भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान को बाइपास करके अफगानिस्तान के लिए रास्ता बनाएगा. यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि अफगानिस्तान की कोई भी सीमा समुद्र से नहीं‍ मिलती और भारत के साथ इस मुल्क के सुरक्षा संबंध और आर्थिक हित हैं.

2. फारस की खाड़ी के बाहर बसे इस बंदरगाह तक भारत के पश्चिमी समुद्री तट से पहुंचना आसान है. इस बंदरगाह के जरिये भारतीय सामानों के ट्रांसपोर्ट का खर्च और समय एक तिहाई कम हो जाएगा.

3. ईरान मध्य एशि‍या में और हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में बसे बाजारों तक आवागमन आसान बनाने के लिए चाबहार पोर्ट को एक ट्रांजिट हब के तौर पर विकसित करने की योजना बना रहा है.

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4. अरब सागर में पाकिस्तान ने ग्वादर पोर्ट के विकास के जरिए चीन को भारत के खिलाफ बड़ा सामरिक ठिकाना मुहैया कराया है, लिहाजा चाबहार पोर्ट को विकसित करते ही भारत को अफगानिस्तान और ईरान के लिए समुद्री रास्ते से व्यापार-कारोबार बढ़ाने का मौका मिलेगा, और सामरिक नजरिये से भी पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब मिल सकेगा क्योंकि चाबहार से ग्वादर की दूरी महज 60 मील है.

5. भारत उन मुल्कों में एक है जिनके ईरान से अच्छे व्यापारिक रिश्ते रहे हैं. चीन के बाद भारत ईरान के तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है.

6. चाबहार से ईरान के मौजूदा रोड नेटवर्क को अफगानिस्तान में जरांज तक जोड़ा जा सकता है जो बंदरगाह से 883 किलोमीटर दूर है. 2009 में भारत द्वारा बनाए गए जरांज-डेलारम रोड के जरिये अफगानिस्तान के गारलैंड हाइवे तक आवागमन आसान हो जाएगा. इस हाइवे से अफगानिस्तान के चार बड़े शहरों- हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ तक सड़क के जरिये पहुंचना आसान होता है.

7. इस बंदरगाह के विकास के लिए हालांकि 2003 में ही भारत और ईरान के बीच समझौता हुआ था. मोदी सरकार ने फरवरी 2016 में चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 150 मिलियन डॉलर के क्रेडिट लाइन को हरी झंडी दी थी.

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8. परमाणु कार्यक्रमों के चलते ईरान पर पश्चिमी देशों की ओर से पाबंदी लगा दिए जाने के बाद इस प्रोजेक्ट का काम धीमा हो गया. जनवरी 2016 में ये पाबंदियां हटाए जाने के बाद भारत ने इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया.

9. दुनिया में खपत होने वाले तेल का करीब पांचवां हिस्सा रोजाना इस जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है जो ओमान की खाड़ी और हिंद महासागर को फारस की खाड़ी से अलग करता है.

10. चाबहार पोर्ट प्रोजेक्ट के पहले चरण में भारत 200 मिलियन डॉलर से अधि‍क का निवेश करने जा रहा है. इसमें फरवरी में दिया गया 150 मिलियन डॉलर भी शामिल है. भारत इस प्रोजेक्ट पर 500 मिलियन डॉलर निवेश करेगा. 

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