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तालिबान पंजशीर को जीत लेगा, उस दिन घाटी में मेरा आखिरी दिन होगाः अहमद मसूद

पंजशीर में तालिबानी कब्जे को अहमद मसूद ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह पाकिस्तान और वहां की मीडिया की साजिश है. तालिबान से उनकी जंग जारी रहेगी.  

 रेसिस्टेंस फोर्स के मुखिया अहमद मसूद रेसिस्टेंस फोर्स के मुखिया अहमद मसूद
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:33 PM IST
  • रेसिस्टेंस फोर्स के मुखिया अहमद मसूद का बयान
  • कहा- ना थके हैं और ना किसी की धमकी से डरते हैं

अफगानिस्तान में एक तरफ तालिबान नई सरकार के ऐलान की तैयारी में है, वहीं दूसरी तरफ पंजशीर के शेर उसकी नाक में दम किए हुए हैं. भले तालिबान पंजशीर पर कब्जे के दावे कर रहा हो, लेकिन जो बयान पंजशीर की ओर से अब तक आए हैं, उससे लगता है कि तालिबना की राह में रोड़ा अटका हुआ है. 

पंजशीर को लेकर आ रहे तमाम बयानों के बीच रेसिस्टेंस फोर्स के मुखिया अहमद मसूद का बयान आया है. उन्होंने कहा कि जिस दिन तालिबान पंजशीर को जीत लेगा, उस दिन घाटी में मेरा आखिरी दिन होगा. पंजशीर में तालिबानी कब्जे को अहमद मसूद ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह पाकिस्तान और वहां की मीडिया की साजिश है. तालिबान से उनकी जंग जारी रहेगी.  

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News of Panjshir conquests is circulating on Pakistani media. This is a lie. Conquering Panjshir will be my last day in Panjshir, inshallah.

— Ahmad Massoud (@Mohsood123) September 3, 2021

वहीं, रेसिस्टेंस फोर्स के मुखिया ने फेसबुक पर लिखा- ''हम ईश्वर, आजादी और न्याय की लड़ाई कभी नहीं छोड़ेंगे.'' उन्होंने कहा कि न खुद से थकते हैं और न किसी धमकी से डरते हैं. असफलता तभी होती है जब आप अपने अधिकारों के लिए लड़ना छोड़ देते हैं और थक जाते हैं. 

वहीं, पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने भी पंजशीर पर कब्जे के दावे को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि लड़ाई जारी है और जारी रहेगी. मैं अपनी मिट्टी के साथ हूं और इसकी गरिमा की रक्षा कर रहा हूं. वहीं, पंजशीर से जुड़े एक ट्विटर अकाउंट में कहा गया कि पाकिस्तानी, रूस और चीन पंजशीर रेजिस्टेंस के खिलाफ प्रोपेगेंडा चला रहे हैं.

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बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार का गठन फिर टल गया है. सत्ता पाने के बाद भी तालिबान के सामने चुनौतियों का अंबार है. कई कबीले के सरदारों ने अभी से ही तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अलग-अलग कबीलों के के सरदारों में कुछ तालिबान के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं और कुछ तैयारी में हैं. इनमें कई नाम शामिल हैं. 


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