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मोदी और मैक्रों की दोस्ती... AI में अमेरिका-चीन के दबदबे के बीच फ्रांस ने भारत को क्यों चुना पार्टनर?

फ्रांस के राष्ट्रपति राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों का कहना है कि वह पीएम मोदी के साथ मिलकर टेक संप्रभुता को बढ़ावा देना चाहते हैं. वैश्विक स्तर पर टेक संप्रभुता उनका और पीएम मोदी का मुख्य एजेंडा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (फाइल फोटो) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 10:31 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय फ्रांस के दो दिवसीय दौरे पर हैं. फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचने पर राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने एलिसी पैलेस में उनका जोरदार स्वागत किया. पीएम मोदी के सम्मान में राष्ट्रपति मैक्रों ने डिनर की मेजबानी भी की. इस बीच आज पीएम मोदी AI Action Summit में हिस्सा लेंगे.

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के नेतृ्त्व में आज एआई समिट का आयोजन होगा. इस बार पीएम मोदी को एआई समिट की सह अध्यक्षता के लिए आमंत्रित किया गया है. लेकिन इस आयोजन की सह अध्यक्षता के लिए मोदी को ही क्यों आमंत्रित किया गया? 

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राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि वह पीएम मोदी के साथ मिलकर टेक संप्रभुता को बढ़ावा देना चाहते हैं. वैश्विक स्तर पर टेक संप्रभुता उनका और पीएम मोदी का मुख्य एजेंडा है.

मैक्रों ने कहा कि हम दृढ़ता से विश्वास करते हैं कि भारत और फ्रांस दो सशक्त देश हैं और हमारा संबंध बहुत घनिष्ठ हैं. हम अमेरिका और चीन के साथ काम करना चाहते हैं लेकिन किसी पर निर्भर नहीं होना चाहते. भारत एक उभरती हुई महाशक्ति है और यह हर साल दस लाख इंजीनियर प्रोड्यूस करता है जो कि संयुक्त रूप से यूरोप और अमेरिका से भी ज्यादा है.

उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से आत्मनिर्भरता चाहते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हमें अलग-थलग रहना चाहते हैं. हमें ऐसे पार्टनर्स की जरूरत है जिन पर हम बिना किसी निर्भरता के भरोसा कर सकें.

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AI खतरा नहीं मददगार बनेगा

मैक्रों का कहना है कि भारत और फ्रांस दो अग्रणी देश हैं लेकिन एआई के मामले में अमेरिका और चीन हमसे बहुत आगे हैं. इनके बाद फ्रांस, ब्रिटेन, भारत, संयुक्त अरब अमीरात और जर्मनी है. इसलिए हम एआई पर मिलकर काम करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के सामने भी यही चुनौती है कि एआई मार्केट में अमेरिका की पकड़ है और चीन की कुछ कंपनियों की भी यहां सशक्त मौजूदगी है. ऐसे में पीएम मोदी चाहते हैं कि इस नई तकनीक से भारत को लाभ हो.

राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि भारत के साथ मिलकर हम टेक्नोलॉजी संप्रभुता विकसित करेंगे. हम यहां लोगों को ट्रेनिंग देंगे. हम भारत और फ्रांस में डेटा सेंटर तैयार करेंगे और हमारी भाषाओं में लैंग्वेज मॉडल तैयार करेंगे. हम अमेरिका या चीन के मॉडल पर निर्भरता नहीं चाहते. इस दिशा में ग्लोबल साउथ बड़ा बाजार होगा.

भारत के साथ थर्ड फ्रंट बनाएंगे मैक्रों!

राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि तकनीक की इस प्रतिस्पर्धा में भारत और फ्रांस मिलकर थर्ड फ्रंट का खाका तैयार कर सकते हैं ताकि अमेरिका और चीन को टक्कर दी जा सके. 

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि एआई ही भविष्य है. इसलिए मैंने 2018 में इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी शुरू की थी. मैं चाहता हूं की हमारी भावी पीढ़ियां हमसे बेहतर एक बेहतर जिंदगी जी सके. 

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बता दें कि पीएम मोदी का यह फ्रांस का सातवां दौरा है. वह आखिरी बार 2023 में फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इससे पहले यह समिट 2024 में दक्षिण कोरिया और 2023 में ब्रिटेन में हुआ था. 

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