
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ब्रिक्स के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ गुरुवार से शुरू हुई बैठक में भाग लेने के लिए चीन में हैं. इस दौरान डोभाल ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की.
इस मुलाकात के बाद कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है. हालांकि मुलाकात से पहले अजीत डोभाल का कहना है कि सभी ब्रिक्स देशों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए.
वहीं ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में डोभाल ने कहा, 'हमें वैश्विक शांति और स्थिरता पर असर डालने वाले सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ब्रिक्स फोरम का आयोजन करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि उभरते हुए देशों के पांच सदस्यीय समूह को 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्व दिखाने' की जरूरत है.
चीन के स्टेट काउन्सलर यांग यिची की मेजबानी में हो रही बैठक में अपने संक्षिप्त भाषण में डोभाल ने कहा कि ब्रिक्स देशों को क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के कूटनीतिक मुद्दों पर नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए, खासतौर से उन क्षेत्रों में जहां उनकी 'आम राय' है. उन्होंने अपने भाषण में डोकलाम गतिरोध का कोई जिक्र नहीं किया.
सिक्किम सीमा के पास स्थित डोकलाम को लेकर जारी गतिरोध के बीच डोभाल ने इससे पहले यहां शुक्रवार को अपने चीनी समकक्ष यांग जिची से मुलाकात की. ये दोनों भारत-चीन सीमा तंत्र के विशेष प्रतिनिधि हैं.
चीन ने इस मुलाकात के बाद कहा था कि डोभाल और उनके चीनी समकक्ष यांग जिची ब्रिक्स NSA बैठक से इतर मिले और द्विपक्षीय संबंधों से जुड़ी 'प्रमुख समस्याओं' पर चर्चा की. माना जा रहा है कि इस बैठक में उन्होंने सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम इलाके में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध पर चर्चा की. हालांकि चीन ने डोकलाम में जारी तनातनी का कोई जिक्र नहीं किया.
वहीं डोभाल की इस चीन यात्रा के बीच चीनी मीडिया ने एक बार फिर डोकलाम मुद्दा उठाया है. ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है कि चीन डोकलाम के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा. लेख में कहा गया है कि अजीत डोभाल के चीन दौरे से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. चीन अपने रुख से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगा. चीन का कहना है कि चीन अभी भी अपने रुख पर कायम है कि पहले भारत को अपनी सेना को डोकलाम से पीछे हटाना चाहिए, उसके बाद ही शांति की कोई पहल हो सकती है.
इसके साथ ही चीन ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के मसले पर अड़ंगा लगाया है. चीन ने कहा है कि अगर भारत डोकलाम मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगा तो चीन जम्मू-कश्मीर के मुद्दे में दखल देगा. इससे पहले भी चीन ने कश्मीर के मसले में दखल देने की बात कही थी. चीन का कहना है कि भारत चीन और भूटान के मसले में तीसरी पार्टी के तौर पर दखल दे रहा है, अगर ऐसा ही होता रहा तो पाकिस्तान की अपील पर चीन भी इसी तरह से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दखल देगा. चीन ने जिक्र किया कि भूटान की ओर से भारत से कोई मदद नहीं मांगी गई थी, लेकिन भारत फिर भी इस मुद्दे में अपना अड़ंगा लगा रहा है.
बता दें कि चीन के साथ सिक्किम क्षेत्र में सैन्य गतिरोध को तकरीबन एक महीने हो गए हैं. इस बीच बीजेपी सरकार के तीन मंत्री भी चीन गए थे, लेकिन सैन्य गतिरोध पर कोई असर नहीं पड़ा. दूसरी ओर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होने के नाते डोभाल के हाथ में सुरक्षा संबंधी फैसला लेने का अधिकार है.
भारत में चीन के आर्थिक हित
अप्रैल 2000 से मार्च 2017 तक भारत में कुल हुए 332 अरब डॉलर के विदेशी निवेश में चीन की हिस्सेदारी महज 1.63 अरब डॉलर की रही है. वर्ष 2010-11 में चीन ने भारत में केवल 20 लाख डॉलर का निवेश किया था. उस साल भारत में हुए 14 अरब डॉलर के एफडीआई को देखें तो चीन का निवेश बहुत ही कम था. साल 2014-15 में यह 49.5 करोड़ डॉलर था तो 2015-16 में 46.1 करोड़ डॉलर रहा था. 2014-15 में भारत में कुल 31 अरब डॉलर और 2015-16 में 40 अरब डॉलर का एफडीआई आया था.
पांच ब्रिक्स देशों के कर प्राधिकरणों ने कर मामलों में सहयोग बढ़ाने के लिये व्यवस्था स्थापित करने को लेकर ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए. समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार ब्रिक्स कराधान सहयोग ज्ञापन (ब्रिक्स टैक्सेशन कोअपरेशन ममोरेंडम) पर संगठन के कर प्राधिकरणों की पांचवीं बैंठक के दौरान हस्ताक्षर किये गए. यह ब्रिक्स का पहला दस्तावेज है जो संस्थागत स्तर पर कर मामलों में सहयोग बढ़ाएगा.
सभी पक्ष कर संबंधी सूचना के आदान-प्रदान, विचार-विमर्श प्रक्रिया में सुधार, कराधान क्षमता मजबूत बनाने तथा कर नीतियों एवं कर संग्रह में तालमेल के लिये सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए. यह बैठक चीन के फुजियान प्रांत के शीमेन शहर में तीन-पांच सितंबर को होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुई है. ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, जिनमें दुनिया की 42 प्रतिशत आबादी रहती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में उनका योगदान 23 प्रतिशत है.