
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं. उनके दौरे के बीच ही नए संसद भवन में लगाई गए 'अखंड भारत' की एक तस्वीर से नेपाल में विवाद खड़ा हो गया है. नए संसद भवन में लगी तस्वीर वास्तव में एक भित्ति चित्र है जिसे 'अखंड भारत' का नक्शा कहा जा रहा है. इस नक्शे में गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी (नेपाल) को भी 'अखंड भारत' के हिस्से के रूप में दिखाया गया है जिससे नेपाल के राजनीतिक दल भड़क गए हैं.
नेपाल के लोगों का कहना है कि संसद भवन में लगी भित्ति चित्र में गौतम बुद्ध के जन्मस्थान को दिखाए जाने से ऐसा प्रतीत होता है कि भारत इस क्षेत्र पर अपना दावा कर रहा है. नेपाल अपने मानचित्र में लुंबिनी को मुख्य सांस्कृतिक केंद्रों में से एक मानता है.
'भरोसे की कमी'
भित्ति चित्र को लेकर नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने एक बयान में कहा कि इससे दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी हो सकती है.
उन्होंने एक बयान में कहा, 'भारत के नए संसद भवन में अखंड भारत का विवादित भित्ति चित्र नेपाल सहित पड़ोसी देशों में गैर-जरूरी और हानिकारक कूटनीतिक विवाद को भड़का सकता है. भारत के अधिकांश निकटतम पड़ोसियों के बीच पहले से ही विश्वास की कमी है जिसके कारण द्विपक्षीय संबंध खराब हो रहे हैं. इस विवाद से इसमें और बढ़ोतरी होने की संभावना है.'
नए संसद में लगी भित्ति चित्र ने नेपाल का ध्यान तब खींचा जब 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्धाटन किया. संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भित्ति चित्र को 'अखंड भारत' कहा.
गुरुवार को नेपाली पीएम प्रचंड ने पीएम मोदी से द्विपक्षीय वार्ता की थी और इसके बाद से ही नेपाली मीडिया में भित्ति चित्र का मुद्दा छाया हुआ है.
नए संसद भवन में लगे 'अखंड भारत' की भित्ति चित्र में प्राचीन भारत को दिखाया गया है. उत्तर में मानसहरी तक्षशिला से लेकर, उत्तर-पश्चिम में पुरुषपुर और उत्तर-पूर्व में कामरूप तक के इलाके शामिल हैं.
पाकिस्तान भी भड़का
नए संसद भवन में 'अखंड भारत' की भित्ति चित्र को लेकर नेपाल ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. गुरुवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने इस पर खेद व्यक्त किया. उन्होंने कहा, 'भित्ति चित्र को अखंड भारत से जोड़ने को लेकर एक केंद्रीय मंत्री समेत बीजेपी नेताओं के बयान से हम स्तब्ध हैं.'
प्रवक्ता ने कहा कि अखंड भारत का अनावश्यक दावा भारत की विस्तारवादी मानसिकता को दिखाता है. यह बताता है कि भारत न केवल अपने पड़ोसी देशों बल्कि अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों की पहचान और संस्कृति को भी अपना गुलाम बनाना चाहता है.
उन्होंने आगे कहा, 'यह गंभीर चिंता का विषय है कि अखंड भारत के विचार को भारत की सत्तारूढ़ पार्टी के लोग तेजी से फैला रहे हैं. भारतीय नेताओं को हम अच्छे से सलाह दे रहे हैं कि वो अपने विभाजनकारी और संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे देशों के खिलाफ बयानबाजी न करें.'
उन्होंने कहा कि विस्तारवादी नीति अपनाने के बजाए भारत को अपने पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद को सुलझाना चाहिए, एक शांतिपूर्ण और समृद्ध दक्षिण एशिया के निर्माण के लिए काम करना चाहिए.
'अखंड भारत' की अवधारणा
'अखंड भारत' एक एकीकृत भारत की अवधारणा के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है. इसमें दावा किया जाता है कि वर्तमान अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका 'अखंड भारत' का हिस्सा थे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे में अखंड भारत हमेशा से ऊपर रहा है. आरएसएस के 'अखंड भारत' में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका और तिब्बत शामिल हैं. संघ का मानना है कि यह क्षेत्र हिंदू सांस्कृतिक समानताओं के आधार पर बना एक राष्ट्र है.
सावरकर की नजरों में 'अखंड भारत'
आरएसएस के अखंड भारत के विचार के जनक विनायक दामोदर सावरकर को माना जाता है. सावरकर ने 1937 में हिंदू महासभा की 19वीं वर्षगांठ पर अखंड भारत की अवधारणा को विस्तृत तरीके से बताया था. उन्होंने कहा था, 'हिंदुस्तान को अखंड रहना चाहिए. इसमें कश्मीर से रामेश्वरम तक, सिंध से असम तक शामिल है.'
1949 में कोलकाता में RSS के तत्कालीन सरसंघचालक सदाशिव गोलवलकर ने भी इसी तरह का कुछ बयान दिया था. उन्होंने कहा था, 'पाकिस्तान एक अनिश्चित राष्ट्र है. ऐसे में उसे मिलाकर अखंड भारत बनाने का प्रयास करना चाहिए.'
RSS के संयुक्त महासचिव मनमोहन वैद्य ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 'अखंड भारत' की अवधारणा भू-राजनीतिक नहीं बल्कि भू-सांस्कृतिक है. उन्होंने कहा था, 'सालों पहले जब ब्रिटेन ने हम पर कब्जा कर हमारे पूरे क्षेत्र का विभाजन नहीं किया था तब हम सभी लोग एक थे. हम सब सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और आध्यात्मिकता पर आधारित जीवन को लेकर हमारे मूल्य एक ही थे.'
अखंड भारत को लेकर RSS प्रमुख का बयान
पिछले साल संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अखंड भारत को लेकर एक बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था, 'वैसे तो 20 से 25 सालों में भारत अखंड भारत होगा लेकिन अगर हम थोड़ा सा प्रयास करेंगे तो स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद के सपनों का अखंड भारत 10 से 15 साल में ही बन जाएगा. इसे कोई रोकने वाला नहीं है, जो इसके रास्ते में आएंगे, वो मिट जाएंगे.'
नया नहीं है नेपाल और भारत का नक्शा विवाद
भारत और नेपाल के बीच नक्शे को लेकर विवाद कोई नया नहीं है. इससे पहले भी कालापानी के नक्शे को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद हो चुका है. नवंबर 2019 में भारत ने कालापानी को उत्तराखंड के हिस्से के रूप में दिखाते हुए एक मानचित्र प्रकाशित किया था. प्रतिक्रिया में नेपाल ने भी एक नक्शा जारी किया था और उसमें कालापानी को अपना हिस्सा बताया था.
हालांकि, दोनों देश इस तरह के विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने पर जोर देते रहे हैं. पीएम मोदी और पीएम प्रचंड ने भी अपने द्विपक्षीय मुलाकात के बाद कहा कि सीमा विवाद को मित्रता की भावना के साथ कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाएगा.