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'हम अपनी जमीन लेकर रहेंगे जो अमेरिकियों-अंग्रेजों ने हड़प ली...', गाजा पर कार्रवाई से फिलिस्तीनी नाराज

अपनी बात रखते हुए हसन मुराद ने कहा कि, फिलिस्तीनी लोग अपनी मातृभूमि को आजाद कराने के लिए अपनी हर कीमती चीज का बलिदान दे रहे हैं. फिलिस्तीन की भूमि को ज़ायोनी कब्ज़ाधारियों ने पचहत्तर वर्षों से हड़प रखा है. बहुत से फिलिस्तीनी पहले ही शहीद हो चुके हैं और आज उन्हें पूरी जनता का समर्थन प्राप्त है.

गाजा पर हो रहे हमले से फिलिस्तीनियों में गुस्सा गाजा पर हो रहे हमले से फिलिस्तीनियों में गुस्सा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

पिछले चार दिनों से गाजा में जो हो रहा है उसे लेकर दुनिया भर के फिलिस्तीनियों में गुस्सा है. फ़िलिस्तीनियों के बीच हम यह भी कह सकते हैं कि फ़िलिस्तीन का समर्थन करने वाले खाड़ी देशों के मुसलमान भी नाराज़ हैं. आज तक ने इसी बीच दो फिलिस्तीनी लड़ाकों से भी बात की. फ़िलिस्तीन सेनानियों के अल फ़तेह समूह में शामिल रहे हसन मुराद और वलीद से ताजा हालातों पर बातें हुईं. ये दोनों ही फाइटर्स साल 2006 के शुरुआती युद्ध में लेबनान में इज़राइल के साथ लड़े थे और अब यहां लेबनान शरणार्थी शिविर में हैं.

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'हम फिलिस्तीनी एकता के साथ खड़े'
अपनी बात रखते हुए हसन मुराद ने कहा कि, फिलिस्तीनी लोग अपनी मातृभूमि को आजाद कराने के लिए अपनी हर कीमती चीज का बलिदान दे रहे हैं. फिलिस्तीन की भूमि को ज़ायोनी कब्ज़ाधारियों ने पचहत्तर वर्षों से हड़प रखा है. बहुत से फिलिस्तीनी पहले ही शहीद हो चुके हैं और आज उन्हें पूरी जनता का समर्थन प्राप्त है. हमारा जीवन फ़िलिस्तीन की भूमि की धूल का एक कण भी नहीं है, क्योंकि यह ईश्वर का वादा है.

'अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराना है लक्ष्य'
हमने अपने भगवान से वादा किया था कि हम अपनी जमीन वापस ले लेंगे जो अमेरिकियों और अंग्रेजों ने हड़प ली है. हमने अपने देश को आजाद कराने के लिए अपना खून और कीमती चीजें दे दी हैं.' हमें अरब लोगों का नैतिक समर्थन भी प्राप्त है. हम फ़िलिस्तीनी एकता के साथ खड़े हैं. एक शरणार्थी के रूप में हम वतन लौटना चाहते हैं. आज हम लेबनान की धरती पर रह रहे हैं, यह हमारा दूसरा देश है. दोनों देश खून के साझीदार और संघर्ष के साझीदार हैं, हम अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराना चाहते हैं.

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वहीं वलीद ने कहा कि आज गाजा में जो कुछ भी हो रहा है, उससे मैं बहुत दुखी हूं. गाजा संघर्ष के बाद उनकी केवल आवासीय इमारतें रह जाएंगी, जिनमें कोई निवासी नहीं होगा, कोई बच्चे नहीं होंगे. 

जो लोग 1978 के दौर में फिलिस्तीन के लड़ाकों के साथ थे और जिन्होंने लेबनान में बैठकर इजराइल के खिलाफ लड़ाई लड़ी, चाहे वह 1997 हो या 2006, अब वे कहते हैं कि इजराइल ने जो कुछ किया है; इसका हिसाब देना होगा.
 

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