
'यूरोप का अंतिम तानाशाह' के नाम से मशहूर और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने मंगलवार को अपने सातवें कार्यकाल के लिए शपथ ली. इसके साथ ही उन्होंने उन लोगों, खासकर पश्चिमी देशों का मजाक उड़ाया जो उन्हें तानाशाह कहते हैं. लुकाशेंको ने कहा कि उनके देश में उन लोगों की तुलना में अधिक लोकतंत्र है, जो खुद को लोकतंत्र का मॉडल मानते हैं.
70 साल के लुकाशेंको ने राजधानी मिंस्क स्थित राष्ट्रपति भवन Independence Palace में अपने उद्घाटन भाषण में पश्चिमी देशों पर व्यंगात्मक टिप्पणी करते हुए कहा, 'आधी दुनिया हमारी 'तानाशाही', हमारे लोगों की संपन्नता और हितों की तानाशाही का सपना देख रही है.'
लुकाशेंको ने पिछले साल सत्ता में तीन दशक पूरे किए और उनके राजनीतिक विरोधियों ने 26 जनवरी को हुए चुनाव को एक तमाशा करार दिया. बेलारूस के केंद्रीय चुनाव आयोग ने घोषणा की कि उन्होंने लगभग 87 प्रतिशत वोटों के साथ जीत हासिल की है. चुनाव में उनके खिलाफ चार प्रतीकात्मक राष्ट्रपति उम्मीदवार खड़े थे जो लुकाशेंको को वफादार माने जाते हैं और जिन्होंने उनके शासन की प्रशंसा की है.
2020 में लुकाशेंको के खिलाफ हुए थे विरोध प्रदर्शन
बेलारूस के राष्ट्रपति ने विपक्ष के लगभग सभी नेताओं को जेल में डाल दिया है या वो विदेशों में निर्वासन में रह रहे हैं. 2020 में जब लुकाशेंको ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता था तब लगभग 90 लाख लोगों ने कई महीनों तक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था जिसे क्रूरता से दबा दिया गया. 65,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, हजारों लोगों को पुलिस ने पीटा, स्वतंत्र मीडिया आउटलेट और एनजीओ को बंद कर दिया गया और उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया. लुकाशेंको के इस कदम की पश्चिमी देशों ने काफी आलोचना की और बेलारूस पर कई प्रतिबंध लगाए.
लुकाशेंको ने अपने आलोचकों को बताया विदेशी गुलाम
मंगलवार के शपथ ग्रहण समारोह में हजारों की संख्या में लुकाशेंको के समर्थक मौजूद थे. अपने भाषण में उन्होंने अपने आलोचकों को विदेशी गुलाम बताकर उनकी निंदा की.
उन्होंने आलोचकों और पश्चिमी देशों को निशाना बनाते हुए कहा, 'आपको जनता का समर्थन नहीं है और न ही मिलेगा, आपका कोई भविष्य नहीं है. हमारे पास उन लोगों की तुलना में ज्यादा लोकतंत्र है जो खुद को इसका मॉडल मानते हैं.'
बेलारूस के एक्टिविस्ट्स का कहना है कि वहां 1,200 से अधिक राजनीतिक कैदी बंद हैं, जिनमें नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और वियासना मानवाधिकार केंद्र के संस्थापक एलेस बियालियात्स्की भी शामिल हैं.
वियासना और बेलारूस के 10 अन्य मानवाधिकार समूहों ने लुकाशेंको की जीत पर मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, 'यह चुनाव भारी मानवाधिकार संकट के बीच, नागरिक समाज, स्वतंत्र मीडिया, विपक्ष और असहमति के खिलाफ दमन के कारण पैदा हुए डर के माहौल में हुआ है.' बयान में कहा गया कि लुकाशेंको का सत्ता पर कब्जा अवैध है.
निर्दयी और शक्की मिजाज के हैं लुकाशेंको
लुकाशेंको का जन्म 1954 में बेलारूस के उत्तरी शहर Kopys में हुआ था. वो बताते हैं कि स्कूल के दिनों में वो बेहद शरारती हुआ करते थे. राष्ट्रपति बनने से पहले वो एक सोवियत सुअर फार्म में मैनेजर का काम करते थे.
पर्यवेक्षकों और उनके नीचे काम करने वालों का कहना है कि लुकाशेंको निर्दयी हैं और शक्की मिजाज के हैं.
बेलारूस के 2009 से 2012 तक निर्वासित रहे पूर्व संस्कृति मंत्री पावेल लातुश्का ने कहा, 'कोई अगर उस आदमी (लुकाशेंको) के खिलाफ जाता है तो वो उसे मारने का आदेश देने की भी क्षमता रखता है.'
2024 में रूसी प्रोपेगैंडा के प्रचारक माने जाने वाले व्लादिमीर सोलोविओव के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात को दोहराते हुए कहा, 'एक बार मेरी उनसे बातचीत हो रही थी जहां उन्होंने मुझसे साफ कहा कि अगर तुम मुझे धोखा दोगे तो मैं अपने हाथों से तुम्हारा गला घोंट दूंगा.'
लुकाशेंको 1994 से ही बेलारूस की सत्ता पर काबिज है. माना जाता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने वाली सब्सिडी और राजनीतिक समर्थन के बल पर वो तीन दशक से भी अधिक वक्त से सत्ता में बने हुए हैं. 2020 के विरोध प्रदर्शनों को दबाने में भी लुकाशेंको को रूस की मदद मिली थी.
फरवरी 2022 में लुकाशेंको ने रूस को यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए बेलारूस के क्षेत्र को इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी और बाद में रूस ने अपने कुछ परमाणु हथियारों को भी बेलारूस में तैनात किया था.
पश्चिमी देशों से संबंध सुधारने के इच्छुक हैं लुकाशेंको
बेलारूस पश्चिमी देशों के बड़े आलोचक रहे हैं लेकिन कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि वो अब पश्चिम के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर सकते हैं.
स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषक वालेरी कार्बालेविच ने समाचार एजेंसी एपी से बातचीत में कहा, 'लुकाशेंको पश्चिमी देशों से बातचीत शुरू करने की अपनी तत्परता और संबंधों को सामान्य बनाने की अपनी इच्छा के बारे में पहले भी बता चुके हैं ताकि अपने सातवें कार्यकाल के दौरान रूस पर निर्भरता कम हो सके और पश्चिमी प्रतिबंधों को नरम किया जा सके.'