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दो हत्यारे, 3 गोलियां और भारत के दुश्मन का काम तमाम... 11 साल बाद ऐसे हुआ सरबजीत सिंह के हत्यारे अमीर सरफराज का खात्मा

सरबजीत सिंह के हत्यारे को पाकिस्तान में 'अज्ञात' हमलावरों ने मार गिराया है. सरबजीत की हत्या का मामला वैसे तो 11 साल पुराना है, लेकिन अब उनके हत्यारे अमीर सरफराज तांबा के मर्डर के बाद एक बार फिर यह केस लोगों के जहन में आ गया है.

Amir Sarfaraz Tamba Amir Sarfaraz Tamba
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST

पाकिस्तान की जेल में सजा काट रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की ग्यारह साल पहले ISI के इशारे पर जेल में हत्या कर दी गई थी. साल 2013 में सरबजीत पर जेल के अंदर हमला हुआ. पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में हाफिज सईद के करीबी अमीर सरफराज तांबा ने पॉलीथीन से गला घोंटकर और पीट-पीटकर सरबजीत को मौत के घाट उतार दिया था.

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सरबजीत की हत्या का मामला 11 साल बाद चर्चा में इसलिए है, क्योंकि उन्हें तड़पा-तड़पाकर मौत के घाट उतारने वाले आंतकी हाफिज सईद के बेहद खास अमीर सरफराज तांबा को 'अज्ञात हमलावरों' ने पाकिस्तान में गोलियों से भून डाला है. तांबा पर जब अटैक हुआ, तब वह अपने घर में ही बैठा हुआ था. दो हमलावर बाइक पर आए और उन्होंने दरवाजा खोलते ही अमीर सरफराज को गोलियों से भून डाला. गोलीबारी में अमीर सरफराज को 3 गोलियां लगीं और उसकी मौत हो गई.

रिपोर्ट्स के मुताबिक अमीर सरफराज तांबा का घर लाहौर के घनी आबादी वाले इलाके सनंत नगर में है. हमले को अंजाम देने आए हमलावर बाइक पर सवार होकर आए थे, उन्होंने तांबा पर ताबड़तोड़ फायरिंग की. उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. तांबा की छाती और पैरों पर गोलियों के निशान हैं.

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तांबा के भाई ने पुलिस को क्या बताया

अमीर सरफराज तांबा के भाई जुनैद सरफराज ने पुलिस को बताया,'घटना के समय मैं अपने बड़े भाई अमीर सरफराज तांबा के साथ रविवार को अपने लाहौर के सनंत नगर वाले घर पर था. मैं ग्राउंड फ्लोर पर था, जबकि बड़े भाई ऊपरी हिस्से में थे. अचानक दोपहर 12.40 बजे घर का मैन गेट खुला. दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवार आए. एक ने हेलमेट पहना हुआ था और दूसरे ने चेहरे पर मास्क लगा रखा था. घर में घुसते ही दोनों ऊपरी हिस्से की तरफ भागे.

सरबजीत को मारने पर मिला था ईनाम

सरफराज के भाई जुनैद ने आगे बताया,'दोनों हमलावरों ने घर के ऊपरी हिस्से में पहुंचकर तांबा पर 3 गोलियां चलाईं और वहां से भाग निकले. मैं ऊपरी मंजिल पर पहुंचा तो वहां भाई खून से लथपथ पड़े थे.' बता दें कि अमीर सरफराज तांबा को सरबजीत सिंह की हत्या के बाद सम्मानित भी किया गया था. बताया जाता है कि उसे 'लाहौर का असली डॉन' कहकर बुलाया जाता था.

अनजाने में PAK पहुंच गए थे सरबजीत

सरबजीत सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव के रहने वाले ‍किसान थे. 30 अगस्त 1990 को वह अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गए थे. यहां उनको पाकिस्तान सेना ने गिरफ्तार कर लिया. तब उनकी उम्र 26 साल थी. खुद को बेगुनाह बताते हुए सरबजीत ने एक चिट्ठी में लिखा था कि 'मैं एक बहुत ही गरीब किसान हूं और मेरी गिरफ्तारी गलत पहचान की वजह से की गई है. 28 अगस्त 1990 की रात मैं बुरी तरह शराब के नशे में धुत था और चलता हुआ बॉर्डर से आगे निकल गया. मैं जब बॉर्डर पर पकड़ा गया तो मुझे बेरहमी से पीटा गया. मैं इतना भी नहीं देख सकता था कि मुझे कौन मार रहा है. मुझे चेन में बांध दिया गया और आंखों पर पट्टी बांध दी गई'.

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महीनों तक खाने में कुछ मिलाकर दिया गया

भारतीय नागरिक सरबजीत पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में रहते हुए भारत भेजी अपनी चिट्ठी में लिखा था, 'मुझे पिछले दो तीन महीनों से खाने में कुछ मिलाकर दिया जा रहा है. इसे खाने से मेरा शरीर गलता जा रहा है. मेरे बाएं हाथ में बहुत दर्द हो रहा है और दाहिना पैर लगातार कमजोर होता जा रहा है. खाना जहर जैसा है. इसे ना तो खाना संभव है, ना खाने के बाद पचाना संभव है'.

मुश्किल में गुजरा सरबजीत का अंतिम समय

सरबजीत ने चिट्ठी तब लिखी थी, जब लाहौर के कोट लखपत जेल में दर्द बर्दाश्त से बाहर हो गया था, लेकिन जेल अफसरों का कसाई से भी बदतर व्यवहार जारी था. सरबजीत ने जेल में धीमा जहर देने की आशंका जताते हुए लिखा था कि 'जब भी मेरा दर्द बर्दाश्त से बाहर होता है और मैं जेल अधिकारियों से दर्द की दवा मांगता हूं तो मेरा मजाक उड़ाया जाता है. मुझे पागल ठहराने की पूरी कोशिश की जाती है. मुझे एकांत कोठरी में डाल दिया गया है और मेरे लिए रिहाई का एक दिन भी इंतजार करना मुश्किल हो गया है'.

हाफिज का खास था आतंकी

सवाल उठ रहे हैं कि कहीं इस हत्या के पीछे की ISI की सोची समझी साजिश तो नहीं, क्योंकि वो सरबजीत का कातिल था, और उसे ISI के कई राज पता थे. भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की हत्या के बाद से अमीर का लाहौर में रसूख बढ़ गया था. हमेशा उसके आस-पास सुरक्षाकर्मी तैनात होते थे. ISI ने उसे सुरक्षा मुहैया कराई थी, लेकिन उसे अज्ञात हमलावरों ने मार गिराया. अमीर सरफराज लश्कर प्रमुख हाफिज सईद का बेहद खास था. लिहाजा इस हत्याकांड के बाद से लश्कर के टॉप आतंकी दहशत में हैं.

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