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बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका की चीनी सेना से पहली बातचीत, क्या हैं मायने?

पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि चीनी सेना संग एक अहम बातचीत हुई है. बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद ये पहली वार्ता है जिसके जरिए दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का प्रयास किया गया है.

अमेरिका की चीनी सेना संग बातचीत (Reuters) अमेरिका की चीनी सेना संग बातचीत (Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 9:17 AM IST
  • अमेरिका की चीनी सेना संग बातचीत
  • कई मुद्दों पर टकराव, समाधान निकालने का प्रयास

अमेरिका और चीन के रिश्ते पिछले कई सालों से तल्ख चल रहे हैं. सिर्फ मुद्दे बदलते हैं लेकिन विवाद और दूरियां बढ़ती जाती हैं. फिर चाहे साउथ चाइना सी पर बात हो या बात हो ताइवान मुद्दे पर, अमेरिका और चीन हमेशा आमने-सामने रहते हैं. अब उस टकराव के बीच अमेरिका और चीनी सेना के बीच एक अहम बातचीत हुई है. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद ये पहली ऐसी वार्ता है.

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अमेरिका की चीनी सेना संग बातचीत

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया है कि चीनी सेना संग एक अहम बातचीत हुई है. बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद ये पहली वार्ता है जिसके जरिए दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने का प्रयास किया गया है. इस समय एशिया में अमेरिका, चीन को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी मानता है. ताइवान पर टकराव है, Xinjiang और हॉन्ग कॉन्ग में मानव अधिकारों का उल्लंघन है, ऐसे में अब इस बातचीत के जरिए इन्हीं मुद्दों पर तल्खी को कम करने पर जोर दिया गया है.

लेकिन इस बातचीत में अभी तक अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने हिस्सा नहीं लिया है. बताया जा रहा है कि अंत तक इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि चीन की तरफ से बातचीत का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है, ऐसे में अमेरिकी रक्षा मंत्री ने भी दूरी बनाकर रखी. लेकिन गुरुवार को उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने जरूर बड़ा बयान दिया है. कहा गया है कि चीन से हर मुद्दे पर बात की जाएगी और विवाद को सुलझाने का प्रयास रहेगा.

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कई मुद्दों पर टकराव, निकलेगा समाधान?

वे कहती हैं कि चीन संग हर प्रकार के कंपटीशन का हम स्वागत करते हैं, लेकिन अब टकराव की स्थिति से बचना चाहिए. लेकिन साउथ चाइना सी को लेकर हम चीन के सामने अपनी चिंताएं व्यक्त करते रहेंगे. जानकारी के लिए बता दें कि साउथ चाइना सी पर चीन, वियतनाम, मलेशिया और ताइवान अपना हक जमाते रहते हैं. वहां की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कोई भी किसी देश का एकाधिकार नहीं चाहता है. यही वजह है कि चीन संग इस मुद्दे पर अमेरिका के अलावा दूसरे देशों का भी टकराव है.

चीन के खिलाफ अमेरिकी रणनीति की बात करें तो जो बाइडेन ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन संग उनके देश का इस सदी का सबसे बड़ा 'जियो पॉलिटिकल टेस्ट' है. ऐसे में कई दूसरे देशों संग हाथ मिलाया जा रहा है, समझौते हो रहे हैं, पूरी कोशिश है कि चीन को अकेला कर दिया जाए.

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