Advertisement

Nancy Pelosi in Taiwan: पूरी दुनिया में हलचल, धमकी के बावजूद ताइवान पहुंचीं US स्पीकर, मंडरा रहे चीनी फाइटर जेट

Nancy Pelosi in Taiwan: चीन की धमकी के बावजूद US स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं. नैंसी के इस दौरे पर दुनिया की नजर है, वहीं चीन इससे बौखला गया है. चीन ने धमकी दी है कि अब इसका परिणाम अमेरिका और ताइवान की स्वतंत्रता की मांग करने वाली 'अलगाववादी ताकतों' को चुकाना होगा.

नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं (फाइल फोटो) नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • ताइपे,
  • 02 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:54 PM IST

Nancy Pelosi in Taiwan: चीन की धमकियों के बीच अमेरिकी सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं. उनका प्लेन ताइपे के एयरपोर्ट पर उतरते ही चीन और बौखला गया. चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिका खतरनाक जुआ खेल रहा है और अब जो गंभीर परिणाम होंगे उसकी जिम्मेदारी अमेरिका को लेनी होगी.

चीन लगातार नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे का विरोध कर रहा था. चीन का कहना है कि अमेरिका अबतक 'वन चाइना' के सिद्धांत को फॉलो करता रहा है, ऐसे में अब ताइवान के अलगाववाद को समर्थन करना अमेरिका का वादा तोड़ने जैसा है.

Advertisement

Nancy Pelosi in Taiwan Live Updates

- ताइवान पहुंचने पर Nancy Pelosi और कांग्रेस डेलिगेशन की तरफ से बयान आया है. लिखा गया है कि यूनाइटेड स्टेट्स हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के स्पीकर द्वारा 25 साल में यह पहला दौरा है. बयान में लिखा गया है कि वह ताइवान के जीवंत लोकतंत्र का समर्थन करती हैं. बयान में आगे लिखा गया है कि यह ट्रिप सिर्फ इंडो-पेसेफिक बॉर्डर ट्रिप का हिस्सा है. सिंगापुर, मलेशिया, साउथ कोरिया और जापान भी इसका हिस्सा हैं.

नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचते ही चीन अलर्ट हो गया है. वहां सिविल डिफेंस के अलार्म बज रहे हैं.

चीन का कहना है कि उनके और अमेरिका के संबंधों की नींव वन-चाइना सिद्धांत है. ऐसे में चीन 'Taiwan independence' की तरफ उठाए जा रहे अलगाववादी कदमों का विरोध करता है. चीन मानता है कि अमेरिका या किसी बाहरी को इस मामले में दखल नहीं देनी चाहिए.

Advertisement

चीन और ताइवान की जंग किस बात पर है?

ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है. 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी. तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी.

चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई. उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी.

1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया. हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए. उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है. उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है.

ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइलैंड है. चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement