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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पहली 12 दिन की एशिया यात्रा के लिए शुक्रवार को व्हाइट हाउस से रवाना हुए. उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की पहली एशिया यात्रा का मकसद पुराने संबधों को मजबूत करना है. नए संबंधों को आगे बढ़ाना है.
कहां-कहां जाएंगे ट्रंप?
एजेंसी की खबर के मुताबिक, ट्रंप अपनी यात्रा के दौरान जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, वियतनाम और फिलीपीन जाएंगे. यह अब तक की ट्रंप की सबसे लंबी विदेश यात्रा है. बता दें कि लगभग तीन दशक में किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की सबसे लंबी एशिया यात्रा भी है.
पुराने सहयोगियों से मजबूत होंगे संबंध
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल एच. आर. मैकमास्टर ने कहा कि ट्रंप की एशिया यात्रा को अमेरिका के पुराने सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करेगी. साथ ही वे इस यात्रा को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नए संबंधों को बढ़ाने की कोशिश करने के तौर पर देखते है.
विभिन्न देशों से बातचीत में सक्रिय रहें ट्रंप
मैकमास्टर ने ट्रंप की एशिया यात्रा शुरू होने की पूर्व संध्या पर व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि पिछले 10 महीनों में ट्रंप कई रणनीतिक मुद्दों, खासतौर से उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे को लेकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के नेताओं से बातचीत में सक्रिय रहे हैं.
उन्होंने कहा कि ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद से विभिन्न देशों के नेताओं के साथ 43 बार फोन पर बात की है. उन्होंने जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, भारत, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, वियतनाम, इंडोनेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी की हैं.
तीन लक्ष्यों पर केंद्रित होगी ट्रंप की यात्रा
उन्होंने कहा कि ट्रंप की यात्रा तीन लक्ष्यों पर केंद्रित होगी. पहला उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय संकल्प मजबूत करना. दूसरा स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देना. तीसरा निष्पक्ष एवं परस्पर व्यापार और आर्थिक गतिविधियों के जरिए अमेरिका को समृद्ध बनाना.
उत्तर कोरिया से पूरी दुनिया को खतरा
राष्ट्रपति के शीर्ष सलाहकार ने कहा कि ट्रंप इस बात पर जोर देंगे कि उत्तर कोरिया से ना केवल उसके सहयोगी देशों बल्कि पूरी दुनिया को खतरा है.