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क्यों वाइट हाउस में जानलेवा बीमारियों को भी छिपाकर रखा जाता रहा? लगातार उठते रहे सवाल

अमेरिका के प्रेसिडेंट जो बाइडन कभी विमान में लड़खड़ाते तो कभी हवा में हाथ मिलाते दिख चुके हैं. उनके बारे में कानाफूसी होती है कि क्या वे कोई गंभीर बीमारी छिपा रहे हैं. वैसे वाइट हाउस में बीमारियां छिपाने का लंबा इतिहास रहा. एक राष्ट्रपति ने तो कैंसर की सर्जरी तक समुद्री जहाज में करवा डाली ताकि किसी को भनक न लगे.

बहुत से अमेरिकी राष्ट्रपतियों पर आरोप लगा कि वे बीमारियां छिपाकर पद पर आए. (Pixabay) बहुत से अमेरिकी राष्ट्रपतियों पर आरोप लगा कि वे बीमारियां छिपाकर पद पर आए. (Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:31 AM IST

बीते नवंबर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन 80 साल के हो गए. इसके साथ सवाल उठ रहा है कि क्या वे साल 2024 की चुनावी रेस का हिस्सा बन सकेंगे, या बनना चाहिए. वैसे तो बाइडन फिलहाल तक फिट बताए जा रहे हैं, लेकिन उनकी सेहत को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे. कुछ महीनों पहले वे हवा में अकेले ही हाथ मिलाते दिखे. पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में एक सभा को संबोधित करने के दौरान ऐसा हुआ, जबकि स्टेज पर उनके अलावा कोई था ही नहीं. भाषण पूरा करने के बाद वे दाईं तरफ मुड़े और हैंडशेक के लिए हाथ आगे बढ़ा दिया. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद लोग सवाल करने लगे कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डिमेंशिया की बीमारी छिपा रहे हैं. अगर ऐसा हो तो भी अमेरिका के राष्ट्रपतियों की कहानी ही दोहराई जाएगी. 

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पहले भी ऐसे कई मामले आ चुके, जब पद पर बने रहने के लिए राष्ट्रपति जानलेवा बीमारियां छिपाते रहे. अमेरिका में दो कार्यकाल रह चुके ग्रोवर क्लीवलैंड ने बीमारी छिपाने की सारी हदें पार कर दीं. मुंह के कैंसर की तीसरी स्टेज में उन्होंने जहाज में सर्जरी करवाई और बहाना बनाया गया कि वे छुट्टियां मना रहे हैं.

समुद्र की उछलती लहरों के बीच हो रही सर्जरी में डॉक्टरों के हाथ कांपने का खतरा था, जिससे मामला बिगड़ सकता था, लेकिन रिस्क लिया गया. उस समय क्लीवलैंड ठीक होकर लौटे लेकिन जल्दी ही उनकी मौत हो गई. माना जाता है कि ये समुद्री सर्जरी का नतीजा था, जिसकी वजह से कैंसर खत्म नहीं हो सका. इस बारे में आम जनता को जानकारी काफी देर से मिली. 

राष्ट्रपतियों के बीमारी छिपाने की आदत पर अमेरिकी इतिहासकार मैथ्यू एल्जिओ ने एक किताब भी लिखी. 'द प्रेसिडेंट इज अ सिक मैन' नाम की किताब में शारीरिक के साथ-साथ मानसिक बीमारियों का भी जिक्र है, जिनका असर देश पर भी पड़ा.

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फ्रैंकलिन रूजवेल्ट 32वें अमेरिकी प्रेसिडेंट रहे. (Unsplash)

लगातार तीन बार राष्ट्रपति रह चुके फ्रैंकलिन रूजवेल्‍ट का किस्सा सबसे अलग है. 40 साल की उम्र में रूजवेल्ट को पोलियो हुआ, जिसमें उनके दोनों पांव बेकार हो गए. ये वो समय था, जब पोलियो के कारण लाखों जानें जातीं, और जो बचते वे अपाहिज हो जाते. रूजवेल्ट ने जब अपने पहले कार्यकाल के लिए दावेदारी की, तब वे व्हीलचेयर पर ही थे. अमेरिकियों को इस बारे में पक्की जानकारी नहीं थी. ये टीवी या ऐसी घमासान कैंपेनिंग का दौर नहीं था, तो राज को राज रखना कुछ खास मुश्किल भी नहीं था. 

वाइट हाउस पहुंचने के बाद वे लगातार कई बीमारियों से घिरते चले गए, लेकिन किसी को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. यहां तक कि जब रूजवेल्ट को पहला  हार्ट अटैक आया और मीडिया ने सवाल किए तो कहा गया कि उन्हें डायजेशन की समस्या हो रही है. रूजवेल्ट समेत अमेरिकी राजनीति पर बात करती किताब विसलस्टॉप में भी इस बारे में खूब खुलकर लिखा गया है. 

वूड्रो विल्सन कई गंभीर बीमारियों के साथ-साथ वाइट हाउस पहुंचे. वे डबल विजन के मरीज थे, यहां तक कि दो बार दिल का दौरा पड़ चुका था. उनके शरीर का दायां हिस्सा ठीक से काम नहीं करता था. कागजों को पढ़ने और साइन करने में भी वे बहुत समय लेते.

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 वूड्रो विल्सन की सरकार को पेटीकोट गवर्नमेंट कहा गया था. (Unsplash)

स्ट्रोक के बाद वे व्हीलचेयर पर आ गए लेकिन इस बात को लंबे समय तक छिपाए रखा गया. राज खुलने के बाद गुस्साई कांग्रेस ने संविधान में अमेंडमेंट करते हुए तय किया कि अगर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान गंभीर बीमारी का शिकार हो जाए, जिसका असर उसके फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता हो, या उसकी मौत हो जाए तो उप-राष्ट्रपति उसकी जगह ले सकता है. 

यही वो राष्ट्रपति थे, जिनके कार्यकाल को पेटीकोट गवर्नमेंट तक कह दिया गया. असल में डिप्रेशन और स्ट्रोक के मिले-जुले असर से वूड्रो लंबे समय तक राष्ट्रपति भवन के अंदर बंद रहे. इस बात को भरसक छिपाया जा रहा था कि वे इतने बीमार हैं. ऐसे में उनकी पत्नी एडिथ गेल्ट विल्सन ने चार्ज संभाला और उनकी जगह कागजों पर दस्तखत करने लगीं. वाइट हाउस के गलियारों में व्यंग्य से उन्हें सीक्रेट प्रेसिडेंट तक कहा जाता था. 

इतिहासकार मैथ्यू ने अपनी किताब में दावा किया कि दुनिया के सबसे ताकतवर देश का सबसे ताकतवर शख्स होने के बाद भी कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति बेस्ट डॉक्टर नहीं चुनता, बल्कि अपने पुराने, भरोसेमंद डॉक्टर के ही भरोसे रहता है. ये वो डॉक्टर होता है जो राष्ट्रपति की सारी हिस्ट्री जानता और उसे राज बनाए रखता है. राष्ट्रपतियों को ये भी डर भी होता है कि उनकी बीमारी का भेद खुलने पर विरोधी फायदा उठा सकते हैं. यही कारण है कि लगभग सभी राष्ट्रपतियों ने वाइट हाउस आने के बाद भी अपने पुराने फैमिली डॉक्टर को ही कंटीन्यू किए रखा. 

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