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अमेरिका ने रूस, भारत और यूएई पर गोपनीय केबल में ये बात कहकर तुरंत क्यों लिया वापस?

अमेरिका ने भारत में भेजा डिप्लोमेटिक इस्तेमाल में आने वाला अपना एक केबल वापस मंगा लिया है. माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर ऐसा किया गया है. अमेरिका ने केबल के जरिए एक टेम्प्लेट संदेश भी भारत भेजा था जिसमें कहा गया था कि सुरक्षा परिषद में भारत का कूटनीति पर जोर देना उसकी तटस्थतता है बल्कि इससे ये पता चलता है कि भारत रूसी खेमे में है.

अमेरिका रूस पर भारत के रुख से नाराज है (Photo- Reuters/PTI) अमेरिका रूस पर भारत के रुख से नाराज है (Photo- Reuters/PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 7:50 AM IST
  • अमेरिका ने भारत में भेजा डिप्लोमेटिक इस्तेमाल का केबल वापस लिया
  • कहा- यूएन में भारत तटस्थ नहीं, रूसी पाले में
  • यूक्रेन पर रूसी हमले का विरोध करने के लिए भारत से फिर किया अनुरोध

अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भारत भेजे गए डिप्लोमेटिक इस्तेमाल में आने वाले केबल को भारत से वापस ले लिया है. संयुक्त अरब अमीरात से भी इसी तरह के एक केबल को अमेरिका ने वापस ले लिया है. दोनों ही देश यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तटस्थ रहे हैं जिससे अमेरिका को निराशा हाथ लगी है. अमेरिका ने जो केबल वापस मंगाया है उसके जरिए अमेरिकी अधिकारियों ने दोनों ही देशों से कहा था कि भारत और यूएई का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कूटनीति पर जोर देना, उनकी तटस्थतता नहीं है बल्कि इससे पता चलता है कि दोनों ही देश रूसी खेमे में हैं.

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अमेरिकी न्यूज वेबसाइट Axios की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केबल को वापस लेने का मतलब या तो ये हुआ कि केबल की किसी खराबी को दूर करने के लिए उसे वापस लिया गया या फिर रूस को लेकर दोनों देशों से अमेरिका के मतभेद के कारण केबल को वापस ले लिया गया हो.

डिप्लोमेटिक केबलों को आमतौर पर विदेशों में स्थित अमेरिकी दूतावासों को भेजा जाता है. ये केबल विदेशों में रह रहे राजनयिकों को उनके देश से आंतरिक नीतिगत फैसले और आदेशों के भेजने और प्राप्त करने के प्राथमिक स्रोत हैं. भेजने के पहले केबल को विदेश विभाग में संबंधित पक्षों से जोड़ा जाता है और फिर कई अधिकारियों द्वारा इसकी जांच की जाती है.

अमेरिका ने सोमवार को मानवाधिकार परिषद के सदस्य देशों, जिनमें भारत और यूएई शामिल है, को डिप्लोमेटिक केबल भेजा और मंगलवार को ही वापस ले लिया. Axios ने इस पर और जानकारी के लिए अमेरिका के गृह मंत्रालय से संपर्क किया.

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'गलती से भेजा गया केबल, इसलिए वापस मंगाया गया'

मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने जवाब में कहा, 'केबल को भेजने की अनुमति नहीं मिली थी बल्कि उसे गलती से भेज दिया गया था, इसलिए हमें उसे वापस लेना पड़ा. केबल को लेकर किसी तरह की जांच-पड़ताल के लिए इसे वापस नहीं लिया गया.'

Axios ने वापस लिए गए केबल के कुछ हिस्सों को देखा है. वेबसाइट ने बताया कि केबल के जरिए अमेरिकी अधिकारी भारत और यूएई से रूस पर अपनी स्थिति में बदलाव की बात कह रहे थे.

केबल के एक टेम्प्लेट में लिखा गया था, 'आप सुरक्षा परिषद में बातचीत पर जोर देते रहे हैं, ये आपका तटस्थ रुख नहीं है बल्कि ये रुख आपको रूस के खेमे में शामिल करता है जो हालिया तनाव में हमलावर है. हम आपको मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, एक अवसर जिसे आप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में खो चुके हैं.'

भारत और यूएई दोनों ही अमेरिका के करीबी सहयोगी

भारत और यूएई दोनों ही अमेरिका के करीबी सहयोगी रहे हैं. पिछले कुछ दशकों में भारत-अमेरिका का रणनीतिक सहयोग और बढ़ा है. चीन की बढ़ती आक्रामकता को रोकने के लिए भी अमेरिका और भारत को एक-दूसरे की जरूरत है और दोनों चीन को लेकर एक-दूसरे के समर्थन में भी रहे हैं.

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वहीं, यूएई से भी अमेरिक के रिश्ते गहरे हैं. यूएई खाड़ी क्षेत्र में तेल का बड़ा निर्यातक है जो अमेरिका को भी तेल प्रदान करता है. यूएई हथियारों और अपने रक्षा सहयोग के लिए अमेरिका पर निर्भर है. सुरक्षा परिषद में यूएई वोटिंग से दूर रहा लेकिन गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूएई ने रूस के खिलाफ  एक वोटिंग में हिस्सा लिया और प्रस्ताव के पक्ष में भी रहा.

इस वोटिंग से भी भारत ने खुद को दूर रखा. 193 सदस्यों वाले महासभा में यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर एक निंदा प्रस्ताव लाया गया. रूस समेत पांच देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया और 141 देशों ने रूस के खिलाफ वोटिंग कर प्रस्ताव को पास कराया. 

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