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अमेरिका के सिएटल शहर में जातिगत भेदभाव बैन करने वाले प्रस्ताव के विरोध में थे कई भारतवंशी

भारतीय मूल की नेता क्षमा सावंत ने सिएटल सिटी काउंसिल में भेदभाव न करने वाली नीति में जाति को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे मंगलवार को पास कर दिया गया. हालांकि कई भारतवंशी इस प्रस्ताव के विरोध में भी थे.

जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन (फोटो- AP) जातिगत भेदभाव के खिलाफ आंदोलन (फोटो- AP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

अमेरिका के सिएटल शहर में जाति आधारित भेदभाव बैन कर दिया गया है. भारतीय मूल की नेता क्षमा सावंत ने सिएटल सिटी काउंसिल में भेदभाव न करने वाली नीति में जाति को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे मंगलवार को पास कर दिया गया, जिसके बाद सिएटल में भेदभाव विरोधी कानून में जाति भी शामिल कर लिया गया है. हालांकि भारतीय मूल के कई लोग इस प्रस्ताव के विरोध में भी थे. 

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अमेरिका में रहने वाले दक्षिणी एशियाई लोगों के साथ भेदभाव से जुड़े कई मामले सामने आने के बाद यह मुद्दा उठा था, जिसके बाद भारतीय मूल की नेता क्षमा सावंत सिएटल सिटी काउंसिल में जाति को भी भेदभाव विरोधी कानून में शामिल कराने का प्रस्ताव लेकर आईं, जो बीते मंगलवार को 6-1 से पारित हुआ. गौर करने वाली बात ये है कि एक भारतवंशी द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव के विरोध में कई भारतवंशी संगठन भी थे. उनका मानना था कि इससे अमेरिका में 'हिंदूफोबिया' की घटनाएं बढ़ेंगी. 

विरोध में था हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन  

इन लोगों का कहना है कि जाति को भेदभाव विरोधी नीति का हिस्सा बना देने से अमेरिका में हिंदूफोबिया की घटनाएं बढ़ सकती हैं. प्रस्ताव के खिलाफ अभियान चलाने वालों में हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन भी है. आंबेडकर फुले नेटवर्क ऑफ अमेरिकन दलित्स एंड बहुजन्स ने कहा कि यह अध्यादेश दक्षिण एशियाई लोगों खासकर दलितों को नुकसान पहुंचाएगा. तीन साल में पूरे अमेरिका में 10 मंदिरों और 5 प्रतिमाओं को नुकसान पहुंचाया गया. इनमें महात्मा गांधी और मराठा राजा छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा भी शामिल हैं. इन घटनाओं को कुछ लोगों ने हिंदू समुदाय को डराने की कोशिश के तौर पर देखा. अमेरिका में 42 लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग रहते हैं. 

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प्रस्ताव लाने वाली क्षमा ने क्या कहा? 

वहीं सिएटल में पारित प्रस्ताव के समर्थकों ने कहा कि ऐसे कानून के बिना उन लोगों को सुरक्षा नहीं दी जा सकेगी, जो जातिगत भेदभाव का सामना करते हैं. वे इसे सामाजिक न्याय और समानता लाने की दिशा में अहम कदम बता रहे हैं. प्रस्ताव पेश करने वाली क्षमा ने कहा कि जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई सभी तरह के अत्याचार के खिलाफ उठने वाली आवाज से जुड़ी हुई है. क्षमा सावंत खुद ऊंची जाति से आती हैं. उन्होंने कहा कि भले ही अमेरिका में दलितों के खिलाफ भेदभाव उस तरह नहीं दिखता है, जैसा कि दक्षिण एशिया में हर जगह दिखता है, लेकिन यहां भी भेदभाव एक सच्चाई है. हाल ही में कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी कैंपस ने भी जाति आधारित भेदभाव पर प्रतिबंध लगाया है. 

 

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