
अमेरिका से चीन की तनातनी के बीच ताइवान में साइबर अटैक की खबरें हैं. ताइवान सरकार की वेबसाइट डाउन हो गई है. यह फिलहाल 502 server error दिखा रही है. इसके अलावा ताइवान के राष्ट्रपति दफ्तर की जो वेबसाइट है उसपर भी साइबर हमला हुआ है. इस साबइर हमले के पीछे चीन का हाथ हो सकता है. चीन इस वक्त अमेरिका और ताइवान से चिढ़ा हुआ है. इसकी वजह नैन्सी पेलोसी का दौरा है.
अमेरिका की हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी आज ताइवान दौरे पर आ रही हैं. चीन नहीं चाहता कि अमेरिका ताइवान के मामले में दखल दे और उनका कोई प्रतिनधि ताइवान जाए. चीन ने अमेरिका को इसका परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी है. चीन का दावा है कि नैन्सी के दौरे की वजह से इलाके में शांति भंग होगी और अस्थिरता आएगी.
चीन का कहना है कि उनके और अमेरिका के संबंधों की नींव वन-चाइना सिद्धांत है. ऐसे में चीन 'Taiwan independence' की तरफ उठाए जा रहे अलगाववादी कदमों का विरोध करता है. चीन मानता है कि अमेरिका या किसी बाहरी को इस मामले में दखल नहीं देनी चाहिए. चीन की धमकियों के बीच ताइवान भी अलर्ट मोड पर है. उनकी फोर्स ने युद्ध की पूरी तैयारी कर ली है.
चीन और ताइवान का विवाद क्या है?
ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है. 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी. तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी.
चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई. उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी.
1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया. हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए. उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है. उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है.
ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है. चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं.