
उत्तर कोरिया के लीडर किम जोंग उन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बुधवार को मुलाकात हुई. जानकारी के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच करीब 4-5 घंटे तक बातचीत हुई है. इस दौरान किम ने पूर्ण और बिना शर्त समर्थन किया. साथ ही कहा कि प्योंगयांग (नॉर्थ कोरिया) हमेशा साम्राज्यवाद विरोधी मोर्चे पर मास्को के साथ खड़ा रहेगा. नेताओं ने वोस्तोचन कोस्मोड्रोम में एक शिखर सम्मेलन के लिए मुलाकात की थी.
वहीं चीन का दावा है कि रूस और नॉर्थ कोरिया की इस मुलाकात को लेकर अमेरिक बैखलाया हुआ है. रूस के साथ हथियार समझौते पर उत्तर कोरिया को अमेरिका की धमकी और रूस-उत्तर कोरिया के बीच गहरी दोस्ती अमेरिका की चिंता को साफतौर पर जाहिर करने वाली है. विशेषज्ञों ने कहा कि रूस के साथ नॉर्थ कोरिया की करीबी की बड़ी वजह अमेरिका और साउथ कोरिया के बीच लगातार चलने वाले सैन्य अभ्यास का परिणाम है. जिसने पूर्वोत्तर एशिया में और अधिक खटास और विभाजन के हालात पैदा कर दिए हैं.
रूस और नॉर्थ कोरिया के संबंध बेहतर करना एजेंडे का मकसद
किम और पुतिन के बीच मुलाकात पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि उत्तर कोरियाई नेता की रूस यात्रा दोनों देशों के बीच एक व्यवस्था है. उत्तर कोरिया और रूस दोनों इस समय पश्चिम से अभूतपूर्व राजनयिक दबाव का सामना कर रहे हैं, इसलिए दोनों नेताओं का मकसद उनके द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना होगा. क्योंकि इससे पश्चिमी अलगाव के कुछ नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि मजबूत होते रूस-उत्तर कोरिया संबंध पूर्वोत्तर एशिया में भू-राजनीतिक समीकरण में और अधिक सुधार ला सकता है, खासकर तब, जब इस क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति दिन-ब-दिन संवेदनशील होती जा रही है.
अमेरिका ने दी थी नॉर्थ कोरिया को धमकी
उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके एशियाई सहयोगी इस बैठक को चिंता की दृष्टि से देख रहे हैं. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि मैं दोनों देशों को याद दिलाऊंगा कि उत्तर कोरिया से रूस को हथियारों का कोई भी हस्तांतरण UNSC के कई प्रस्तावों का उल्लंघन होगा. पिछले हफ्ते अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि उत्तर कोरिया रूस को यूक्रेन में इस्तेमाल के लिए हथियारों की आपूर्ति करने के लिए कीमत चुकाएगा. लेकिन इसके बावजूद रूस और उत्तर कोरिया के बीच हथियारों की बातचीत सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है.
साउथ कोरिया की भी इस मीटिंग पर नजर
वहीं, साउथ कोरिया के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जियोन हा-क्यू ने भी पिछले हफ्ते कहा था कि मंत्रालय बारीकी से निगरानी कर रहा है कि उत्तर कोरिया और रूस हथियार सौदे और टेक्नोलॉजी शेयरिंग पर बातचीत के साथ आगे बढ़ेंगे या नहीं. यांग का मानना है कि अमेरिका की धमकियां पश्चिम के बढ़ते डर को दर्शाती हैं, लिहाजा अमेरिका उत्तर कोरिया को हथियारों की आपूर्ति न करने के लिए मजबूर कर रहा है. इसके लिए वह जनमत के दबाव का सहारा ले रहा है.
रूस टेक्नोलॉजी में प्योंगयांग की मदद कर सकता है
चीनी सैन्य विशेषज्ञ ने सोंग झोंगपिंग ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों ने उत्तर कोरिया और रूस को केवल करीब ला दिया है. साथ ही उन दोनों देशों को रणनीतिक गठबंधन बनाने के लिए भी प्रेरित किया है. सोंग ने कहा कि बैठक में सैन्य सहयोग शामिल होने की संभावना है, क्योंकि दोनों देशों की सैन्य ताकतें बेहतर हैं. टेक्नोलॉजी के मामले में रूस उत्तर कोरिया की मदद कर सकता है. बदले में प्योंगयांग गोला-बारूद और हथियार उत्पादन के लिए मास्को की क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकता है.