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अमेरिका ने उठाया ये कदम, यूक्रेन पर रूस के हमले के कयास हुए तेज

यूक्रेन पर रूसी हमले के आशंकाओं के बीच ऐसी खबर है कि अमेरिकी राजनयिक यूक्रेन छोड़ रहे हैं. बताया जा रहा है कि राजनयिकों के परिवार और बच्चे भी यूक्रेन छोड़ रहे हैं. हाल ही में रूसी राजनयिकों के भी यूक्रेन छोड़ने की खबर आई थी.

रूस यूक्रेन पर हमले से इनकार करता आया है (Photo- Reuters) रूस यूक्रेन पर हमले से इनकार करता आया है (Photo- Reuters)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:28 AM IST
  • अपने राजनयिकों को यूक्रेन से वापस बुला रहा अमेरिका
  • रूसी राजनयिकों और उनके परिवारों ने भी छोड़ा यूक्रेन
  • संभावित रूसी हमले के बीच आई खबर

यूक्रेन और रूस की सीमा पर तनाव जारी है. यूक्रेन पर रूस के हमले की आशंका भी लगातार जताई जा रही है. इसी बीच खबर आई है कि अमेरिका यूक्रेन की राजधानी कीव स्थित अपने दूतावास को खाली करा रहा है. विदेश मंत्रालय ने रविवार दोपहर राजनयिकों के परिवारों को अमेरिकी दूतावास से प्रस्थान करने का आदेश दिया.

एबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक ट्रैवल एडवाइडरी जारी की और यूक्रेन में रह रहे अमेरिकी नागरिकों को देश लौटने की सलाह दी. 

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विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'ये विवेकपूर्ण सावधानियां हैं जो किसी भी तरह से यूक्रेन के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और समर्थन को कमजोर नहीं करती हैं.' अधिकारी ने बताया कि रूस की तरफ से यूक्रेन सीमा पर सैन्य तैनाती को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है.

रूस भी खाली करा रहा अपने दूतावास

हाल ही में ऐसी खबरें आई थीं कि रूस भी अपने राजनयिकों और उनके परिवारों को यूक्रेन से वापस बुला रहा है. लवॉव में वाणिज्य दूतावास से भी रूसी राजनयिकों के जाने की भी खबर आई.

इस बात का दावा न्यूयॉर्क टाइम्स ने कुछ अधिकारियों के हवाले से किया. न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें अखबार ने दावा किया कि 18 लोग, जिनमें रूसी राजनयिकों के बच्चे और पत्नियां थीं, 5 जनवरी को यूक्रेन छोड़ गए थे.

इसके दो हफ्तों के अंदर ही कथित तौर पर 30 और लोग चले गए. दो अन्य रूसी वाणिज्य दूतावासों के राजनयिकों को कथित तौर पर देश छोड़ने की तैयारी करने के लिए कहा गया था.

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जब इस खबर को लेकर रूसी विदेश मंत्रालय से जवाब मांगा गया तो मंत्रालय ने बताया कि यूक्रेन में रूसी दूतावास सामान्य रूप से काम कर रहा है हालांकि मंत्रालय ने दूतावास में लोगों की संख्या कम करने से इनकार नहीं किया.

न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, अमेरिका और यूक्रेन दोनों देशों के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि रूसी राजनयिक यूक्रेन छोड़कर चले गए हैं.

अमेरिकी और रूसी राजनयिकों के यूक्रेन छोड़ने की खबर ऐसे समय में आई है जब यूक्रेन पर रूस के हमले का खतरा मंडरा रहा है. रूस ने यूक्रेन से लगी सीमा पर लाखों की संख्या में सैनिक तैनात किए हैं. हालांकि रूस लगातार यह कहता रहा है कि वो यूक्रेन पर हमले की कोई योजना नहीं बना रहा है.

अमेरिका की चिंता

इधर, अमेरिका यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर लगातार चेतावनी दे रहा है. पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कुछ समय पहले कहा था कि रूस एक ऐसी योजना पर काम कर रहा है जिससे ऐसा लगे कि यूक्रेन उसे हमले के लिए भड़का रहा है. इस तरह रूस हमले के लिए एक बहाना तलाश रहा है.

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी कुछ ऐसी ही बात कही थी. उन्होंने कहा था, 'रूस यूक्रेन पर पूर्वी यूक्रेन में रूसी सेना के खिलाफ एक हमले की तैयारी का आरोप लगाकर हमले का बहाना ढूंढ रहा है.' हालांकि रूस ने इन दावों को खारिज किया है.

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बीते बुधवार को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन यूक्रेन पहुंचे थे. इसके बाद अमेरिका के राष्टपति जो बाइडन ने रूस को चेतावनी भी दी थी कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो परिणाम भुगतने होंगे.

ब्रिटेन ने भी आशंका जताई है कि रूस यूक्रेन पर हमला कर वहां रूस समर्थित सरकार बनाना चाहता है. हालांकि, रूस ने इन दावों का खंडन किया है.

यूक्रेन-रूस के बीच क्या है पूरा विवाद?

1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन को आजादी मिली थी. यूक्रेन में रूसी भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है. साल 2014 में यूक्रेन की रूस समर्थित सरकार के विरोध में बड़े प्रदर्शन हुए और सरकार को इस्तीफा देना पड़ा. इसी मौके का फायदा उठाते हुए रूस ने यूक्रेन का हिस्सा क्रीमिया पर कब्जा कर लिया.

रूस ने तर्क दिया कि रूसी बोलने वालों की रक्षा करना उसका कर्तव्य है इसलिए रूसी भाषा बोलने वाले क्रीमिया के लोगों को विद्रोह से होनेवाले नुकसान से बचाने के लिए उसका ये कदम जरूरी था.

इसके बाद से यूक्रेन पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंध बेहतर कर रहा है. रूस इस बात का विरोध करता है. NATO से यूक्रेन की करीबी भी रूस के चिंता का विषय है. इन्हीं कारणों से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार जारी है.

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