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'ट्रंप ने उन्हें दोस्त तो बोला लेकिन...' पीएम मोदी के दौरे के बाद क्या कह रहा अमेरिकी मीडिया

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात को लेकर अमेरिकी मीडिया की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
शोएब राणा
  • नई दिल्ली,
  • 14 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:26 PM IST

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की. मोदी और ट्रंप की मीटिंग के बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हुई जिसमें पत्रकारों के अलग-अलग सवालों पर दोनों नेताओं ने जवाब दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत के दौरान टैरिफ, रक्षा समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई. दोनों देश के प्रमुख नेताओं ने कई चीजों पर सहमति भी जताई और सहयोग जारी रखने की बात कही. 

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात को लेकर अमेरिकी मीडिया की ओर से मिली-जुलीं प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. 

न्यूयॉर्क टाइम्स  

अंग्रेजी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया कि, टैरिफ मामले में 'जैसे को तैसा' नीति का ऐलान करके भारत और अमेरिका के व्यापारिक संबंधों की डगर को मुश्किल बनाने के कुछ घंटों बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्हाइट हाउस में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. लेख में कहा गया कि, नरेंद्र मोदी ऐसे राष्ट्र प्रमुख बन गए हैं जिन्होंने ट्रंप की मांगों के अनुकूल आगे बढ़ने पर बात करके उन्हें संतुष्ट किया है. व्हाइट हाउस में भी नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की जमकर तारीफ की. यहां तक कि, मोदी ने ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' मोटो का भारतीय वर्जन 'मेक इंडिया ग्रेट अगेन' भी बना दिया.

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न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख में आगे कहा गया कि, इस खुशामदी के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार और अवैध प्रवासन तनाव का मुद्दा है. डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को एक झटका उस समय दिया, जब उन्होंने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अमेरिका का भारत के साथ 100 अरब डॉलर का घाटा है. लेख में कहा गया कि, ट्रंप ने यह आंकड़ा हालांकि बढ़ाकर बताया. साल 2024 में यह आंकड़ा करीब 50 अरब डॉलर रहा है.

नरेंद्र मोदी से मुलाकात से पहले कुछ घंटों पहले ही ट्रंप ने अपने सलाहकारों से नए टैरिफ रेट तय करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि, जितना टैरिफ वह अमेरिका पर लगाते हैं, उतना ही अमेरिका भी लगाएगा. भारत भी उन देशों में शामिल है जो भारत के इस टैरिफ झटके से प्रभावित होंगे.

लेख में कहा गया कि, ट्रंप ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पहले कार्यकाल में वह भारत को टैरिफ कम करने के लिए राजी नहीं कर पाए. लेकिन अब वह कहते हैं कि, जितना टैरिफ आप लगाएंगे, उतना ही हम भी लगाएंगे. यह अमेरिकी लोगों और भारत, दोनों के लिए ठीक रहेगा. लेख में आगे कहा गया कि, ट्रंप से आर्थिक दंड मिलने के बावजूद मोदी ने अपने बयान में दोनों देशों के द्विपक्षीय कारोबार और डिफेंस में सहयोग को बढ़ाने की बात कही.

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लेख में आगे कहा कि, अवैध प्रवासियों को अमेरिका से जिस तरह से हाथ-पैर बांधकर अमेरिकी सेना के विमानों से जिस तरह भारत भेजा गया, उस पर भी नरेंद्र मोदी ने जिस तरह का जवाब दिया वह ट्रंप को संतुष्ट करने वाला था. नरेंद्र मोदी ने इस मामले में सिर्फ कहा कि, हमारा मानना है कि जो भी लोग दूसरे देशों में अवैध तरह से घुसपैठ करते हैं, उनका वहां रहने का कोई अधिकार नहीं है.

वॉशिंगटन पोस्ट

अंग्रेजी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट में कहा गया कि, राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि भारत और अमेरिका एक ऐसी डील पर काम कर रहे हैं जो दोनों देशों के बीच व्यापार की दूरी को खत्म कर देगी. भारत के प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी यात्रा एक शुरुआती कदम है यह जानने के लिए कि आने वाले समय में ट्रंप के भारत के साथ कैसे संबंध रहेंगे. बेशक दोनों देशों की यह साझेदारी इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी रणनीति का एक स्तंभ है. लेकिन दोनों देशों के बीच अवैध प्रवासन, वीजा नियम, व्यापार घाटे जैसे तनाव के मुद्दे भी हैं.

लेख में आगे कहा गया कि, ट्रंप ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती पर जोर देने की कोशिश जरूर की, लेकिन  इससे कुछ देर पहले ही उन्होंने जवाबी टैरिफ का ऐलान कर दिया, जो जाहिर है भारत के लिए भी किसी झटके से कम नहीं है.

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वॉशिंगटन पोस्ट के लेख में आगे कहा गया कि, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. भारत ने अमेरिका को आयात की तुलना में 45 अरब डॉलर का ज्यादा निर्यात किया है. ट्रंप अब इसी व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं. पिछले कार्यकाल में भारत के साथ जो ट्रेड डील नहीं हो पाई, उसी से निराश होकर पिछले साल चुनाव प्रचार में ट्रंप ने भारत को सबसे ज्यादा टैरिफ थोपने वाला देश बताया था.

लेख में आगे कहा गया कि, ट्रंप ने अमेरिकी फाइटर जेट्स खरीदने का जो ऑफर भारत को दिया, वह दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास का संकेत जरूर है. अमेरिका सिर्फ उन्हीं देशों को हथियार बेचता है जिन्हें वह अपना करीबी और भरोसेमंद समझता है. लेख में एक्सपर्ट के हवाले से कहा गया कि, अमेरिकी हथियार लेकिन महंगे काफी हैं. भारत को खुद अब इन सभी रक्षा उपकरणों को बनाने की ओर बढ़ना चाहिए.

वॉइस ऑफ अमेरिका

अमेरिकी रेडियो चैनल वॉइस ऑफ अमेरिका की न्यूज वेबसाइट पर छपे लेख में कहा गया कि, ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के दौरान कई अहम मुद्दों पर सहमति बनाई लेकिन यह सभी अहम चीजें उसी दिन ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने वाले बड़े फैसले के सामने फीकी पड़ गईं. दोनों नेताओं ने मुलाकात के दौरान काफी गर्मजोशी तो दिखाई लेकिन ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का फैसला पहले ही भारत को झटका दे चुका था. ट्रंप का मानना है कि ऐसा करने से अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा कम हो जाएगा.
 
लेख में एक्सपर्ट के हवाले से कहा गया कि, अमेरिका और भारत के बीच बातचीत के पीछे चीन भी एक बड़ी वजह है. साल 2020 में जबसे सीमा क्षेत्र में भारत और चीन के बीच झड़प हुई है, तबसे ही भारत अमेरिका से रणनीतिक साझेदारी बढ़ाना चाहता है.

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लेख में एक्सपर्ट के हवाले से कहा गया कि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक तरह से दुनिया में ट्रेड वॉर छेड़ दिया है. अमेरिका के निशाने पर आने वाले देशों में भारत का नाम काफी ऊपर है. ऐसे में इन सभी देशों के लिए अमेरिका से संबंध बनाए रखने काफी जरूरी हैं. यही वजह है कि नरेंद्र मोदी अमेरिका आए हैं. भारत सामने आकर अमेरिका से सामान की खरीदारी पर बात करना चाहता है. भारत उन सभी नीतियों पर बात करना चाहता है जिनका बातचीत से हल निकल सकता है.

फॉक्स न्यूज

अमेरिकी चैनल फॉक्स न्यूज के एडिटोरियल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात को लेकर एक लेख छापा गया. लेख में नरेंद्र मोदी के साल 2047 तक विकसित भारत बनाने के नजरिये पर उनके विचारों के बारे में बताया गया. 

वहीं अमेरिकी समाचार संस्था एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया कि, एक तरफ तो ट्रंप ने दुनिया के सामने भारत के साथ दोस्ती को दिखाया तो दूसरी तरफ भारत को टैरिफ किंग कहते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. रिपोर्ट में आगे कहा कि, नरेंद्र मोदी के वॉशिंगटन आने से पहले ही ट्रंप ने यह फैसला ले लिया. रिपोर्ट में कहा गया कि, यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत और अमेरिका के बीच आई दूरी को कम करने के लिए भी मोदी वॉशिंगटन पहुंचे थे.

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