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बीबीसी के ऑफिस पर इनकम टैक्स के छापे पर पाकिस्तानी पत्रकार ने पूछे सवाल, अमेरिका ने दिया ये जवाब

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर पिछले तीन दिनों से इनकम टैक्स की रेड जारी है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि अमेरिका इस रेड से अवगत है और वह दुनियाभर में फ्री प्रेस का समर्थन करता है.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस (फोटो- रॉयटर्स) अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस (फोटो- रॉयटर्स)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:22 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र पर बनी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री विवादों के बीच पिछले तीन दिनों से बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर इनकम टैक्स की रेड जारी है. आयकर विभाग ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अनियमितता में गड़बड़ी को लेकर यह छापेमारी की है. 

छापेमारी की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए देश के अलावा विदेशी नेता भी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. विपक्षी नेताओं ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इसे दुनिया भर में 'प्रतिशोध' (petty retaliation) के रूप में देखा जाएगा.

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इसी बीच अमेरिकी विदेश विभाग की डेली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक पाकिस्तानी जर्नलिस्ट ने इस पर सवाल पूछा. जिसका जवाब देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने बयान को दोहराते हुए कहा है कि अमेरिका दुनिया भर में फ्री प्रेस के महत्व का समर्थन करता है. 

नेड प्राइस ने कही ये बात

पाकिस्तानी न्यूज चैनल ARY News के पत्रकार जहांजैब अली ने अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस से पूछा, "बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के बाद अब भारत सरकार बीबीसी के नई दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर छापेमारी कर रही है. इस पर आपके क्या विचार हैं? अमेरिका की कोई चिंता? क्योंकि वॉशिंगटन स्थित नेशनल प्रेस क्लब समेत तमाम पत्रकार संगठनों ने इसे मीडिया की आजादी पर हमला करार दिया है." 
 
इसके जवाब में नेड प्राइस ने कहा, "मैंने इस पर कल भी जवाब दिया था. मुंबई और नई दिल्ली स्थित बीबीसी के दफ्तरों पर भारतीय एजेंसियों की जारी रेड से हम अवगत हैं. इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए आपको भारत सरकार से संपर्क करना चाहिए."

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उन्होंने आगे कहा, "इस रेड पर ज्यादा बात करने के बजाय महत्वपूर्ण यह है कि हम दुनिया भर में फ्री प्रेस का समर्थन करते हैं. हम मानवाधिकारों के रूप में अभिव्यक्ति की आजादी और धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के महत्व को उजागर करना जारी रखते हैं. यही अमेरिका और भारत के अलावा दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों में लोकतंत्र को मजबूत करने में अहम योगदान देता है."

एक दिन पहले भी अमेरिका ने इस रेड पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अमेरिका को इस रेड के बारे में जानकारी है. लेकिन अभी वो निर्णय देने की स्थिति में नहीं है.

इसके अलावा व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन-जीन पियरे ने कहा था कि इस रेड पर व्हाइट हाउस की कोई प्रतिक्रिया नहीं है. 

विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना 

भारत सरकार ने इससे पहले 2002 के गुजरात दंगों और पीएम मोदी से जुड़ी बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री को बैन कर दिया था. इनकम टैक्स की रेड की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए विपक्षी नेताओं ने इस कदम की आलोचना की है. 

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "कोई भी संस्था कानून से ऊपर नहीं है. लेकिन बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर छापेमारी निंदनीय है. आयकर विभाग के इस कदम को डॉक्यूमेंट्री के लिए एक प्रतिशोध और प्रेस की आजादी को दबाने के रूप में देखा जाएगा."

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BBC डॉक्यूमेंट्री विवाद

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी ने 2002 गुजरात दंगों और पीएम मोदी से जुड़े कुछ पहलू को जोड़ते हुए दो भागों में 'इंडियाः द मोदी क्वेशचन' नाम की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है. 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे. 

भारत सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को 'प्रोपगैंडा' करार देते हुए बैन कर दिया है. इसके अलावा डॉक्यूमेंट्री सीरीज के यूट्यूब वीडियो शेयर लिंक को भी ब्लॉक कर दिया गया है. 
 

 

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