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भारत को प्रतिबंधों से बचाने के लिए अमेरिकी सांसदों ने उठाया बड़ा कदम

भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल सिस्टम सौदे को लेकर अमेरिका का पक्ष लगातार चर्चा में बना हुआ है. ये आशंका जताई जा रही थी कि रूस के साथ एस-400 मिसाइल का सौदा करने के चलते अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है. हालांकि अमेरिकी राजनीति में कई लोग भारत को लगातार समर्थन कर रहे हैं.

पीएम मोदी और जो बाइडेन फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स पीएम मोदी और जो बाइडेन फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 02 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST
  • रूस के साथ मिसाइल सौदे के बाद से प्रतिबंध के साए में भारत
  • अमेरिका के कई सांसद भारत के लिए कर रहे कोशिश

भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल सिस्टम के सौदे को लेकर अमेरिका काफी आक्रामक रहा है. ये आशंका जताई जा रही थी कि रूस के साथ एस-400 मिसाइल का सौदा करने के चलते अमेरिका भारत पर प्रतिबंध भी लगा सकता है. हालांकि, कई अमेरिकी सांसद भारत को लगातार समर्थन कर रहे हैं. कुछ समय पहले सामने आया था कि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सीनेटर मार्क वार्नर और जॉन कॉर्निन ने कहा था कि 'काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस' (सीएएटीएसए), जिसके तहत भारत पर प्रस्तावित प्रतिबंधों को लेकर विचार किया जा रहा है, उससे भारत को छूट मिलनी चाहिए. अब भारत के पक्ष में तीन और अमेरिकी सांसदों ने एक संशोधन पेश किया है.

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रिपब्लिक के तीन सीनेटरों ने 'राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम 2022' में एक संशोधन पेश किया है. इस संशोधन का मकसद है कि रूसी हथियार खरीदने वाले क्वॉड देशों को थोड़ी रियायत मिले और उन पर प्रतिबंध आसानी से ना लगाया जा सके. गौरतलब है कि क्वॉड देशों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका है. अमेरिका ने ये कदम तब उठाया है जब भारत को मॉस्को से एस-400 मिसाइल अगले एक महीने में मिलने की उम्मीद है. 

क्वाड देशों में भारत अकेला ऐसा देश जिसने चीन के साथ युद्ध में सैनिकों को खोया

इसके अलावा द हिंदू से बात करते हुए एक रिपब्लिकन सीनेट का कहना था कि अमेरिकी सांसदों ने चीन के साथ भारत की सुरक्षा स्थिति को मान्यता दी है. उन्होंने कहा कि भारत क्वॉड देशों के केंद्र में है जो चीन का मुकाबला करने के लिए आपस में सहयोग कर रहे हैं. भारत एकमात्र ऐसा क्वॉड देश है जो चीन के साथ बॉर्डर साझा करता है, वो एकमात्र सदस्य जिसने चीन के साथ युद्ध में अपने सैनिकों को खोया है. 

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उन्होंने आगे कहा कि वे भारत के रक्षा हथियारों की खरीद में भी बदलाव देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि साल 2033-34 तक भी अगर भारत रूस के साथ जा रहा है और क्वॉड के साथ संबंधों को गहरा करने पर खास फोकस नहीं कर रहा है तो मुझे लगता है कि ये एक अलग मुद्दा हो सकता है. इसलिए मेरे हिसाब से समय के साथ-साथ कदम उठाए जाने की जरूरत है. 

इससे पहले अमेरिका की डिप्टी सेक्रेटी ऑफ स्टेट वेंडी शर्मन ने नई दिल्ली में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा था कि जो भी देश एस-400 का इस्तेमाल करने का फैसला करता है, उन्हें लेकर हमारी नीतियां सार्वजनिक रही हैं. हमें लगता है कि ये खतरनाक है और ये किसी के भी सुरक्षा हितों में नहीं है. हालांकि, इसके बावजूद मैं कहना चाहूंगी कि भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत हैं.

बता दें कि रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की वजह से अमेरिका ने नैटो के सदस्य देश तुर्की पर प्रतिबंध लगाए थे. ऐसे में, इस बात की आशंका जताई जाती रही है कि अमेरिका भारत पर भी इस तरह के प्रतिबंध लगा सकता है.

 

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