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FATF में टेरर फंडिंग पर फंसेगा पाकिस्तान, 8700 संदिग्ध लेन-देन पर नजर

पाकिस्तान के पास आतंक की फंडिंग रोकने के लिए ठोस कार्रवाई करने का यह आखिरी वक्त है, अगर इस्लामाबाद इस बार नाकाम हो गया तो उसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा.

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो-पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो-पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

दुनिया भर में आतंक की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ काम करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पिछले महीने हुई बैठक में पाकिस्तान को आतंकियों की फंडिंग को रोकने के लिए दी गई चेतावनी के बाद इस्लामाबाद दबाव में है. इस बीच पाकिस्तान की वित्तीय निगरानी इकाई (Financial Monitoring Unit) ने जो आंकड़ा जारी किया है वो बेहद चौंकाने वाला है. इसके मुताबिक साल 2018 में 8,707 संदिग्ध लेनदेन का पता चला है जो 2017 के आंकड़े  5,548 संदिग्ध लेनदेन के मुकाबले 57 फीसदी ज्यादा है.  

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पाकिस्तानी अखबार डॉन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल में हुई एक बैठक में अधिकारियों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को इस बात से अवगत कराया कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में यह गंभीर मामला है और यह पाकिस्तान के हित में होगा कि वो अपना घर संभालें. पाकिस्तान की वित्तीय निगरानी इकाई (Financial Monitoring Unit) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में इस तरह के 8,707 संदिग्ध लेनदेन का पता चला है जो 2017 के आंकड़े  5,548 संदिग्ध लेनदेन के मुकाबले 57 फीसदी ज्यादा है. जबकि 1,136 संदिग्ध लेनदेन सिर्फ जनवरी और फरवरी के महीने में हुई.

पाकिस्तान की सरकारी मशीनरियों को अगले दो महीनों के भीतर आतंकी फंडिंग रोकने की दिशा हुई ठोस प्रगति के सबूत FATF को दिखाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है. इसी क्रम में पाकिस्तान के 6 बैंकों पर इन संदिग्ध लेनदेन के लिए जुर्माना लगाया गया और 109 बैंकरों के खिलाफ फर्जी अकाउंट खोलने पर जांच हो रही है. इसके साथ ही जुलाई 2018 से 31 जनवरी तक 20 अरब की तस्करी की मुद्रा और आभूषण जब्त किए गए. जो पिछले वर्ष की तुलना में 66 फीसदी ज्यादा है.

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पाकिस्तान सरकार ने ब्रिटेन, कतर, यूएई और ऑस्ट्रेलिया की सरकार के साथ वित्तीय खुफिया सूचना साझा करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर भी  किए हैं. हालांकि पाकिस्तान की कार्रवाई के तौर पर इन कदमों और आंकड़ों की जांच FATF अपने मानकों के अनुसार करेगी. बता दें कि FATF एक तय समय सीमा के साथ 10 सूत्रीय कार्ययोजना के तहत 27 संकेतकों पर पाकिस्तान की निगरानी कर रही है.

इस दस सूत्रीय कार्ययोजना द्वारा निर्धारित लक्ष्य को हासिल करना अब पाकिस्तान सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है. बता दें कि FATF की बैठक के दौरान (18 फरवरी से 22 फरवरी) पाकिस्तान सरकार ने हाफिज सईद के जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था. जबकि जैश-ए-मोहम्मद समेत 6 अन्य संगठनों को लो-रिस्क कैटेगरी में रखा गया था.

FATF की इस बैठक में पाकिस्तान को मई 2019 तक एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया. FATF के मुताबिक पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग के जोखिम का आंकलन करने के पैमाने को संशोधित तो किया है, लेकिन उसने इस्लामिक स्टेट, अल कायदा, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, लश्कर-ए-तैयबा, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों द्वारा आतंकी फंडिंग से पैदा होने वाले जोखिम को लेकर उचित समझ प्रदर्शित नहीं की.  

आतंक की फंडिंग के खिलाफ पाकिस्तान की प्रगति को लेकर FATF की अगली समीक्षा बैठक जून 2019 में होनी है.  उल्लेखनीय है कि जून 2018 की बैठक में पाकिस्तान को FATF की ग्रे-लिस्ट में बरकरार रखने का फैसला लिया गया था. इसके साथ ही चेतावनी दी गई थी कि यदि पाकिस्तान आतंक की फंडिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता तो उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है.

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FATF के एक्शन प्लान को सफलता से लागू करने की सूरत में ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी और अगर ऐसा नहीं हुआ तो सितंबर 2019 में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा. जिसके बाद उस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लग सकते हैं.

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