
भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देकर पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने एक बार फिर दिखा दिया है कि किस तरह ‘उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों का ‘माखौल उड़ाया' है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने आज सैन्य अदालत के फैसले की क्षमता पर भी सवाल उठाए.
एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया निदेशक बिराज पटनायक ने कहा कि कुलभूषण जाधव को मौत की सजा देना दर्शाता है कि किस तरह पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने अंतरराष्ट्रीय मानकों की धज्जियां उड़ाई हैं.’ वह कथित जासूसी मामले में जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा देने पर प्रतिक्रिया जता रहे थे.
उन्होंने बयान जारी कर कहा कि बचावकर्ताओं को उनके अधिकारों से वंचित करना और कुख्यात गोपनीय तरीके से काम कर सैन्य अदालतें न्याय नहीं करतीं बल्कि उसका मजाक उड़ाती हैं. उनकी काफी गलत व्यवस्था है जिन्हें केवल सैन्य अनुशासन के मुद्दों से निपटना चाहिए न कि अन्य अपराधों से.’’ उन्होंने कहा कि एमनेस्टी हमेशा किसी भी स्थिति में मौत की सजा का विरोध करती है.
भारत ने भी किया है विरोध
गौरतलब है कि पाकिस्तान की अदालत ने कुलभूषण जाधव को सज़ा-ए-मौत सुनाई है. भारत ने पाकिस्तानी कार्रवाई पर कड़ा विरोध जताया है. विदेश मंत्रालय ने पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब किया. भारत ने कुलदीप जाधव को मौत की सजा दिये जाने को गलत बताया था, उन्होंने इसे एक प्रकार की सुनियोजित हत्या बताया. जाधव पर पाकिस्तान में रॉ के लिए काम करने का आरोप लगा था. उनको 3 मार्च, 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था.