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लाहौर में सरबजीत के हत्यारे का The End, 'अज्ञात हमलावर' ने की गोली मारकर हत्या

लाहौर में अंडरवर्ल्ड डॉन अमीर सरफराज की 'अज्ञात हमलावरों' ने गोली मारकर हत्या कर दी. अमीर सरफराज वही है, जिसने ISI के इशारे पर पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत की हत्या की थी.

डॉन अमीर सरफराज (बाएं) और सरबजीत की फाइल फोटो (दाएं) डॉन अमीर सरफराज (बाएं) और सरबजीत की फाइल फोटो (दाएं)
अरविंद ओझा
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST

पाकिस्तान से बड़ी खबर सामने आई है. लाहौर में अंडरवर्ल्ड डॉन अमीर सरफराज की 'अज्ञात हमलावरों' ने गोली मारकर हत्या कर दी. अमीर सरफराज वही है, जिसने ISI के इशारे पर पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत की हत्या की थी. पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में अमीर सरफराज ने सरबजीत की पॉलीथिन से गला घोंटकर और पीट- पीट कर हत्या कर दी थी. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के कहने पर अमीर ने सरबजीत को तड़पा-तड़पा कर मारा था. पंजाब के सरबजीत को पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में पाकिस्तानी सेना ने पकड़ा था.

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1990 में अनजाने में ही पाकिस्तान पहुंच गए थे सरबजीत
बता दें कि, सरबजीत सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव के रहने वाले ‍किसान थे. 30 अगस्त 1990 को वह अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गए थे. यहां उन्हें पाकिस्तान आर्मी ने गिरफ्तार कर लिया. लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाके का आरोपी बनाकर सरबजीत सिंह को जेल में बंद कर दिया गया. इस बम हमले में 14 लोगों की जान गई थी. 1991 में बम धमाके आरोप में सरबजीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी. सरबजीत सिंह पर लाहौर की कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला कर दिया था, इसके बाद पाकिस्तान ने उन्‍हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया. 

सरबजीत ने चिट्ठी के जरिए सुनाई थी दास्तां
भारतीय नागरिक सरबजीत पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में रहते हुए भारत भेजी अपनी चिट्ठी में लिखा थाः 'मुझे पिछले दो तीन महीनों से खाने में कुछ मिलाकर दिया जा रहा है. इसे खाने से मेरा शरीर गलता जा रहा है. मेरे बाएं हाथ में बहुत दर्द हो रहा है और दाहिना पैर लगातार कमजोर होता जा रहा है. खाना जहर जैसा है. इसे ना तो खाना संभव है, ना खाने के बाद पचाना संभव है'.

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मुझे जहर दिया जा रहा है, सरबजीत ने जताई थी आशंका
सरबजीत ने जेल में धीमा जहर देने की आशंका जताते हुए लिखा था कि 'जब भी मेरा दर्द बर्दाश्त से बाहर होता है और मैं जेल अधिकारियों से दर्द की दवा मांगता हूं तो मेरा मजाक उड़ाया जाता है. मुझे पागल ठहराने की पूरी कोशिश की जाती है. मुझे एकांत कोठरी में डाल दिया गया है और मेरे लिए रिहाई का एक दिन भी इंतजार करना मुश्किल हो गया है'. सरबजीत की चिट्ठी के हर एक लफ्ज ने भिखीविंड के लोगों का कलेजा चाक कर दिया.

'गलत पहचान की वजह से हुई गिरफ्तारी'
खुद को बेगुनाह बताते हुए सरबजीत ने लिखा कि 'मैं एक बहुत ही गरीब किसान हूं और मेरी गिरफ्तारी गलत पहचान की वजह से की गई है. 28 अगस्त 1990 की रात मैं बुरी तरह शराब के नशे में धुत था और चलता हुआ बॉर्डर से आगे निकल गया. मैं जब बॉर्डर पर पकड़ा गया तो मुझे बेरहमी से पीटा गया. मैं इतना भी नहीं देख सकता था कि मुझे कौन मार रहा है. मुझे चेन में बांध दिया गया और आंखों पर पट्टी बांध दी गई'. सरबजीत पर पाकिस्तान की जेल में जुल्म होता रहा और कोर्ट में सारी शिकायतें नजरअंदाज की जाती रही.

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