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एमनेस्टी का दावा, तालिबान ने 9 अल्पसंख्यक पुरुषों को मार डाला, बढ़ सकती है संख्या

एमनेस्टी ने कहा कि अफगानिस्तान में उसके शोधकर्ताओं ने गजनी प्रांत में चश्मदीदों से बात की, जिन्होंने बताया कि कैसे तालिबान ने 4 से 6 जुलाई के बीच मुंडारख्त गांव में 9 लोगों को मार डाला. 6 लोगों को गोली मार दी गई जबकि 3 को प्रताड़ित करते हुए मार दिया गया.

सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई) सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
aajtak.in
  • बर्लिन,
  • 20 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST
  • अल्पसंख्यक समुदाय के कई सदस्यों की हत्या का तालिबान जिम्मेदार
  • तालिबान ने 4-6 जुलाई के बीच मुंडारख्त में 9 को मार डालाः एमनेस्टी
  • लड़ाकों ने अफगान पत्रकार के परिवार के सदस्य की हत्या की-RWB

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद लोगों में घबरहाट है और बड़ी संख्या में लोग अपना देश छोड़ने को मजबूर हैं. हालांकि तालिबान की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि लोग डरें नहीं, लेकिन इस बीच एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि तालिबान पिछले महीने अफगानिस्तान के हजारा जातीय अल्पसंख्यक (Hazara ethnic minority) समुदाय के कई सदस्यों की यातना और हत्या के लिए जिम्मेदार था.

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एमनेस्टी ने शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में उसके शोधकर्ताओं ने गजनी प्रांत में चश्मदीदों से बात की, जिन्होंने बताया कि कैसे तालिबान ने 4 से 6 जुलाई के बीच मुंडारख्त गांव में 9 लोगों को मार डाला. उन्होंने बताया कि 6 लोगों को गोली मार दी गई जबकि 3 लोगों को प्रताड़ित करते हुए मार दिया गया.

एमनेस्टी इंटरनेशनल के प्रमुख एग्नेस कैलामार्ड ने कहा कि हत्याओं की क्रूरता "तालिबान के पिछले रिकॉर्ड की याद दिलाती है, और तालिबान शासन क्या ला सकता है इसका एक भयावह संकेतक है.''

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बढ़ सकते हैं हत्या के मामले

अधिकार समूह ने चेतावनी दी है कि कई और हत्याएं की गई हो सकती हैं, लेकिन अभी इस मामले में रिपोर्ट नहीं मिली है, क्योंकि तालिबान ने तस्वीरों को प्रकाशित होने से रोकने के लिए अपने कब्जे वाले कई क्षेत्रों में मोबाइल फोन सेवाओं पर रोक लगा रखी है.

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साथ ही रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (Reporters without Borders) ग्रुप ने इस खबर पर चिंता व्यक्त की कि तालिबान लड़ाकों ने जर्मन प्रसारक डॉयचे वेले के लिए काम कर रहे एक अफगान पत्रकार के परिवार के एक सदस्य की हत्या कर दी है.

ग्रुप के जर्मन सेक्शन के काटजा ग्लोगर ने कहा, 'दुख की बात है कि यह हमारे सबसे बुरे डर की पुष्टि करता है. तालिबान की क्रूर कार्रवाई से पता चलता है कि अफगानिस्तान में स्वतंत्र मीडियाकर्मियों का जीवन गंभीर खतरे में है.'

 

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