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डोनाल्ड ट्रंप के जाने के बाद संभव है कि बाइडेन की विदेश नीति में मध्य-पूर्व के लिए बहुत कुछ बदल जाए लेकिन भारत को लेकर उनका रुख ट्रंप से बहुत अलग नहीं रहेगा. इसका संकेत अमेरिका के जाने-माने डिप्लोमैट एंटनी ब्लिंकन पहले ही दे चुके हैं जिन्हें बाइडेन अपनी सरकार में विदेश मंत्री बनाने जा रहे हैं.
ब्लिंकन चीन को भारत और अमेरिका दोनों के लिए ही चुनौती करार दे चुके हैं. विदेश नीति के विशेषज्ञ ब्लिंकन ने कहा था कि चीन को रोकने में भारत एक अहम साझेदार साबित होगा.
भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बाइडेन के कैंपेन ने भारतीय-अमेरिकियों मतदाताओं तक पहुंचने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ब्लिकंन ने ये बातें कही थीं.
ब्लिंकन ने आरोप लगाया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनालड् ट्रंप ने अमेरिका के अहम साझेदारियों को कमजोर करके चीन को रणनीतिक बढ़त हासिल करने में मदद की, दुनिया में रिक्त स्थान छोड़े जिसे चीन ने मौके के तौर पर लिया. ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिकी मूल्यों को पीछे छोड़ते हुए ट्रंप प्रशासन ने हॉन्ग कॉन्ग में लोकतंत्र को कुचलने के लिए चीन को हरी झंडी दी.
बाइडन प्रशासन में भारत-अमेरिका के संबंधों और भारतीय-अमेरिकियों से जुड़े विषय पर चर्चा के दौरान ब्लिंकन ने कहा था, हम दोनों के सामने ही आक्रामक चीन से निपटना चुनौती है, एलएसी पर भारत के खिलाफ चीन का आक्रामक रवैया भी इसमें शामिल है. चीन अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल भी दूसरों को डराने-धमकाने में कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी करके अपने हितों को आगे बढ़ाने के लिए चीन किसी भी भू-भाग पर अपना दावा पेश कर रहा है, इससे दुनिया के अहम समुद्री हिस्सों में आवागमन करने की स्वतंत्रता भी खतरे में पड़ गई है.
ब्लिंकन ने हॉन्ग कॉन्ग में चीन की कार्रवाई को अपने ही लोगों के अधिकारों का हनन करने वाला और लोकतंत्र को कुचलने वाला करार दिया था.
हडसन इंस्टिट्यूट में दिए गए संबोधन में भी ब्लिंकन ने भारत-अमेरिका के संबंधों को लेकर अपनी राय रखी थी. ब्लिंकन ने कहा था, बाइडेन के नजरिए से भारत के साथ मजबूत और गहरी साझेदारी प्राथमिकता में होगी. ये हिंद-प्रशांत के भविष्य के लिए भी बेहद अहम है और एक उचित, स्थिर और लोकतांत्रित वैश्विक व्यवस्था के लिए भी जरूरी है.
जब बाइडेन ओबामा की सरकार में उप-राष्ट्रपति थे तो ब्लिंकन उनके विदेश नीति सलाहकार थे. बाइडेन भी कई बार साफ कर चुके हैं कि उनके कार्यकाल में भी भारत की अहमियत बनी रहेगी.