
अमेरिकी डॉलर जिसे विश्व की सबसे मजबूत करेंसी माना जाता है, अब उसकी बादशाहत कम होती दिख रही है. बुधवार को ही ऐसी रिपोर्टें सामने आईं कि मार्च में चीन के सीमा-पार व्यापार के लिए डॉलर को पछाड़ते हुए युआन सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली मुद्रा बन गई है. ऐसा विश्व के आधुनिक इतिहास में पहली बार हुआ है. बुधवार को अर्जेंटीना की सरकार ने भी यह घोषणा की कि उनका देश चीन से आयात के लिए डॉलर के बजाए चीनी मुद्रा युआन में भुगतान करेगा.
अर्जेंटीना की सरकार ने यह फैसला डॉलर के घटते भंडार को देखते हुए लिया है. एक सरकारी बयान में कहा गया है कि अप्रैल के महीने में डॉलर के बजाय युआन में करीब 1 अरब डॉलर के चीनी आयात का भुगतान करने का लक्ष्य रखा गया है. अप्रैल के बाद हर महीने 79 करोड़ डॉलर आयात का भुगतान युआन में किया जाएगा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अर्जेंटीना के अर्थव्यवस्था मामलों के मंत्री सर्जियो मस्सा ने चीनी राजदूत जू शियाओली और कई कंपनियों के साथ बैठक के बाद एक कार्यक्रम में कहा कि युआन में व्यापार करने का उद्देश्य डॉलर पर दबाव को कम करना है.
दक्षिण अमेरिकी देश ने यह फैसला ऐसे वक्त लिया है जब उसकी अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है और देश इस साल होने वाले चुनावों से पहले भारी राजनीतिक अनिश्चितता झेल रहा है. अर्जेंटीना में भयंकर सूखा पड़ा है जिस कारण कृषि निर्यात में भारी गिरावट आई है और देश में डॉलर के भंडार में कमी आ गई है.
पिछले साल अपने विदेशी मुद्रा भंडार में मजबूती लाने के लिए अर्जेंटीना ने चीन के साथ पांच अरब डॉलर की मुद्रा अदला-बदली की थी.
चीनी मुद्रा की जम रही धाक
चीनी मुद्रा युआन डॉलर के मुकाबले तेजी से मजबूत होती जा रही है. चीन अपनी मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण पर काफी जोर दे रहा है और अब उसका नतीजा सामने है. चीन की मुद्रा ने चीन के सीमा-पार व्यापार में डॉलर को पछाड़ दिया है.
स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज के आंकड़ों के आधार पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने गणना की है कि युआन में सीमा पार से व्यापार एक महीने पहले के 434.5 अरब डॉलर से बढ़कर मार्च में रिकॉर्ड 549.9 अरब डॉलर हो गया है.
मार्च में चीन के कुल सीमा-पार व्यापार में लेनदेन के लिए युआन की हिस्सेदारी 48.4 प्रतिशत रही जबकि डॉलर का हिस्सा एक महीने पहले 48.6 प्रतिशत से घटकर 46.7 प्रतिशत हो गया. वैश्विक व्यापार फाइनेंस में फिलहाल युआन का इस्तेमाल कम होता है लेकिन अब इसके उपयोग में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है.
स्विफ्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक व्यापार फाइनेंस के लिए वैश्विक मुद्रा लेनदेन में चीनी युआन की हिस्सेदारी मार्च में बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो गई, जबकि डॉलर का हिस्सा 83.71 प्रतिशत रहा.
भारत भी डॉलर के बजाए रुपये में व्यापार को दे रहा बढ़ावा
जुलाई 2022 में रिजर्व बैंक ने यह फैसला किया था कि वैश्विक व्यापार अब भारतीय मुद्रा में भी किया जा सकेगा. इसके बाद से ही भारत उन देशों को इस प्रक्रिया के तहत लाने की कोशिश कर रहा है जिनके पास अमेरिकी डॉलर की कमी है.
रिजर्व बैंक ने 18 देशों के बैंकों को खास बैंक अकाउंट (वोस्त्रो अकाउंट) खोलने की अनुमति भी दी थी. इसी महीने की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने खबर दी कि भारत और मलेशिया के बीच रुपये में व्यापार को लेकर समझौता हो गया है.
जर्मनी, इजरायल, श्रीलंका समेत 64 देशों ने भारत से रुपये में व्यापार करने की दिलचस्पी दिखाई है. तजाकिस्तान, क्यूबा, लक्जमबर्ग और सूडान इसे लेकर भारत से बातचीत कर रहे हैं. भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार भी रुपये में व्यापार को लेकर विचार कर रहे हैं.