
आर्मेनिया की सेना के एक कैप्टन को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. यह आर्मी कैप्टन भारत से खरीदे गए मिलिट्री इक्विप्मेंट की खुफिया जानकारी किसी और देश तक पहुंचा रहा था, जिसके बाद नेशनल सिक्योरिटी सर्विस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. आर्मी कैप्टन को 2021 में एक विदेशी एजेंसी ने हायर किया था और वह तभी से इस खुफिया मिशन पर लगा था.
आर्मेनिया की न्यूज एजेंसी NewsAM की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्मेनिया के आर्मी कैप्टन ने अप्रैल-मई 2021 में सेना की कुछ खुफिया जानकारियां एक विदेशी एजेंसी तक पहुंचाई थी, जिसमें भारत से खरीदे से सैन्य हथियार 'स्वाति' की जानकारी भी थी. इस जासूसी के लिए उसे दो बार एकमुश्त पैसे भी दिए गए.
सूत्रों का कहना है कि इस घटना की तारीख से संकेत मिलता है कि आर्मी कैप्टन ने भारत से आर्मेनिया को मिले हथियार लॉकेटिंग रडार Swathi की जानकारी लीक की थी. आर्मी कैप्टन को इसके लिए दो बार पैसे भी मिले. इसके बाद उसे जासूसी करने के ऐवज में मोबाइल फोन भी दिया गया.
बता दें कि Swathi ऐसा रडार है, जो फायरिंग लोकेशन की सटीक जानकारी देता है. यह दुश्मन देश के आर्टिलरी, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर्स को तबाह करने के लिए शूटिंग इक्विपमेंट को गाइड भी कर सकता है.
बता दें कि आर्मेनिया ने 2020 में भारत से चार स्वदेशी स्वाति हथियार खरीदे थे, जिसे आर्मेनिया के अजरबैजान के साथ चल रहे संघर्ष के बीच भारत ने डिलीवर किया था.
इसके बाद से आर्मेनिया ने भारत से एंटी टैंक मिसाइल, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर्स और कई तरह के सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए करार किया. भारत ने हाल ही में आर्मेनिया को 39 कैलिबर का आर्टिलिरी सिस्टम बेचा है.
क्या है वेपन लोकेटिंग रडार 'स्वाति'?
वेपन लोकेटिंग रडार 'स्वाति' को डीआरडीओ की इलेक्ट्रॉनिक एंड रडार स्टैब्लिशमेंट ने डेवलप किया है. यह रडार मोर्टार, रॉकेट और शेल्स की सही लोकेशन का पता लगा लेता है. स्वाति रडार अटैच आर्टिलरी गन को भी गाइड करता है ताकि हथियारों को नष्ट किया जा सके.
आर्मेनिया सेना में जासूसी का इतिहास
यह पहली बार नहीं है, जब आर्मेनिया ने जासूसी के लिए अपने ही अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. इससे पहले नवंबर 2022 में आर्मेनिया सेना ने अपने एक मेजर रैंक के अधिकारी को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था. इससे पहले फरवरी 2022 में भी एक ऐसे मॉडयूल का भंडाफोड किया गया था, जिसमें सेना के 19 कर्मी विदेशी एजेंसी के लिए जासूसी कर रहे थे.
अजरबैजान और आर्मेनिया में 27 सितंबर 2020 को भी युद्ध छिड़ गया था. बाद में संघर्ष विराम के बाद युद्ध रुक तो गया, लेकिन दो साल में दोनों देशों के बीच सीमा पर झड़पें होती रहीं हैं. दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है.
31 अगस्त को आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनियन और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हम अलीयेव के बीच ब्रसेल्स में मुलाकात भी हुई थी. इसमें शांति वार्ता पर चर्चा होनी थी.
आर्मेनिया-अजरबैजान विवाद क्या है?
अजरबैजान और आर्मेनिया, दोनों ही सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करते थे. 1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद जो 15 नए देश बने, उनमें अजरबैजान और आर्मेनिया भी थे. हालांकि, दोनों के बीच 1980 के दशक से ही विवाद शुरू हो गया था.
दोनों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है. इलाके पर कब्जे को लेकर दोनों के बीच चार दशकों से विवाद है. सोवियत संघ टूटने के बाद नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान के पास चला गया.
अजरबैजान मुस्लिम देश है, जबकि आर्मेनिया ईसाई बहुल राष्ट्र है. नागोर्नो-काराबाख की बहुल आबादी भी ईसाई ही है. इसके बावजूद सोवियत संघ जब टूटा तो इसे अजरबैजान को दे दिया गया. यहां रहने वाले लोगों ने भी इलाके को आर्मेनिया को सौंपने के लिए वोट किया था.
1980 के दशक में पहली बार विवाद तब शुरू हुआ, जब नागोर्नो-काराबाख की संसद ने आधिकारिक तौर पर आर्मेनिया का हिस्सा बनने के लिए वोट किया. बाद में अजरबैजान ने यहां अलगाववादी आंदोलनों को दबाने की कोशिश भी की.