
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का एकछत्र राज खत्म हो गया है. देश के बड़े हिस्से पर विद्रोहियों के कब्जे के बाद परिवार समेत भाग खड़े हुए असद ने मित्र राष्ट्र रूस में शरण ले ली है. इसके साथ ही 2011 से देश में चली आ रही गृहयुद्ध की स्थिति खत्म हो गई. लेकिन सवाल है कि सीरिया की 53 साल की तानाशाही का अंत मात्र दो हफ्ते के भीतर कैसे हो गया? दशकों से असद का किला बचा रही सीरियाई सेना कमजोर कहां पड़ गई?
1973 में बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद ने सीरिया में तख्तापलट कर सत्ता संभाली थी. उन्होंने एक तानाशाह की तरह सीरिया पर राज किया. उनके शासनकाल में सीरिया में विद्रोह की चिंगारी भी उठी और कत्लेआम भी हुआ. शिया अल्पसंख्यक समुदाय से होने की वजह से उन पर बहुसंख्यक सुन्नियों की अनदेखी करने के आरोप लगे. 2000 में उनके इंतकाल के बाद बशर अल असद गद्दी पर बैठे.
मॉडर्न सीरिया और विकास के एजेंडे के साथ सत्ता संभालने वाले बशर जल्द ही उसी राह पर आगे बढ़ने लगे. जिस राह पर उनके पिता हाफिज चले थे. नतीजा हुआ कि सीरिया की जनता में असंतोष बढ़ने लगा. असंतोष की चिंगारी को 2011 में ट्यूनिशिया की घटना ने हवा दी. यह वह समय था, जब एक-एक कर अरब देशों में विद्रोह होने लगा था. रूस और ईरान के दम पर असद इस विद्रोह को कुचलते रहे.
लेकिन 27 नवंबर को जो हुआ, उसका अंदाजा बशर को भी नहीं था. 27 नवंबर को हयात तहरीर अल-शाम (HTS) की अगुवाई में विद्रोहियों ने बशर अल असद सरकार के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा दिया. इस दिन विद्रोहियों ने पहला हमला किया.
इन्होंने पश्चिमी अलेप्पो में असद की सेना पर जबरदस्त हमला किया. उत्तरपश्चिम सीरिया पर कब्जा करते हुए इन्होंने मात्र दो हफ्ते के भीतर राजधानी दमिश्क को अपने कब्जे में ले लिया. इस दौरान दोनों ओर से कुल 37 लोगों की मौत हुई. विद्रोहियों ने 13 गांवों पर कब्जा कर लिया जिनमें अलेप्पो में सीरियाई सेना का सबसे बड़ा बेस भी शामिल है.
30 नवंबर को अलेप्पो पर पूरा कब्जा
विद्रोही गुटों ने 30 नवंबर को सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर हमला किया, जिसमें कई सीरियाई सैनिकों की मौत हो गई. ये हमला इतना जबरदस्त था कि विद्रोहियों ने इस शहर को अपने कब्जे में ले लिया. इसके बाद से सीरियाई सैनिक यहां से भाग खड़े हुए.
पांच दिसंबर को हमा पर विद्रोहियों का कब्जा
विद्रोहियों के हौसले इतने बुलंद थे कि वे लगातार एक के बाद एक शहर पर कब्जा कर रहे थे. पांच दिसंबर को विद्रोही हमा पहुंचे. यह शहर पश्चिमी मध्य सीरिया में है. यहां से दमिश्क और अलेप्पो के बीच सीधे सप्लाई होती है. असद सरकार ने हमा पर एक दशक से ज्यादा समय तक कब्जा कर रखा था लेकिन विद्रोहियों की यहां फतह के बाद सीरियाई सेना यहां से हट गई.
6 दिसंबर को दर्रा पर विद्रोहियों का कब्जा
दर्रा वही जगह है, जहां 2011 का विद्रोह सबसे पहले हुआ था. हमा पर कब्जे के बाद विद्रोही गुट दर्रा पहुंचे. दमिश्क पर कब्जे के लिए दर्रा पर नियंत्रण करना जरूरी था. यहां सीरियाई सेना ने विद्रोहियों का डटकर सामना किया. लेकिन उत्तर और दक्षिण से सीरियाई सेना पर लगातार हमले हुए, जिस वजह से असद की सेना को भागना पड़ा.
7 दिसंबर को होम्स भी फतह
हयात तहरीर अल-शाम की अगुवाई में विद्रोही गुट लागतार दक्षिण की ओर बढ़ रहे थे. इस बीच जो-जो शहर रास्ते में पड़ते गए. विद्रोहियों ने उसे कब्जे में ले लिया. इसी कड़ी में होम्स पर भी फतह कर ली गई. एचटीएस ने कहा कि उन्होंने असद की सेना के चंगुल से होम्स को पूरी तरह से आजाद करा लिया है.
एचटीएस के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्ल हसन अब्दुल गनी ने दमिश्क पर फतह से पहले कहा कि हमने 24 घंटों के भीतर चार बड़े शहरों दर्रा, कुनेत्रा, सुवायदा और होम्स को आजाद करा लिया.
8 दिसंबर को दमिश्क में असद का किला ढहा
और आखिर में विद्रोही गुट दमिश्क की दहलीज पर पहुंचा. बीते रविवार को दमिश्क पर विद्रोहियों का कब्जा हो गया. इसके साथ ही असद को देश छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा. असद के देश छोड़ने के बाद जोलानी ने उमायद मस्जिद से सीरियाई लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह जीत मेरे दोस्तों पूरे इस्लामिक राष्ट्र की जीत है. ये नई जीत, मेरे भाइयों देश के इतिहास का नया अध्याय है.
इस तरह सीरिया की सेना के पौने तीन लाख सैनिक भी बशर अल असद का किला नहीं बचा पाए और एक-एक कर विद्रोहियों के सामने घुटने टेकते चले गए.
बता दें कि असद के देश छोड़ने के बाद सीरियाई प्रधानमंत्री ने विद्रोहियों को सत्ता सौंपने का प्रस्ताव दिया है. PM मोहम्मद गाजी अल जलाली ने एक वीडियो में कहा कि वो देश में ही रहेंगे और जिसे भी सीरिया के लोग चुनेंगे, उसके साथ मिलकर काम करेंगे.
दो हफ्तों में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क के अलावा सीरिया के चार बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है, अब सवाल ये है कि सीरिया में अब आगे क्या होगा? विद्रोहियों की जीत के साथ ही सीरिया में बशर अल-असद के 24 साल के शासन और देश में 13 साल से चल रहे गृह युद्ध का अंत हो गया है.