
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. बीते हफ्ते एक अफवाह से शुरू हुई हिंसा की घटनाओं में अब तक कई हिंदुओं की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल भी बताए जा रहे हैं. पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के बाद अब हिंदुओं की घटती आबादी की खबरें भी आने लगी हैं. ब्रिटिश काल, पाकिस्तान से अलग होने और मौजूदा वक्त में हिंदुओं की आबादी के आंकड़ों में काफी अंतर दिखाई पड़ता है.
बांग्लादेश ब्यूरो ऑफ स्टेटिक्स की मानें तो वहां तो हिंदुओं की आबादी लगातार घट रही है. कभी बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी 33 फीसदी के आसपास थी जो अब घटकर 6 फीसदी पर पहुंच गई है. 1901 में हुई जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि उस वक्त बांग्लादेश में 33 फीसदी हिंदू और 66 फीसदी मुस्लिम आबादी थी. 1951 में वहां मुस्लिमों की आबादी बढ़कर 77 फीसदी और हिंदुओं की आबादी घटकर 22 फीसदी पर आ गई. हालांकि, उस समय आबादी में गिरावट आने की बड़ी वजह ये भी है कि 1947 में बंटवारे के बाद बड़ी संख्या में हिंदू भारत आ गए थे.
1971 की जंग के बाद जब बांग्लादेश का जन्म हुआ तो 1974 में जनगणना हुई. उस समय वहां मुस्लिमों की आबादी 86% तो हिंदुओं की आबादी 13.5% हो गई. बांग्लादेश में आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी और उस वक्त के आंकड़ों के हिसाब से अभी वहां 8.5 फीसदी हिंदू बचे हैं. हालांकि, अब ये आबादी घटकर 6 फीसदी के आसपास पहुंचने का अनुमान है.
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हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता ने आजतक को बताया कि सरकार ने उन्हें पिछले साल बताया था कि बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी बढ़ी है, हालांकि इसके आंकड़े अभी तक उन्हें नहीं मिले हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है और अगर सरकार ने कुछ नहीं किया तो कुछ ही सालों में हिंदुओं का वहां से सफाया हो जाएगा.
दासगुप्ता ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़े हैं. उन्होंने कहा कि ये देश अब पाकिस्तान बन गया है और अफगानिस्तान बनने के रास्ते पर है. उन्होंने बताया कि पिछले 9 साल में हिंदुओं पर 3600 से ज्यादा हमले हुए हैं. ये मानवाधिकार संगठनों का आंकड़ा है, जबकि असल में हमले और भी हुए हैं, जिन्हें दर्ज ही नहीं कराया गया है. उन्होंने कहा कि मंदिरों को तोड़ा जा रहा है. मुस्लिम कट्टरपंथी आम लोगों पर हमले कर रहे हैं.
बांग्लादेश में 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर एक नया देश बना था. 4 नवंबर 1972 को बांग्लादेश का संविधान बना और उसे धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया. लेकिन 1977 में बांग्लादेश ने संविधान में संशोधन कर खुद को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया. दासगुप्ता कहते हैं कि बांग्लादेश को दोबारा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करना चाहिए. वो बताते हैं कि हर जगह हिंदू विरोधी और कट्टर लोग रहते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें अब सिर्फ प्रधानमंत्री शेख हसीना पर भरोसा है और अगर वो कुछ करती हैं, तभी हिंदू वहां बच सकेंगे.