
मेलबर्न यूनिवर्सिटी के जुड़े वैज्ञानिक ट्रेंट पेनहम ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया में लगी इस आग के पीछे भारतीय मॉनसून की देरी से खत्म होना है. पेनहम कहते हैं कि पूरी दुनिया में बदलने वाले मौसम आपस में जुड़े होते हैं. इन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता. यानी कहीं गर्मी होती है तो कहीं ठंडी. लेकिन यह एकदूसरे से किसी न किसी तरह से जुड़ाव होता है.
क्या 10 हजार किलोमीटर दूर असर डालता है मॉनसून?
लेकिन हैरतअंगेज बात यह है कि क्या भारतीय मॉनसून का देरी से जाना 10 हजार किलोमीटर दूर स्थित ऑस्ट्रेलिया के किसी इलाके (डार्विन-जहां आग लगी है) में असर डालेगा? भारत में इस बार अक्टूबर महीने के बीच तक रिकॉर्ड बारिश हुई है. जबकि, एशिया में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून हर साल जून से सितंबर के बीच खत्म हो जाता है. फिर ये हवाएं दक्षिण की ओर बढ़ती हैं.
दुनिया भर के बदलते मौसम की वजह से ऑस्ट्रेलिया में आग
ट्रेंट पेनहम ने कहा कि इस वक्त ऑस्ट्रेलिया के इन इलाकों में बारिश होती है, जहां आग लगी है. लेकिन वैश्विक स्तर पर मौसम में हो रहे बदलावों की वजह से ऑस्ट्रेलिया का पूर्वी तट गर्म हो गया. इससे उसके आग की चपेट में आने का जोखिम बढ़ गया है. भयावह आग के लिए ये स्थितियां अनुकूल होती हैं जो इस वक्त हमें दिखाई दे रहा है.
ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में आपातकाल
जंगलों में लगी भयावह आग के चलते ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य में 7 दिनों के लिए आपातकाल घोषित कर दिया गया है. यहां करीब 8.50 लाख हेक्टेयर जमीन आग की वजह से बरबाद हो चुकी है. सिर्फ यही नहीं सिडनी पर भी आग की चपेट में आने का खतरा मंडरा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि अभी की स्थिति 10 साल के इतिहास में सबसे भयावह है.
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